कानपुर का मूल नाम ‘कान्हपुर’ था
नगर गंगा नदी के दक्षिण तट पर बसा हुआ है
कानपुर में ध्रुव ने जन्म लेकर परमात्मा की प्राप्ति के लिए बाल्यकाल में कठोर तप किया
1875 में बना लोम्बार्डिक गोथिक शैली में बना चर्च
एलेन फोरस्ट ज़ू देश के सर्वोत्तम चिड़ियाघरों में एक
नगर गंगा नदी के दक्षिण तट पर बसा हुआ है
कानपुर में ध्रुव ने जन्म लेकर परमात्मा की प्राप्ति के लिए बाल्यकाल में कठोर तप किया
1875 में बना लोम्बार्डिक गोथिक शैली में बना चर्च
एलेन फोरस्ट ज़ू देश के सर्वोत्तम चिड़ियाघरों में एक
Happy birthday kanpur!!!!!!
हरेक के जीवन में एक शहर होता है, जो जीवन जितना ही महत्वपूर्ण होता है।
@ मेरे जीवन में भी कानपुर उतना ही महत्वपूर्ण है जितना मां।
कानपुर में जन्मा ,समाज को जाना, छात्र राजनीति में गहरे से सक्रिय रहा,
@ दोस्त - यार आज तक संपर्क में हैं। यूं तो कानपुर गंगा के किनारे है मगर कानपुर स्वयं में अथाह प्रेम का सागर है।
मेरे एक उपन्यास ' एक शहर के विरुद्ध ' में कानपुर को भावनात्मक ढंग से जीने के अनुभव हैं।
@ हां, कानपुर में ही कविता जानी, कानपुर में ही कोई आत्मा तक उतर गया... कानपुर से हर बार छूछा होकर लौटता हूं...शायद इसीलिए कि अगली बार फिर भरने आऊं ।
... तुम अनंतकाल तक बने रहो मेरे प्यारे शहर।
#जन्मदिन मुबारक मेरे कानपुर
कानपुर का मूल नाम ‘कान्हपुर’ था। नगर की उत्पत्ति का सचेंदी के राजा हिंदूसिंह से, अथवा महाभारत काल के वीर कर्ण से संबद्ध होनाप्रमाणित है कि अवध के नवाबों में शासनकाल के अंतिम चरण में यह नगर पुराना कानपुर, पटकापुर, कुरसवाँ, जुही तथा सीमामऊ गाँवों के मिलकर बना था। पड़ोस के प्रदेश के साथ इस नगर का शासन भी कन्नौज तथा कालपी के शासकों के हाथों में रहा और बाद में मुसलमान शासकों के। १७७३ से १८०१ तक अवध के नवाब अलमास अली का यहाँ सुयोग्य शासन रहा।१७७३ की संधि के बाद यह नगर अंग्रेजों के शासन में आया, फलस्वरूप १७७८ ई. में यहाँ अंग्रेज छावनी बनी। गंगा के तट पर स्थित होने के कारण यहाँ यातायात तथा उद्योग धंधों की सुविधा थी। अतएव अंग्रेजों ने यहाँ उद्योग धंधों को जन्म दिया तथा नगर के विकास का प्रारंभ हुआ। सबसे पहले ईस्ट इंडिया कंपनी ने यहाँ नील का व्यवसाय प्रारंभ किया। १८३२ में ग्रैंड ट्रंक सड़क के बन जाने पर यह नगर इलाहाबाद से जुड़ गया। १८६४ ई. में लखनऊ, कालपी आदि मुख्य स्थानों से सड़कों द्वारा जोड़ दिया गया। ऊपरी गंगा नहर का निर्माण भी हो गया। यातायात के इस विकास से नगर का व्यापार पुन: तेजी से बढ़ा।
उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक औद्योगिक महानगर है। यह नगर गंगा नदी के दक्षिण तट पर बसा हुआ है। प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 80 किलोमीटर पश्चिम स्थित यहाँ नगर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी के नाम से भी जाना जाता है। ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यताओं के लिए चर्चित ब्रह्मावर्त (बिठूर) के उत्तर मध्य में स्थित ध्रुवटीला त्याग और तपस्या का सन्देश देता है
कानपुर में ध्रुव ने जन्म लेकर परमात्मा की प्राप्ति के लिए बाल्यकाल में कठोर तप किया और ध्रुवतारा बनकर अमरत्व की प्राप्ति की। रखरखाव के अभाव में टीले का काफी हिस्सा गंगा में समाहित हो चुका है लेकिन टीले पर बने दत्त मन्दिर में रखी तपस्या में लीन ध्रुव की प्रतिमा अस्तित्व खो चुके प्राचीन मंदिर की याद दिलाती रहती है। बताते हैं गंगा तट पर स्थित ध्रुवटीला किसी समय लगभग 19 बीघा क्षेत्रफल में फैलाव लिये था। इसी टीले से टकरा कर गंगा का प्रवाह थोड़ा रुख बदलता है। पानी लगातार टकराने से टीले का लगभग 12 बीघा हिस्सा कट कर गंगा में समाहित हो गया। टीले के बीच में बना ध्रुव मंदिर भी कटान के साथ गंगा की भेंट चढ़ गया। बुजुर्ग बताते हैं मन्दिर की प्रतिमा को टीले के किनारे बने दत्त मन्दिर में स्थापित कर दिया गया। पेशवा काल में इसकी देखरेख की जिम्मेदारी राजाराम पन्त मोघे को सौंपी गई। तब से यही परिवार दत्त मंदिर में पूजा अर्चना का काम कर रहा है। मान्यता है ध्रुव के दर्शन पूजन करने से त्याग की भावना बलवती होती है और जीवन में लाख कठिनाइयों के बावजूद काम को अंजाम देने की प्रेरणा प्राप्त होती है।
कानपुर के मुख्य दर्शनीय स्थल
सिध्द धाम शोभन मंदिर, नानाराव पार्क ,ब्लू वर्ल्ड ,चिड़ियाघर, राधा-कृष्ण मन्दिर, सनाधर्म मन्दिर, काँच का मन्दिर, श्री हनुमान मन्दिर पनकी, सिद्धनाथ मन्दिर, जाजमऊ आनन्देश्वर मन्दिर परमट, जागेश्वर मन्दिर चिड़ियाघर के पास, सिद्धेश्वर मन्दिर चौबेपुर के पास, बिठूर साँई मन्दिर, गंगा बैराज, छत्रपति साहूजी महाराज विश्वविद्यालय (पूर्व में कानपुर विश्वविद्यालय), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, हरकोर्ट बटलर प्रौद्योगिकी संस्थान (एच.बी.टी.आई.), चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवँ प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, ब्रह्मदेव मंदिर, रामलला मंदिर (रावतपुर गांव ) बाबा श्री महाकालेश्वर धाम बर्रा 5 इत्यादि
जाजमऊ
जाजमऊ को प्राचीन काल में सिद्धपुरी नाम से जाना जाता था। यह स्थान पौराणिक काल के राजा ययाति के अधीन था। वर्तमान में यहां सिद्धनाथ और सिद्ध देवी का मंदिर है। साथ ही जाजमऊ लोकप्रिय सूफी संत मखदूम शाह अलाउल हक के मकबरे के लिए भी प्रसिद्ध है। इस मकबरे को 1358 ई. में फिरोज शाह तुगलक ने बनवाया था। 1679 में कुलीच खान की द्वारा बनवाई गई मस्जिद भी यहां का मुख्य आकर्षण है। 1957 से 58 के बीच यहां खुदाई की गई थी जिसमें अनेक प्राचीन वस्तुएं प्राप्त हुई थी।
श्री राधाकृष्ण जे. के. मंदिर
जे. के. मंदिर बेहद खूबसूरत 70 साल पुराना है जिसे 1953 में जे. के. ट्रस्ट द्वारा बनवाया गया था। प्राचीन और आधुनिक शैली से निर्मित यह मंदिर कानपुर आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रहता है। यह मंदिर मूल रूप से श्रीराधाकृष्ण को समर्पित है। इसके अलावा श्री लक्ष्मीनारायण, श्री अर्धनारीश्वर, नर्मदेश्वर और श्री हनुमान को भी यह मंदिर समर्पित है। मंदिर परिसर में लगे फूल पौधे अकर्षित करते हैं।
जुग्गी लाल कमलापति मंदिर कानपुर के सर्वोदय नगर में है। मंदिर गोविंदनगर की तरफ जाने वाली रोड़ के किनारे पर बना हुआ है। जेके मंदिर के पास ही आरटीओ कार्यालय है और ठीक आगे 5 मिनट की पैदल दूरी पर रावतपुर क्रासिंग के पास रेव मोती मॉल स्थित है जहां आप शॉपिंग, मनोरंजन और भोजन का आनंद उठा सकते हैं।
मंदिर खुलने का समय : यह मंदिर सुबह 5 बजे से 12 बजे तक खुला रहता है और शाम 4 बजे से रात 10 बजे तक खुला रहता है। जेके मंदिर वीक में सभी दिन खुला रहता है। JK मंदिर में शाम 7 बजे प्रतिदिन भगवान की आरती की जाती है।
जैन ग्लास मंदिर
वर्तमान में यह मंदिर पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बन गया है। यह खूबसूरत नक्कासीदार मंदिर कमला टॉवर के विपरीत महेश्वरी मोहाल में स्थित है। मंदिर में ताम्रचीनी और कांच की सुंदर सजावट की गई है।
कमला रिट्रीट
कमला रिट्रीट एग्रीकल्चर कॉलेज के पश्चिम में स्थित है। इस खूबसूरत संपदा पर सिंहानिया परिवार का अधिकार है। यहां एक स्वीमिंग पूल बना हुआ है, जहां कृत्रिम लहरें उत्पन्न की जाती है। यहां एक पार्क और नहर है। जहां चिड़ियाघर के समानांतर बोटिंग की सुविधा है। कमला रिट्रीट में एक संग्रहालय भी बना हुआ है जिसमें बहुत सी ऐतिहासिक और पुरातात्विक वस्तुओं का संग्रह देखा जा सकता है। यहां जाने के लिए अनुमति अनिवार्य है।
फूल बाग
फूल बाग को गणेश उद्यान के नाम से भी जाना जाता है। इस उद्यान के मध्य में गणेश शंकर विद्यार्थी का एक मैमोरियल बना हुआ है। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद यहां ऑथरेपेडिक रिहेबिलिटेशन हॉस्पिटल बनाया गया था। यह पार्क शहर के बीचों बीच मॉल रोड पर बना है।
एलेन फोरस्ट ज़ू
1971 में खुला यह चिड़ियाघर देश के सर्वोत्तम चिड़ियाघरों में एक है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह देश का तीसरा सबसे बड़ा चिड़ियाघर है और यहाँ 1250 जानवर हैं। कुछ समय पिकनिक के तौर पर बिताने और जीव-जंतुओं को देखने के लिए यह चिड़ियाघर एक बेहतरीन जगह है। इस चिड़ियाघर में मिनी ट्रेन और विधुत रिक्शा भी चलता है।
कानपुर मैमोरियल चर्च
1875 में बना यह चर्च लोम्बार्डिक गोथिक शैली में बना हुआ है। यह चर्च उन अंग्रेज़ों को समर्पित है जिनकी 1857 के विद्रोह में मृत्यु हो गई थी। ईस्ट बंगाल रेलवे के वास्तुकार वाल्टर ग्रेनविले ने इस चर्च का डिजाइन तैयार किया था।
नाना राव पार्क
नाना राव पार्क फूल बाग से पश्चिम में स्थित है। 1857 में इस पार्क में बीबीघर था। आज़ादी के बाद पार्क का नाम बदलकर नाना राव पार्क रख दिया गया।
जेड स्क्वायर मॉल
कानपुर के बड़ा चौराहे पर स्थित जेड स्क्वायर मॉल को एशिया के सबसे बड़े मॉल्स में गिना जाता है। वर्तमान में मॉल शहर का सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र है। मॉल में कई सारी खाने पीने और खरीदारी करने के लिए कई ब्रांडेड शोरूम हैं ।जहां खानें पीने के साथ शॉपिंग का आनंद उठा सकते हैं। मनोरंजन करने के लिए आधुनिक सिनेमा हॉल भी बनाएं गए हैं। साप्ताहिक अवकाश में कीमती समय व्यतीत करने के लिए आदर्श जगह है।
श्री श्री राधा माधव मंदिर (इस्कॉन मंदिर)
श्री श्री राधा माधव मंदिर जिसे "इस्कॉन मंदिर" के नाम से जाना जाता है, मैनावती मार्ग, बिठूर रोड पर स्थित एक भव्य मंदिर है।
बिठूर
कानपुर के पास गंगा नदी के किनारे स्थित बिठूर के घाट का पौराणिक महत्व है। किनारे पर बने ब्रम्ह वर्त और पत्थर घाट बहुत फेमस घाट है। अमावस्या और पूर्णिमा को लोग स्नान कर डुबकी लगाते हैं और सूर्य भगवान को जल अर्पित करते हैं।
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