एक महीने में सबसे खराब एकल-दिन के पतन 87.33 रुपये पर पहुचा
घरेलू शेयर बाजार में बिकवाली से धारणा पर प्रतिकूल असर पड़ा।
पिछले महीने श्रमिकों की औसत प्रति घंटा आय में 0.3 प्रतिशत की वृद्धि
बेरोजगारी दर थोड़ी बढ़कर 4.1 प्रतिशत हो गई।
कानपुर 10, मार्च, 2025
10, मार्च, 2025 नई दिल्ली: दुनिया भर में शुल्क दरों को लेकर अनिश्चितता के बीच कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और विदेशी पूंजी की निरंतर निकासी के कारण सोमवार को अंतरबैंकिंग मुद्रा बाजार में रुपया 38 पैसे टूटकर 87.33 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि कमजोर अमेरिकी मुद्रा स्थानीय मुद्रा को सहारा देने में विफल रही घरेलू शेयर बाजार में बिकवाली से धारणा पर प्रतिकूल असर पड़ा।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया गिरावट के साथ 87.24 रुपये प्रति डॉलर पर खुला और दिन के निचले स्तर 87.36 रुपये तक चला गया। कारोबार के दौरान यह 87.16 रुपये प्रति डॉलर पर बंद होने से पहले पिछले बंद स्तर से 38 पैसे की गिरावट दर्ज करते हुए 87.33 अंक (अनंतिम) पर बंद हुआ।
इससे पहले पांच फरवरी को डॉलर के मुकाबले रुपया 39 पैसे की भारी गिरावट दर्ज कर चुका है।
शुक्रवार को रुपया 17 पैसे की बढ़त के साथ 86.95 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
इस बीच छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.15 प्रतिशत की गिरावट के साथ 103.65 पर था। ब्रेंट कच्चा तेल वायदा बाजार में 0.28 प्रतिशत बढ़कर 70.56 डॉलर प्रति बैरल पर चल रहा था। घरेलू शेयर बाजार 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 217.41 अंक या 0.29 प्रतिशत की गिरावट के साथ 74,115.17 पर और निफ्टी 92.20 अंक या 0.41 प्रतिशत की गिरावट के साथ 22,460.30 पर बंद हुआ।
शेयर बाजार के अस्थायी आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने शुक्रवार को सकल आधार पर 2,035.10 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा शुक्रवार को जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार देश का विदेशी मुद्रा भंडार 28 फरवरी को समाप्त सप्ताह में 1.781 अरब डॉलर घटकर 638.698 अरब डॉलर रह गया।इससे पिछले सप्ताह में कुल विदेशी मुद्रा भंडार 4.758 अरब डॉलर बढ़कर 640.479 अरब डॉलर हो गया था।
वैश्विक वृहद आर्थिक स्थिति के बारे में अमेरिकी श्रम विभाग के शुक्रवार के आंकड़ों के अनुसार कि फरवरी में नियुक्ति गतिविधियों में वृद्धि हुई है परन्तु बेरोजगारी दर थोड़ी बढ़कर 4.1 प्रतिशत हो गई।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड द्वारा व्यापार युद्ध की धमकी देने और संघीय कार्यबल को शुद्ध करने के साथ दृष्टिकोण बादल बना हुआ है।
अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि पिछले महीने श्रमिकों की औसत प्रति घंटा आय में 0.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो जनवरी में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि से कम है। फेड द्वारा इस गिरावट का स्वागत किया जाएगा, लेकिन यह इतनी नहीं है कि केंद्रीय बैंक 18-19 मार्च को होने वाली अपनी अगली बैठक में दरों में कटौती कर दे।
सीएमई समूह के फेडवाच टूल के अनुसार, वॉल स्ट्रीट के व्यापारी मई तक एक और कटौती की उम्मीद नहीं कर रहे हैं, और वे इसके बारे में विशेष रूप से आश्वस्त नहीं हैं।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि आर्थिक परिदृश्य और अधिक अनिश्चित होता जा रहा है, क्योंकि ट्रम्प आयातित वस्तुओं पर अनेक कर लगा रहे हैं या लगाने की धमकी दे रहे हैं।
बूसौर ने कहा कि टैरिफ में भारी वृद्धि से व्यावसायिक निर्णयों में समायोजन हो सकता है, जिसका असर नियुक्ति और वेतन पर पड़ सकता है, क्योंकि व्यावसायिक नेता उच्च इनपुट लागत और प्रतिशोधात्मक उपायों से निपटते हैं। इससे नौकरियों में और अधिक मंदी, कम आय और बहुत अधिक मुद्रास्फीति के बीच उपभोक्ता खर्च में कमी आ सकती है।
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