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ईद-उल-आज़्हा शनिवार को मनाने के मद्देनजर, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) उत्तर प्रदेश, राजीव कृष्णा ने निवारक उपायों, सामुदायिक बढी सतर्कता पर केंद्रित बहु-आयामी रणनीति को लागू की

ईद-उल-आज़्हा आत्म-बलिदान के माध्यम से विश्वास और आज्ञाकारिता के बारे में याद दिलाने त्यौहार सुरक्षा बलों की तैनाती के साथ-साथ सोशल मीडिया पर निगरानी
मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ महत्वपूर्ण बैठक आयोजित
आत्म-बलिदान, समर्पणके माध्यम से विश्वास और आज्ञाकारिता के बारे में याद दिलाने का त्यौहार
भारत एक सेक्युलर देश है जहां विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं। सभी का सम्मान करना है।
भारत की विशेषता है अनेकता में एकता।
वह उन्हीं जानवरों की कुर्बानी करें, जिसकी इजाज़त दी गई है।
प्रशासन ने जो नियम लागू किए हैं उस पर अमल करना होगा।
हर जगह जानवर को हर जगह नहीं काटा जा सकता निश्चित जगहों पर कुर्बानी
सुचारु यातायात व्यवस्था हेतु पटरी दुकानदार दुकान निर्धारित स्थान पर ही लगाएं
भारतीय रिजर्व बैंक हॉलिडे कैलेंडर के अनुसार 7 जून 2025 को ज्यादातर राज्यों में बैंक बंद रहेंगे।


कानपुर 6 जून, 2025,
लखनऊ (यूपी): (जून 5) ईद-उल-आज़्हा शनिवार को मनाने के मद्देनजर, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) उत्तर प्रदेश, राजीव कृष्णा ने गुरुवार को राज्य भर में त्योहार के शांतिपूर्ण और सुरक्षित पालन को सुनिश्चित करने के लिए व्यापक निर्देश जारी किए।.इन निर्देशों के अनुरूप, यूपी पुलिस द्वारा व्यापक तैयारी और कार्रवाई की गई है। एक प्रेस बयान के अनुसार, यूपी पुलिस ने एक बहु-आयामी रणनीति को लागू किया है, जिसमें निवारक उपायों, सामुदायिक सगाई और बढ़े हुए सतर्कता पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
ईद अल-अज़हा इस्लामी कैलेंडर में एक प्रमुख धार्मिक त्यौहार है। जिसे बलिदान के त्यौहार के रूप में भी जाना जाता है, यह याद करके कि कैसे पैगंबर इब्राहिम (अब्राहम) ने अपने बेटे इस्माइल (इश्माएल) की बलि देने की तैयारी करके ईश्वर के प्रति पूर्ण आज्ञाकारिता का प्रदर्शन किया। अब्राहम के आदेश को पूरा करने से ठीक पहले मेढ़ा प्रकट हुआ, क्योंकि उसकी बलि दी गई थी। इस्लाम इस अवसर का उपयोग विश्वासियों को आध्यात्मिक आत्म-बलिदान के माध्यम से विश्वास और आज्ञाकारिता के बारे में याद दिलाने के लिए करता है।
ईद-उल-अज़हा 2025 शनिवार, 7 जून से शुरू होगा और कई दिनों तक चलेगा तथा भविष्यवाणी के अनुसार मंगलवार 10 जून को समाप्त होगा। चांद कब दिखता है सटीक तिथियां इस बात पर निर्भर करती हैं कि चांद कब दिखता है इसी दृष्टिकोण का उपयोग किया जाता है।
पुलिस ने ईद-उल-अजहा (बकरीद) के अवसर पर सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए हैं। इस पर्व को शांति और भाईचारे के साथ मनाने के लिये विभिन्न शहरों में सुरक्षा बलों की तैनाती के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी निगरानी की जा रही है ।
सुरक्षा के अनेक उपायो मे रायबरेली के खीरों थाने में मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की गई। थाना अध्यक्ष ने इस बैठक की अध्यक्षता की और सभी धर्मगुरुओं से सहयोग की अपील की।
@auraiyapolice 5h पुलिस अधीक्षक औरैया @abijith_ips18
द्वारा आगामी त्यौहार ईद उल-अजहा (बकरीद) के दृष्टिगत अपराध नियंत्रण/शांति एवं कानून व्यवस्था तथा आमजन में सुरक्षा का भाव जागृत करने के उद्देश्य से थाना अयाना व थाना फफूंद में पुलिस बल के साथ पैदल गस्त की गई।
Chitrakoot Police @chitrakootpol Jun 4
#Chitrakoot #DM_chitrakoot शिवशरणप्पा जी०एन० एवं #SPCkt अरुण कुमार सिंह की अध्यक्षता में आगामी त्योहार ईद-उल-अजहा (बकरीद) के दृष्टिगत कानून व्यवस्था,शांतिपूर्ण एवं परम्परागत तरीके से आपसी भाई-चारे के साथ त्योहार को मनाने के लिए पीस कमेटी की बैठक कलेक्ट्रेट सभागार में संपन्न हुई।
IANS HindiIans हिंदी @IANSKhabar 9h
दिल्ली: ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख डॉ. उमर अहमद इलियासी ने ईद उल अजहा पर कहा "यह बकरे की ईद नहीं है। इसका नाम ईद उल अज़हा है। यह त्योहार समर्पण, आज्ञाकारिता, बलिदान का है...भारत एक सेक्युलर देश है जहां विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं। हमें सभी का सम्मान करना है। भारत की विशेषता है अनेकता में एकता। मैं मुसलमानों से कहना चाहता हूं कि वह उन्हीं जानवरों की कुर्बानी करें, जिसकी इजाज़त दी गई है। प्रशासन ने जो नियम लागू किए हैं उस पर अमल करना होगा। हर जगह जानवर को नहीं काटा जा सकता। निश्चित की गई जगहों पर जाकर ही कुर्बानी करें..."
DCP TRANS HINDON COMMISSIONERATE GHAZIABADडीसीपी ट्रांस हिंडन कमीशन गाजियाबाद
@DCPTHindonGZB 6 जून,
आज को डीसीपी, ट्रांस हिंडन जोन द्वारा आगामी त्यौहार बकरीद #ईद_उल_अजहा के दृष्टिगत शांति एवं कानून व्यवस्था बनाये रखने एवं आमजन में सुरक्षा का भाव जागृत करने के उद्देश्य से जोन के समस्त थाना क्षेत्रों में मय पुलिस बल फ्लैग मार्च किया गया ।श्रीमान जिलाधिकारी जनपद हमीरपुर व पुलिस अधीक्षक महोदया जनपद हमीरपुर के द्वारा थाना मौदहा पुलिस बल के साथ कस्बा मौदहा में पैदल गस्त कर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया गया तथा आगामी त्यौहार ईद उल-अजहा (बकरीद) के दृष्टिगत विशेष सतर्कता से ड्यूटी करने हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिए गये।
आगामी त्यौहार ईद उल-अजहा (बकरीद) के दृष्टिगत श्री शैलेष कुमार #DM_Bhadohi व श्री अभिमन्यु मांगलिक #SP_Bhadohi द्वारा पर्याप्त पुलिस बल के साथ #गोपीगंज क्षेत्र अंतर्गत किया जा रहा पैदल गस्त √मिश्रित आबादी वाले क्षेत्रों,प्रमुख मार्गों, चौराहों व बाजारों आदि में भ्रमण कर संदिग्ध व्यक्ति, वस्तु व वाहनों की, की जा रही सघन चेकिंग
√पैदल गश्त के दौरान आमजन से संवाद स्थापित कर आगामी त्यौहार को सौहार्दपूर्ण व शांतिपूर्वक मनाने हेतु गई अपील
√सुचारु यातायात व्यवस्था हेतु पटरी पर दुकान लगाने वाले दुकानदारों को हिदायत दी गई कि अपनी दुकान निर्धारित स्थान पर ही लगाएं ताकि यातायात बाधित न हो।
@Uppolice HAMIRPUR POLICE @hamirpurpolice 6h
श्रीमान जिलाधिकारी जनपद हमीरपुर व पुलिस अधीक्षक महोदया जनपद हमीरपुर के द्वारा थाना मौदहा पुलिस बल के साथ कस्बा मौदहा में पैदल गस्त कर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया गया तथा आगामी त्यौहार ईद उल-अजहा (बकरीद) के दृष्टिगत विशेष सतर्कता से ड्यूटी करने हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिए गये।गोरखपुर पुलिस ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा की और सुनिश्चित किया कि सभी संवेदनशील क्षेत्रों में पुलिस बल तैनात हो।
सहारनपुर में ईद-उल-अजहा को मनाने के लिए जिले को सात ज़ोन और 22 सेक्टरों में विभाजित किया गया है। सभी थाना प्रभारियों को संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं।
पुलिस ने सभी स्थानों पर सोशल मीडिया पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं, कोई भी विवादित सामग्री साझा करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ईद के दिन सड़क पर नमाज न पढ़ने और कुर्बानी के वीडियो साझा न करने की सलाह दी गई है।
मुस्लिम समुदाय ईद-उल-अजहा की तैयारी कर रहा है, जिसमें बाजारों में भीड़ और उत्साह दिखाई दे रहा है। नूंह में विशेष तैयारियाँ की जा रही हैं और स्थानीय प्रशासन ने एक शांति समिति की बैठक रखी थी ताकि समुदाय में सौहार्द की भावना बनी रहे।
ईद-उल-अजहा के अवसर पर पुलिस की तरफ से उठाए गए कदम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि यह त्योहार शांतिपूर्ण और व्यवस्थित तरीके से मनाया जाए। स्थानीय समुदाय को भी सहयोग करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जिससे सामुदायिक सौहार्द स्थापित हो सके।
भारतीय रिजर्व बैंक के हॉलिडे कैलेंडर के अनुसार गुजरात, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और केरल में खुले रहेंगे। जून 2025 में बैंक विभिन्न अवसरों जैसे ईद-उल-अजहा (बकरीद)संत गुरु कबीर जयंती/सागा दावा, रथ यात्रा/कांग (रथजात्रा) और रेमना नी पर बंद रहेंगे। बकरीद (ईद-उल-अजहा) के अवसर पर 7 जून 2025 को ज्यादातर राज्यों में बैंक बंद रहेंगे। कुछ राज्यों में बैंकिंग से जुड़े कामकाज सामान्य दिनों की तरह जारी रहेंगे।छुट्टी के दिनों में भी डिजिटल बैंकिंग की सुविधाएं आम दिनों की तरह जारी रहेंगे।

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 राज्यसभा ने 12 घंटे की मैराथन बहस के बाद 128 मतों के पक्ष में और 95 मतों के खिलाफ पास

1995 के वक्फ संपत्तियों को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन करने का लक्ष्य
ग्रैंड मुफ्ती मुफ्ती नासिर-उल-इस्लाम वक्फ (संशोधन) बिल 2025 मुसलमानों के खिलाफ
232 सदस्यों ने वक्फ बिल के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय की संभावना तलाश रहे हैं।
वक्फ संस्थानों का वक्फ बोर्डों में अनिवार्य योगदान 7 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत
1 लाख रुपये से अधिक कमाने वाले वक्फ संस्थानों का राज्य लेखा परीक्षकों द्वारा ऑडिट
एक केंद्रीकृत पोर्टल वक्फ संपत्ति प्रबंधन को स्वचालित करेगा
प्रैक्टिस करने वाले (कम से कम पांच साल के लिए) अपनी संपत्ति वक्फ को दे सकते हैं
वक्फ घोषणा से पहले विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथों के लिए विरासत
कलेक्टर के पद से ऊपर का अधिकारी वक्फ संपत्तियों की जांच करेगा।
केंद्रीय और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल किया जाए।


कानपुर 4, अप्रैल, 2025
3, अप्रैल, 2025 नई दिल्ली
लोकसभा ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को मंजूरी दी, जिसमें शुक्रवार की सुबह राज्यसभा ने 12 घंटे की मैराथन बहस के बाद अपनी सहमति दी। यह विधेयक उच्च सदन में 128 मतों के पक्ष में और 95 मतों के खिलाफ पास हुआ। लोकसभा ने पहले ही गुरुवार को इस विधेयक को 288-232 वोटिंग के साथ मंजूर कर दिया था।
शुक्रवार को 17 घंटे की बैठक के बाद सुबह 4 बजे स्थगित हुई राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा, "हां में 128 और नहीं में 95, अनुपस्थित शून्य। विधेयक पारित हो गया है।" राज्यसभा ने मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024 को पारित कर दिया।
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में विधेयक पारित करने के लिए विधेयक पेश किया था, ने कहा कि सरकार ने न्यायाधिकरणों सहित विधेयक के तहत तंत्र को मजबूत किया है।
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पर बहस के बारे में शीर्ष 10 चर्चाये
राज्यसभा में मैराथन बहस के दौरान विपक्षी सदस्यों और सत्ता पक्ष के बीच कई बार झड़पें हुईं। कांग्रेस सदस्य सैयद नसीर हुसैन द्वारा विधेयक को लेकर सरकार की आलोचना करने के बाद, भारतीय जनता पार्टी के सदस्य राधा मोहन दास अग्रवाल ने उन पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि जब वह राज्यसभा के लिए चुने गए थे तो कर्नाटक में उनके समर्थकों द्वारा कथित तौर पर "पाकिस्तान जिंदाबाद" के नारे लगाए गए थे।
किरेन रिजिजू ने विपक्षी दलों पर वक्फ (संशोधन) विधेयक पर लोगों को गुमराह करने की कोशिश करने का आरोप लगाया और कहा कि इससे मुस्लिम समुदाय के करोड़ों लोगों को फायदा होगा। रिजिजू ने कहा कि संयुक्त संसदीय समिति द्वारा दिए गए कई सुझावों को संशोधित विधेयक में शामिल किया गया है।
रिजिजू ने कहा कि सरकार द्वारा वक्फ संपत्ति में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि एक बार जब कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति घोषित हो जाती है, तो उसका दर्जा नहीं बदला जा सकता है और यह उचित प्रक्रिया का पालन करके किया जाना चाहिए।
विपक्ष के नेता मलिकाजुर्न खड़गे ने कहा कि सरकार वक्फ (संशोधन) बिल के माध्यम से
मुसलमानों को दबाकर विवाद के बीज बोने की कोशिश कर रही है और सत्ताधारी पार्टी से अपील की कि देश में शांति और सामंजस्य को न बिगाड़े। खड़गे ने कहा कि यह विधेयक "असंवैधानिक" है और भारतीय मुसलमानों के लिए अच्छा नहीं है। उन्होंने सरकार से बिल को वापस लेने की अपील की, जिसमें बहुत सारी "गलतियां" हैं और इसे गरिमा का मुद्दा न बनाएं।
खड़गे ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ सरकार मुसलमानों की भूमि छीनकर अपने कॉरपोरेट दोस्तों को सौंपना चाहती है। राज्य सभा में हाउस के नेता जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर अपने राज में मुस्लिम महिलाओं को द्वितीय श्रेणी के नागरिक बनाने का आरोप लगाया। वक्फ (संशोधन) बिल पर एक बहस में भाग लेते हुए, भाजपा नेता ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने तिहरा तलाक प्रथा को रोककर मुस्लिम महिलाओं को मुख्यधारा में लाया।
राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (एससीपी) की सांसद फौज़िया खान ने कहा कि वे वक्फ संशोधन बिल 2025 के खिलाफ विरोध जारी रखेंगे। बीजू जनता दल के मुजीबुल्ला खान ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि पूरा मुस्लिम समुदाय इसके बारे में चिंतित है। हालाँकि, उनके पार्टी नेता राज्य सभा में शसमित पत्रा ने कहा कि पार्टी ने अपने सदस्यों को अपनी अंतरात्मा के अनुसार वोट करने की अनुमति दी है और कोई व्हिप जारी नहीं किया है। शसमित पत्रा ने कहा कि उन्होंने बिल के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया है।
प्रस्तावित विधेयक -- जिसे राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा -- 1995 के वक्फ संपत्तियों को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन करने का लक्ष्य है। जम्मू और कश्मीर के ग्रैंड मुफ्ती मुफ्ती नासिर-उल-इस्लाम ने कहा है कि वक्फ (संशोधन) बिल 2025 मुसलमानों के खिलाफ है। व 232 सदस्यों ने वक्फ बिल के खिलाफ मतदान किया है और कहा कि वे सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की संभावना तलाश रहे हैं।
वक्फ (संशोधन) विधेयक के अनुसार, वक्फ न्यायाधिकरणों को मजबूत किया जाएगा, एक संरचित चयन प्रक्रिया को बनाए रखा जाएगा और कुशल विवाद समाधान सुनिश्चित करने के लिए कार्यकाल तय किया जाएगा।
विधेयक के अनुसार, वक्फ संस्थानों का वक्फ बोर्डों में अनिवार्य योगदान 7 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है, जबकि 1 लाख रुपये से अधिक कमाने वाले वक्फ संस्थानों का राज्य प्रायोजित लेखा परीक्षकों द्वारा ऑडिट किया जाएगा।
एक केंद्रीकृत पोर्टल वक्फ संपत्ति प्रबंधन को स्वचालित करेगा, जिससे दक्षता और पारदर्शिता में सुधार होगा। विधेयक में प्रस्ताव है कि प्रैक्टिस करने वाले मुसलमान (कम से कम पांच साल के लिए) अपनी संपत्ति वक्फ को समर्पित कर सकते हैं, जो 2013 से पहले के नियमों को बहाल करता है।
इसमें प्राविधानित है कि महिलाओं को वक्फ घोषणा से पहले अपनी विरासत मिलनी चाहिए, जिसमें विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथों के लिए विशेष प्रावधान हैं।
इस विधेयक में प्राविधानित है कि कलेक्टर के पद से ऊपर का कोई अधिकारी वक्फ के रूप में दावा की गई सरकारी संपत्तियों की जांच करेगा।
इसमें यह भी प्राविधानित है कि कि समावेशिता के लिए केंद्रीय और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल किया जाए।




बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने किया स्वागत: प्राप्त फीडबैक के आधार पर अधिवक्ता संशोधन विधेयक में संशोधन: केंद्रीय कानून मंत्रालय

परामर्श के लिए 13 फरवरी, 2025 से अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2025 उपलब्ध था
परामर्श प्रक्रिया को अब समाप्त करने का निर्णय
बीसीआई ने स्वागत के साथ पारदर्शिता और रचनात्मक जुड़ाव के लिए सरकार की सराहना
शोधित विधेयक के मसौदे पर हितधारकों के साथ परामर्श करने के लिए नए सिरे से कार्रवाई
कानूनी शिक्षा और अभ्यास में सुधार अधिवक्ताओं के हितों के साथ संरेखित हों



कानपुर 23, फरवरी, 2025
फरवरी 22, 2025 नई दिल्ली: केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय ने घोषणा की है कि अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2025, जिसे 13 फरवरी, 2025 को सार्वजनिक परामर्श के लिए उपलब्ध कराया गया था, अब इसे प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर संशोधित किया जाएगा। प्राप्त सुझावों और चिंताओं की संख्या को ध्यान में रखते हुए, मंत्रालय ने अब परामर्श प्रक्रिया को समाप्त करने का निर्णय लिया है और यह हितधारकों के परामर्श के लिए संशोधन के साथ नए सिरे से विधेयक को संसाधित करेगा।
प्राप्त सुझावों और चिंताओं की संख्या पर विचार करते हुए, परामर्श प्रक्रिया को अब समाप्त करने का निर्णय लिया गया है। प्राप्त फीडबैक के आधार पर संशोधित विधेयक के मसौदे पर हितधारकों के साथ परामर्श करने के लिए नए सिरे से कार्रवाई की जाएगी। जो हितधारकों और जनता के साथ पारदर्शिता और व्यापक जुड़ाव के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने इस कदम का स्वागत करते हुए अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2025 के प्रारूपण में हितधारकों के साथ पारदर्शिता और रचनात्मक जुड़ाव के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए केंद्र सरकार की सराहना की है। बीसीआई सरकार के सक्रिय रुख को पहचानता है और उसकी सराहना करता है, जिसने देश भर के अधिवक्ताओं की चिंताओं को गंभीरता से लिया है। यह निर्णय सार्थक बातचीत को समायोजित करने और यह सुनिश्चित करने की सरकार की इच्छा को दर्शाता है कि कानूनी शिक्षा और अभ्यास में सुधार अधिवक्ताओं के हितों के साथ संरेखित हों।
बार काउंसिल ऑफ वेस्ट बंगाल ने 'इसे एंटी-लॉयर बताया और 24 फरवरी को एडवोकेट्स (संशोधन) विधेयक पर न्यायिक कार्य से दूर रहने का संकल्प लिया ।
बीसीआई ने सभी बार एसोसिएशनों और कानूनी पेशेवरों से समय से पहले विरोध प्रदर्शन या हड़ताल से बचने और 24 फरवरी से अदालती काम फिर से शुरू करने का आग्रह किया है।
बीसीआई ने यह भी आश्वासन दिया है कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार के साथ सक्रिय रूप से बातचीत जारी रखेगा कि कानूनी पेशे की सभी वास्तविक चिंताओं का समाधान किया जाए।

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति समिति की बैठक 17 फरवरी, 2025 प्रस्तावित सदस्य विपक्ष के नेता और केंद्रीय कैबिनेट के एक मंत्री

चुनाव आयोग की लोकतंत्र की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को सुनिश्चित करने में भूमिका
मुख्य चुनाव आयुक्त के पद के लिए योग्य उम्मीदवारों का चयन की सिफारिश राष्ट्रपति को
मुख्य चुनाव आयुक्त भारतीय चुनाव आयोग का प्रमुख
वर्तमान मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार एवं अन्य दो निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार व एस.एस.सिंधु
संविधान र्निमाता डॉ. बी.आर. अम्बेडकर के अनुसार चुनाव मशीनरी को सरकार द्वारा नियंत्रित नहीं
संविधान अपनाने के 73 वर्षों बाद संसद द्वारा कोई कानून नहीं
चयन प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश और लोकसभा में विपक्ष के नेता की एक समिति द्वारा


कानपुर 17 फरवरी, 2025
नई दिल्ली 17 फरवरी, 2025 नई दिल्ली मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में चयन समिति की बैठक 
17 फरवरी, 2025 प्रस्तावित है । यह महत्वपूर्ण बैठक भारतीय लोकतंत्र चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को सुनिश्चित करने में भूमिका निभाती है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग देश में निश्चित, स्वतंत्र और न्यायपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने के लिए है। मुख्य चुनाव आयुक्त चुनाव आयोग के कार्यों को संचालित करने में सर्वोपरि होता है।भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 मुख्य चुनाव आयुक्त चयन समिति की बैठक में प्रधानमंत्री के अलावा विपक्ष के नेता और केंद्रीय कैबिनेट के एक मंत्री होते हैं। यह समिति मुख्य चुनाव आयुक्त के पद के लिए योग्य उम्मीदवारों का चयन करती है और उनकी सिफारिश राष्ट्रपति को भेजती है। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि नियुक्ति में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रही। मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल सात वर्ष का होता है, जो उनके कार्य को स्थिरता प्रदान करता है।
प्रस्तावित चुनाव आयोग की बैठक भारतीय लोकतंत्र की स्वतंत्रता और निष्पक्षता व मूल सिद्धांतों को बल देती है। मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से चुनाव प्रक्रिया में किसी भी पक्षपात या हस्तक्षेप नहीं होने संदेश जाता है। यह नियुक्ति प्रक्रिया भारतीय लोकतंत्र की मजबूती और स्वतंत्रता को मजबूत करती है।
आज की इस प्रस्तावित चुनाव आयोग की बैठक से उम्मीद कि चुनाव आयोग का नेतृत्व निष्पक्षता, पारदर्शिता और लोकतांत्रिक मूल्यों को सुनिश्चित करने में सक्षम होगा। यह नियुक्ति चुनाव आयोग के कार्यों को प्रभावित कर देश के लोकतांत्रिक भविष्य को आकार देगी।
भारतीय मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति
मुख्य चुनाव आयुक्त भारतीय चुनाव आयोग का प्रमुख होता है और भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से राष्ट्र और राज्य के चुनाव करवाने का उत्तरदायी होता हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति भारत का राष्ट्रपति करता है। वर्तमान में भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार है एवं अन्य दो निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार और एस.एस.सिंधु हैं
मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु, जो पहले हो, का होता है। चुनाव आयुक्त का सम्मान और वेतन भारत के सर्वोच्च न्यायलय के न्यायधीश के सामान होता है। मुख्य चुनाव आयुक्त को संसद द्वारा महाभियोग पर राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है। संविधान के अनुच्छेद 324 के अनुसार, चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त और राष्ट्रपति द्वारा तय की गई एक निश्चित संख्या में चुनाव आयुक्त होते हैं। भारत का चुनाव आयोग मतदाता सूची बनाने और संसद, राज्य विधानसभाओं और राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के कार्यालयों के लिए चुनाव आयोजित करने के लिए जिम्मेदार है।
संविधान के अनुसार राष्ट्रपति संसद अधिनियम द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करते हैं। पिछले दिनों संविधान सभा की बहस के दौरान यह चर्चा हुई थी कि राष्ट्रपति ये नियुक्तियाँ प्रधानमंत्री की सलाह के आधार पर करते हैं।
संविधान र्निमाता डॉ. बी.आर. अम्बेडकर के अनुसार चुनाव मशीनरी को सरकार द्वारा नियंत्रित नहीं किया जाना चाहिए। संविधान सभा के सदस्य इस बात पर सहमत हुए कि संसद को मुख्य चुनाव आयुक्त के सदस्यों की नियुक्ति के लिए विशिष्ट प्रक्रिया का निर्णय लेना चाहिए।
अनूप बरनवाल बनाम भारत संघ मामला चुनाव आयुक्त की स्वतंत्रता पर अनूप बरनवाल 2015 में एक जनहित याचिका दायर की, जिसमें सुप्रीम कोर्ट से मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों को चुनने के लिए एक निष्पक्ष प्रणाली बनाने के निर्देश देने की मांग की गई। मार्च 2023 में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति कैसे की जाए, संविधान अपनाने के 73 वर्षों बाद संसद द्वारा कोई कानून नहीं बनाया गया है ।
चुनाव सुधारों पर दिनेश गोस्वामी समिति (1990) और विधि आयोग जैसी समितियों ने चुनाव सुधारों पर अपनी 255वीं रिपोर्ट (2015) में सुझाव दिया था कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों का चयन प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश और लोकसभा में विपक्ष के नेता की एक समिति द्वारा किया जाना चाहिए।

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