इस्लामिक कैलेंडर के 10वें महीने शव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है
रमज़ान की शुरुआत 2 मार्च 2025 से हुई थी
ईद की संभावित तिथि 31 मार्च या 1 अप्रैल 2025
मुस्लिम दूसरे धर्म के साथ भी मिलकर दावत में आमंत्रित कर सलामती और बरक्कत की दुआ
कानपुर :29 मार्च 2025
ईद का त्योहार खुशियों का त्योहार के साथ रोजों के एवज में अल्लाह से मिला ईनाम भी माना जाता है. एक महीने तक रोजा रखने के बाद जब शव्वाल का चांद आसमान में नजर आता है तो अगले दिन धूमधाम से ईद का त्योहार मनाया जाता है. रमजान ईद को ईद-उल-फितर, ईद-अल-फितर, मीठी ईद जैसे कई नामों से जाना जाता है. रमजान महीना के अन्तिम दिन है । और दुनिया भर के लोग ईद की तैयारियों में जुट गए हैं. इस्लामिक कैलेंडर चंद्रमा पर आधारित होता है और इस्लाम धर्म में सूर्यास्त के बाद नई तिथि की शुरुआत होती है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार इस समय नौंवा महीना रमजान चल रहा है और ईद अल-फितर का पर्व इस्लामिक कैलेंडर के 10वें महीने शव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है, जो रमज़ान के खत्म होने का संकेत देता है। इस बार रमज़ान की शुरुआत 2 मार्च 2025 से हुई थी. चाँद देखने की प्रक्रिया धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण है, और यह तय करता है कि पूरा समुदाय एक साथ इस खुशी के पर्व को किस दिन मनाएगा.
ईद के चाँद की पहली नज़र 29 मार्च 2025 को होने की उम्मीद के साथ ईद की तैय्यारी का माहौल शुरू होगया है ।
भारत में ईद अल-फितर 2025 के लिए संभावित तारीखें 31 मार्च या 1 अप्रैल हैं। यह चाँद के दीदार पर निर्भर करेगी, जो रमज़ान के पवित्र महीने के अंत को चिन्हित करती है। यदि 30 मार्च 2025 को चाँद नजर आता है, तो ईद 31 मार्च (सोमवार) को, यदि चाँद 31 मार्च को तो ईद 1 अप्रैल (मंगलवार) को प्रस्तावित है।
ईद-उल-फितर या फिर जिसे सिर्फ ईद के नाम से भी जाना जाता है, मुस्लिम समुदाय के लोगों के प्रमुख त्योहारों में से एक है। ईद-उल-फितर का यह पर्व रमजान के 30 रोजों के बाद चांद देखकर मनाया जाता है। वैसे तो इस पर्व को मनाये जाने के लेकर कई सारे मत प्रचलित है लेकिन जो इस्लामिक मान्यता सबसे अधिक प्रचलित है उसके अनुसार इसी दिन पैगम्बर मोहम्मद साहब ने बद्र के युद्ध में विजय प्राप्त की थी। तभी से इस पर्व का आरंभ हुआ और दुनियां भर के मुसलमान इस दिन के जश्न को बड़ी ही धूम-धाम के साथ मनाने लगे। इस अवसर पर मुसलमान बुनियादी दुआओं का पालन करते हैं और इफ्तार में परिवार और दोस्तों के साथ मीठे पकवानों का आदान-प्रदान करते हैं। ईद का पर्व भाईचारे, प्रेम और सामूहिकता का प्रतीक है, जो जरूरतमंदों की सहायता और अल्लाह का आभार प्रकट करने का भी अवसर है. ईद-उल-फितर भाईचारे और प्रेम को बढ़ावा देने वाला त्योहार है इस दिन को मुस्लिम समुदाय के लोग दूसरे धर्म के लोगों के साथ भी मिलकर अपने घरों पर दावत में आमंत्रित करते तथा अल्लाह से अपने परिवार और दोस्तों के सलामती और बरक्कत की दुआ कर धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।
ईद का त्योहार खुशियों का त्योहार के साथ रोजों के एवज में अल्लाह से मिला ईनाम भी माना जाता है. एक महीने तक रोजा रखने के बाद जब शव्वाल का चांद आसमान में नजर आता है तो अगले दिन धूमधाम से ईद का त्योहार मनाया जाता है. रमजान ईद को ईद-उल-फितर, ईद-अल-फितर, मीठी ईद जैसे कई नामों से जाना जाता है. रमजान महीना के अन्तिम दिन है । और दुनिया भर के लोग ईद की तैयारियों में जुट गए हैं. इस्लामिक कैलेंडर चंद्रमा पर आधारित होता है और इस्लाम धर्म में सूर्यास्त के बाद नई तिथि की शुरुआत होती है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार इस समय नौंवा महीना रमजान चल रहा है और ईद अल-फितर का पर्व इस्लामिक कैलेंडर के 10वें महीने शव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है, जो रमज़ान के खत्म होने का संकेत देता है। इस बार रमज़ान की शुरुआत 2 मार्च 2025 से हुई थी. चाँद देखने की प्रक्रिया धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण है, और यह तय करता है कि पूरा समुदाय एक साथ इस खुशी के पर्व को किस दिन मनाएगा.
ईद के चाँद की पहली नज़र 29 मार्च 2025 को होने की उम्मीद के साथ ईद की तैय्यारी का माहौल शुरू होगया है ।
भारत में ईद अल-फितर 2025 के लिए संभावित तारीखें 31 मार्च या 1 अप्रैल हैं। यह चाँद के दीदार पर निर्भर करेगी, जो रमज़ान के पवित्र महीने के अंत को चिन्हित करती है। यदि 30 मार्च 2025 को चाँद नजर आता है, तो ईद 31 मार्च (सोमवार) को, यदि चाँद 31 मार्च को तो ईद 1 अप्रैल (मंगलवार) को प्रस्तावित है।
ईद-उल-फितर या फिर जिसे सिर्फ ईद के नाम से भी जाना जाता है, मुस्लिम समुदाय के लोगों के प्रमुख त्योहारों में से एक है। ईद-उल-फितर का यह पर्व रमजान के 30 रोजों के बाद चांद देखकर मनाया जाता है। वैसे तो इस पर्व को मनाये जाने के लेकर कई सारे मत प्रचलित है लेकिन जो इस्लामिक मान्यता सबसे अधिक प्रचलित है उसके अनुसार इसी दिन पैगम्बर मोहम्मद साहब ने बद्र के युद्ध में विजय प्राप्त की थी। तभी से इस पर्व का आरंभ हुआ और दुनियां भर के मुसलमान इस दिन के जश्न को बड़ी ही धूम-धाम के साथ मनाने लगे। इस अवसर पर मुसलमान बुनियादी दुआओं का पालन करते हैं और इफ्तार में परिवार और दोस्तों के साथ मीठे पकवानों का आदान-प्रदान करते हैं। ईद का पर्व भाईचारे, प्रेम और सामूहिकता का प्रतीक है, जो जरूरतमंदों की सहायता और अल्लाह का आभार प्रकट करने का भी अवसर है. ईद-उल-फितर भाईचारे और प्रेम को बढ़ावा देने वाला त्योहार है इस दिन को मुस्लिम समुदाय के लोग दूसरे धर्म के लोगों के साथ भी मिलकर अपने घरों पर दावत में आमंत्रित करते तथा अल्लाह से अपने परिवार और दोस्तों के सलामती और बरक्कत की दुआ कर धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।
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