सरकारी आवास में 14 मार्च, 2025 को लगी आग के बाद जली हुई नकदी रखी मिली थी
समिति ने उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया और उन्हें सुनवाई का अवसर नहीं दिया
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने उनके खिलाफ महाभियोग की सिफारिश की
औपचारिक शिकायत के उन्हें दोषी ठहराया मौलिक अधिकारों का उल्लंघन
भारतीय न्यायपालिका की आंतरिक प्रक्रिया और अनुशासन की वैधता को चुनौती
नई दिल्ली : 19 जुलाई 2025 :इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने सर्वोच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर कर आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट को चुनौती दी है, जिसमें उन पर सरकारी आवास में जली हुई नकदी रखने का आरोप लगाया गया था। यह स्थिति आपातकालीन आग की घटना के बाद उत्पन्न हुई, जब 14 मार्च, 2025 को उनके सरकारी आवास में आग लगी और वहाँ जली हुई राशि पाई गई।न्यायमूर्ति वर्मा की याचिका में कहा गया है कि आंतरिक जांच समिति ने उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना निष्कर्ष निकाले। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें सुनवाई का उचित अवसर नहीं दिया गया और समिति के निष्कर्ष बिना ठोस सबूत के आधारित हैं।
तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा एक महाभियोग की सिफारिश की गई थी, जिसे वर्मा ने रद्द करने की मांग की है। यह मामला अब संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले उठाया गया है और माना जा रहा है कि इस सत्र में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया जा सकता है।
वर्मा ने अपनी याचिका में यह भी कहा है कि आंतरिक जांच समिति ने उन्हें बिना किसी औपचारिक शिकायत के दोषी ठहराया और इस प्रक्रिया ने उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है। उन्होंने यह भी तर्क किया है कि जांच का प्रारंभ अनुचित था क्योंकि यह बिना किसी प्रारंभिक सूचना के शुरू किया गया था।
न्यायमूर्ति वर्मा ने महत्वपूर्ण कानूनी चुनौती पेश कर व्यक्तिगत प्रतिष्ठा और भारतीय न्यायपालिका की आंतरिक प्रक्रिया और उसके अनुशासन की वैधता को चुनौती दी है ।
केन्द्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा पर महाभियोग के मुद्दे पर सभी राजनीतिक दल एकमत हैं। न्यायमूर्ति वर्मा के नई दिल्ली आवास से भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी। मंत्री ने कहा कि इस मुद्दे पर विभिन्न राजनीतिक दलों के सभी वरिष्ठ नेताओं से बात की गई है।