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मौनी अमावस्या वाले दिन 10 करोड़ लोग संगम में डुबकी लगाएंगे। स्नान के समय में बदलाव श्रद्धालु सुबह 4 बजे से शिविर से निकलेगे । संगम तट पर उपस्थिति तीर्थ यात्रियों की भीड़ का आगणन असंभव

मौनी अमावस्या के महास्नान से पहले संगम तट पर जबरदस्त भीड़
मौनी अमावस्या वाले दिन 10 करोड़ लोग संगम में पवित्र डुबकी लगाएंगे।
स्नान के समय में बदलाव श्रद्धालु सुबह 4 बजे से शिविर से निकलेगे ।
संगम तट पर उपस्थिति तीर्थ यात्रियों की भीड़ का आगणन असंभव

कानपुर 29 जनवरी 2025
प्रयागराज 29 जनवरी 2025 महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या की तिथि पर है । प्रशासन के अनुसार अब तक 17 दिनों में कुल 15 करोड़ श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगा चुके है। मौनी अमावस्या वाले दिन 10 करोड़ के आसपास लोग संगम में पवित्र डुबकी लगाएंगे। अखाड़ों के महान्तो ने आम श्रद्धालुओं को ध्यान में रखते हुए स्नान के समय में बदलाव किया है। इस बार श्रद्धालु सुबह 4 बजे से शिविर से निकलना शुरू होगा। पहले  अखाड़े 

से प्रात: 5.15 बजे अमृत स्नान के लिये निकलते थे 
हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या हर वर्ष माघ मास की अमावस्या के दिन मनाई जाती है और अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है । विशेष रूप से कुंभ मेले और संगम तीर्थ स्थलों पर इस अवसर पर तीर्थ यात्रियों की भीड़ बृहद् स्नान हेतु एकत्रित होती है । गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के मिलन स्थान संगम तट पर उपस्थिति तीर्थ यात्रियों की भीड़ का आगणन असंभव है ।
संगम तट पर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या हर वर्ष बढ़ती जा रही है। इस वर्ष मौनी अमावस्या के महास्नान के अवसर पर संगम पर एक विशाल जन समूह एकत्र है । श्रद्धालुओं के चेहरों पर भक्ति का भाव और मन में पारलौकिक अनुभव की चाह स्पष्ट है । तट पर स्थित घाटों पर श्रद्धालु स्वर्णिम धूप में स्नान करने को तैयार है । , और आसपास की वातावरण में धार्मिक गूंज सुनाई दे रही थी।
इस अपार भीड़ में माता-पिता, बच्चे, युवा और वृद्ध सभी शामिल है । अनेक लोग अपने परिवार के साथ आए है नवजात बच्चों को पहले स्नान का अवसर देने का विशेष महत्व है। श्रद्धालु एक-दूसरे को स्नान की शुभकामनाएं दे रहे है ।इस दिन का आध्यात्मिक माहौल और भी गहन हो गया। विभिन्न स्थानों से आए फलों, फूलों और अन्य धार्मिक सामग्रियों की दुकानें भी इस उत्सव का हिस्सा हैं, जो श्रद्धालुओं की आस्था को और भी बढ़ावा दे रही हैं।
संगम तट पर स्नान को धर्म एवं स्वच्छता का प्रतीक माना जाता है। लाखों लोग इस अवसर पर अपनी आत्मा की शुद्धि के लिए संगम में स्नान करते हैं और अपने पापकर्मों के लिए क्षमा की प्रार्थना करते हैं। स्नान के पश्चात, उत्सव का अनुभव करते हुए लोग संतों और साधुओं से आशीर्वाद लेते हैं।
इस विशाल जन समूह के साथ अप्रिय घटना न हो की चुनौतियाँ भी हैं। तट पर आवश्यक सुविधाएँ सुरक्षा जल, शौचालय और चिकित्सा सेवा के विशेष प्रबंध है।
मौनी अमावस्या का महास्नान धार्मिक अनुष्ठान के साथ भारतीय संस्कृति, एकता और आस्था का प्रतीक है। संगम तट पर होने वाली भीड़ प्रर्दशित करती है कि देश मे आध्यात्मिक मूल्य कितनी गहराई से संवर्धित है। इस अवसर पर होना वाले स्नान से आंतरिक शांति ओर समाज में एकजुटता का संदेश फैलाता है। यह दिन व्यक्तिगत मोक्ष के साथ सामूहिक धर्मावलंबन की शक्ति को उजागर करता है।
सोशल मीडिया पोस्ट के अनुसार रेलवे स्टेशन को कल रात भी देखा था आज सुबह भी देख कर आ रहा हूं, लोग पागल हुए जा रहे मौनी अमावस्या के दिन स्नान को लेकर,उनको अपनी जान की फिक्र नहीं बस नहाना है तो नहाना है, ठूस ठूस कर ट्रेन से जा रहे है। ट्रेनों में कचूमर की स्थिति बनी हुई है, सरकार ने महाकुंभ के लिए सैकड़ों स्पेशल ट्रेनों चलाई है लेकिन शायद वो सिर्फ़ कागजों पर है। हर चौराहे पर से 2- 4 बस महाकुंभ के लिए जा रही है ।आज रात तक भारी भीड़ पहुंचने की उम्मीद है। निवेदन है कानपुर में भी गंगा मईया है कमज़ोर लोग महाकुंभ 10 फरवरी के बाद जाए, घर में नहा लीजिए । मन चंगा तो कठौती में गंगा..

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