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Times of India

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कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष और सांसद सोनिया गांधी भारत को एक समग्र सभी स्तरों पर अभिप्रेरित और सामंजस्यपूर्ण समावेशी शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता है।

सार्वजनिक सेवा की भावना से मुक्त भारतीय शिक्षाकेंद्र सरकार के साथ सत्ता का केंद्रीकरण,
निजी क्षेत्र में शिक्षा में निवेश का व्यावसायीकरण और
आउटसोर्सिंग, पाठ्यपुस्तकों, पाठ्यक्रम और संस्थानों का सांप्रदायिकरण.
विश्वविद्यालयों में खराब शिक्षण और गुणवत्ता वाले शासन-अनुकूल विचारधारा की मनमानी नियुक्ति
कानपुर 1 अप्रैल 2025
31, मार्च, 2025 नई दिल्ली
कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष और सांसद सोनिया गांधी ने 'आज भारतीय शिक्षा को प्रभावित करने वाले 3सी' शीर्षक लेख में भारतीय शिक्षा व्यवस्था की चुनौतियों और सरकारी नीतियों पर गहरा विचार प्रस्तुत किया है। सोनिया गांधी के अनुसार भारतीय शिक्षा को ‘3सी’ का सामना करना पड़ रहा है – केंद्रीकरण, कमर्शियलाइजेशन और कम्युनिलिज्म. केंद्र की सरकार देश के शैक्षिक ढांचे को कमजोर कर “नुकसानदेह नतीजों की ओर ले जाने वाले एजेंडे” पर चल रही है. यह पिछले एक दशक में केंद्र सरकार के ट्रैक रिकॉर्ड से स्पष्ट है कि शिक्षा में तीन मुख्य एजेंडा - केंद्र सरकार के साथ सत्ता का केंद्रीकरण, निजी क्षेत्र में शिक्षा में निवेश का व्यावसायीकरण और आउटसोर्सिंग, पाठ्यपुस्तकों, पाठ्यक्रम और संस्थानों का सांप्रदायिकरण.” का सफल कार्यान्वयन है
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की आलोचना कर लिखती है , “हाई-प्रोफाइल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 भारत के बच्चों और युवाओं की शिक्षा के प्रति बेहद उदासीन है. व सरकार की वास्तविकता को छिपा दिया है सरकार समग्र शिक्षा अभियान के तहत मिलने वाले अनुदान को रोककर राज्य सरकारों को मॉडल स्कूलों की पीएम-श्री योजना को लागू करने के लिए मजबूर कर रही है.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णयों में राज्य सरकारों को बाहर रखने का आरोप लगाया कि एक राष्ट्रीय नीति के निर्माण में स्थानीय आवश्यकताओं और राज्यों की विशिष्टताओं का समावेश होना आवश्यक है।
सोनिया गांधी केअनुसार केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड, जिसमें केंद्रीय और राज्य शिक्षा मंत्री शामिल होते हैं, की बैठकें सितंबर 2019 से आयोजित नहीं की गई हैं।. उन्होंने सरकार पर राज्यों से परामर्श न करने और उनके विचारों पर विचार न करने का आरोप लगाया है.यह नीति निर्माण में संवाद और सहयोग की कमी है। राज्य सरकारों की अनुपस्थिति से स्पष्ट है कि शिक्षा संबंधी निर्णय स्थानीय संदर्भों की उपेक्षा कर रहे हैं, जो लंबे समय में भारतीय शिक्षा प्रणाली के समग्र विकास में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
“एनईपी 2020 के माध्यम से शिक्षा में प्रतिमान बदलाव को अपनाने और लागू करने के दौरान केंद्र सरकार ने इन नीतियों के कार्यान्वयन पर सरकार की जिद का प्रमाण है कि वह अपने अलावा किसी और की आवाज नहीं सुनती, यहां तक कि ऐसे विषय पर भी जो भारतीय संविधान की समवर्ती सूची में है.
पिछले एक दशक में शिक्षा प्रणालियों को व्यवस्थित रूप से “सार्वजनिक सेवा की भावना से मुक्त कर दिया गया है और शिक्षा नीति को शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच के बारे में किसी भी चिंता से मुक्त कर दिया गया है.”
संवाद की कमी के साथ-साथ “धमकाने की प्रवृत्ति” भी बढ़ी है पीएम-श्री (या पीएम स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया) योजना खुलेआम शिक्षा प्रणाली का व्यावसायीकरण है
हमने देश मे “2014 से, हमने देश भर में 89,441 सरकारी स्कूलों को बंद और और 42,944 अतिरिक्त निजी स्कूलों की स्थापना की गई है. देश के गरीबों को सरकारी शिक्षा से बाहर कर दिया गया है और उन्हें बेहद महंगी तथा कम विनियमित निजी स्कूल व्यवस्था के हाथों में धकेल दिया गया है.” उन्होंने यह भी कहा कि उच्च शिक्षा में केंद्र ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ब्लॉक अनुदान की पूर्ववर्ती प्रणाली के स्थान पर उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (हेफा) की शुरुआत की है.
“विश्वविद्यालयों को हेफा से बाजार ब्याज दरों पर ऋण लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिसे उन्हें अपने स्वयं के राजस्व से चुकाना होगा. अनुदान की मांग पर अपनी 364वीं रिपोर्ट में, शिक्षा पर संसदीय स्थायी समिति ने पाया कि इन ऋणों का 78% से 100% हिस्सा विश्वविद्यालयों द्वारा छात्र शुल्क के माध्यम से चुकाया जा रहा है. सार्वजनिक शिक्षा के वित्तपोषण से सरकार के पीछे हटने की कीमत छात्रों को फीस वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है.
केंद्र सरकार का तीसरा जोर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी की लंबे समय से चली आ रही वैचारिक परियोजना शिक्षा प्रणाली के माध्यम से नफरत पैदा करना और उसे बढ़ावा देना सांप्रदायिकता पर है . राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पाठ्यपुस्तकों को भारतीय इतिहास को संशोधित किया जा रहा है.
“महात्मा गांधी की हत्या और मुगल भारत पर अनुभागों को पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है. भारतीय संविधान की प्रस्तावना को पाठ्यपुस्तकों से हटा दिया गया था उसे जनता के विरोध के कारण सरकार को अनिवार्य रूप से शामिल करने के लिए बाध्य होना पड़ा.
विश्वविद्यालयों में खराब शिक्षण और छात्रवृत्ति की गुणवत्ता वाले शासन-अनुकूल विचारधारा पृष्ठभूमि के प्रोफेसरों की बड़े पैमाने पर मनमानी नियुक्ति की जा रही है , पंडित जवाहरलाल नेहरू ने आधुनिक भारत के मंदिर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों और भारतीय प्रबंधन संस्थानों में प्रमुख संस्थानों में शीर्ष पद सांप्रदायिक विचारधारा वालों के लिए आरक्षित कर दिया गया है.
शिक्षा क्षेत्र मे सामूहिक दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है। मात्र केंद्र का दृष्टिकोण अपनाने से नीति निर्माण का यह तंत्र एकतरफा होगा जिसका व्यापक प्रभाव शिक्षा की गुणवत्ता और सर्वसमावेशिता पर पड़ेगा। सोनिया गांधी का यह सिद्धांत कि शिक्षा के क्षेत्र में सभी स्तरों पर विचार-विमर्श होना चाहिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत को एक समग्र सभी स्तरों पर अभिप्रेरित और सामंजस्यपूर्ण समावेशी शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता है।

कानपुर 120/127 लाजपत नगर निवासी हरि आनंद की माता जी पुष्पा आनंद का स्वर्गवास शव यात्रा कल मंगलवार 1.04.2025 को प्रातः 10.30 बजे निज निवास से भैरव घाट

हरि आनंद की माता जी पुष्पा आनंद का स्वर्गवास सोमवार 31.03.2025 
शव यात्रा कल मंगलवार 1.04.2025  प्रातः 10.30 बजे   120/127 लाजपत नगर से भैरव घाट 
कानपुर

 कानपुर 31, मार्च, 2025
सोशल मीडिया पोस्ट से
Hari Anand
1 घंटे ·
बड़े दुःख के साथ सूचित किया जा रहा है कि मेरी माता जी पुष्पा आनंद का स्वर्गवास सोमवार 31.03.2025 को हो गया है। उनकी शव यात्रा कल मंगलवार 1.04.2025 को प्रातः 10.30 बजे निज निवास 120/127 लाजपत नगर से भैरव घाट जायेगी।
शोकाकुल- परिवार-
हरि आनंद(पुत्र)
जय आनंद, कृष्णा आनंद(पौत्र) एवं समस्त आनंद परिवार । 9935161404, 8707233383

'Three Cs haunt Indian education': Sonia Gandhi slams Centre over NEP

Sonia Gandhi has criticized the National Education Policy (NEP) 2020, accusing the BJP government of centralizing power, commercializing education, and promoting communal biases. She argues the policy undermines state governments, increases privatization, raises student fees, and revises educational content with ideological biases.

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Watch: Iran unveils massive underground ‘missile city’ as regional tensions mount

Iran has showcased its advanced missile capabilities in an underground facility, highlighting weapons with ranges up to 1,550 miles. The display, meant as a message to Israel and the US, comes amid escalating tensions and threats of potential military action from Washington.

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'Dictatorship?': Akhilesh Yadav accuses UP Police of stopping his convoy on Eid

Akhilesh Yadav, Samajwadi Party chief, accused the UP Police of unnecessary barricading on Eid in Lucknow, deeming it as a sign of dictatorship and emergency by the Yogi government. Police forces have increased security measures, including drone surveillance and CCTV monitoring, in sensitive areas for Eid and Ram Navami.

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IPL match today: MI vs KKR - everything you need to know

Struggling Mumbai Indians seek their first win in IPL 2025 against Kolkata Knight Riders at Wankhede Stadium tonight. MI faces the challenge without Jasprit Bumrah and underperforming Rohit Sharma, while KKR are boosted by Sunil Narine's return and aim to continue their winning momentum. Tonight will be the first home fixture of the season for Hardik Pandya-led MI.

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पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव, 2025 के परिणाम चुनावों में पहली बार तीन महिलाओं की शीर्ष पदों पर जीत

पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव 2025 परिणाम
एबीवीपी की मैथिली मृणालिनी पीयूएसयू अध्यक्ष चुनी जाने वाली पहली महिला मैथिली मृणालिनी : अध्यक्ष (ABVP)
धीरज कुमार : उपाध्यक्ष (निर्दलीय)
सलोनी राज : महासचिव (निर्दलीय)
रोहन सिंह : संयुक्त सचिव (NSUI)
सौम्या श्रीवास्तव : कोषाध्यक्ष (NSUI)
कानपुर 31, मार्च, 2025
31, मार्च, 2025 पटना सोशल मीडिया पोस्ट से
पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव, 2025 के परिणाम
रमीज राजा @RamizRajaNsuiPu
Mar 30मार्च 30
पटना विश्वविद्यालय में NSUI की ऐतिहासिक जीत! पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में NSUI ने सेन्ट्रल पैनल की दो सीटों, संयुक्त सचिव रोहन कुमार एवं कोषाध्यक्ष सौम्या श्रीवास्तव की जीत दर्ज हुई. यह जीत पटना विश्वविद्यालय के छात्रों के भरोसे की है।
सौरभ सिन्हा @Saurrabhsinha
मार्च 30
एतिहासिक जीत NSUI ने पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में पहली बार दो सीटों पर कब्जा किया है। संयुक्त सचिव एवं कोषाध्यक्ष पर हमारे दो उम्मीदवार रोहन कुमार और सौम्या श्रीवास्तव को जीत की बधाई ।एतिहासिक जीत NSUI ने पटनाविश्वविद्यालयछात्रसंघ चुनाव में पहली बार दो सीटों पर कब्जा किया है।
संयुक्त सचिव एवं कोषाध्यक्ष पर हमारे दो उम्मीदवार रोहन कुमार और सौम्या श्रीवास्तव को जीत की बधाई ।
सौरव राज @souravreporter2
मार्च 30
पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ का चुनाव परिणाम - 1. मैथिली मृणालिनी : अध्यक्ष (ABVP) 2. धीरज कुमार : उपाध्यक्ष (निर्दलीय) 3. सलोनी राज : महासचिव (निर्दलीय) 4. रोहन सिंह : संयुक्त सचिव (NSUI) 5. सौम्या श्रीवास्तव : कोषाध्यक्ष (NSUI)
विक्रांत रॉय @iamvikrantroy
·मार्च 30
पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव, 2025 के परिणाम ------ 1. मैथिली मृणालिनी : अध्यक्ष (ABVP) 2. धीरज कुमार : उपाध्यक्ष (निर्दलीय) 3. सलोनी राज : महासचिव (निर्दलीय) 4. रोहन : संयुक्त सचिव (NSUI) 5. सौम्या श्रीवास्तव : कोषाध्यक्ष (NSUI) सभी को बधाई...पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ (पुसू) के लिए हुए चुनावों में पहली बार तीन महिलाओं ने शीर्ष पदों पर जीत हासिल की है, जिसमें एबीवीपी की मैथिली मृणालिनी पीयूएसयू अध्यक्ष चुनी जाने वाली पहली महिला बनीं।
एक विजेता "गुणवत्तापूर्ण शिक्षा" सुनिश्चित करना चाहता है; दूसरा "पक्षपात और भ्रष्टाचार" के खिलाफ लड़ना चाहता है; और, तीसरा चाहता है कि "हर विभाग" में "डिजिटल लाइब्रेरी" स्थापित की जाए।
.उनके लक्ष्य अलग हो सकते हैं लेकिन साथ में, उन्होंने पहले ही एक शक्तिशाली संदेश दिया है। यह पहली बार है कि पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ (पुसू) के लिए हुए चुनावों में तीन महिलाओं ने शीर्ष पदों पर जीत हासिल की है।
शनिवार को घोषित परिणामों में एबीवीपी की मैथिली मृणालिनी को पीयूएसयू अध्यक्ष, निर्दलीय उम्मीदवार सलोनी राज को महासचिव और एनएसयूआई की सौम्या श्रीवास्तव को कोषाध्यक्ष चुना गया। अन्य शीर्ष पद निर्दलीय उम्मीदवार धीरज कुमार (उपाध्यक्ष) और एनएसयूआई के रोहन कुमार (संयुक्त सचिव) को दिए गए हैं।
पटना की एक अन्य ऐतिहासिक उपलब्धि में, मैथिली की जीत पहली बार है जब पुसू को एक महिला अध्यक्ष मिली है। उन्होंने कहा, 'यह वास्तव में बहुत बड़ा सम्मान है. इसके अलावा, इतिहास बनाया गया है कि महिलाओं ने पहली बार तीन शीर्ष स्थान जीते।

ईद के मौके पर सभी धर्मो के लोग जुटे कानपुर कल्चर का परिचय दिया ईद और नवरात्र साथ साथ मना रहे है ।

उधर से मां का आर्शीवाद तुम लो इधर से चांद हम देखें,
निगाहें यूं टकराएं की दो धर्मो की शाम हो जाए।
शुभकामनाये  ईद.उल.फितर व नवरात्र 2025

धृतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः।
धीर्विद्या सत्यमक्रोधो, दशकं धर्मलक्षणम् ॥
(धृति (धैर्य), क्षमा (दूसरों के द्वारा किये गये अपराध को माफ कर देना, क्षमाशील होना), दम (अपनी वासनाओं पर नियन्त्रण करना), अस्तेय (चोरी न करना), शौच (अन्तरंग और बाह्य शुचिता), इन्द्रिय निग्रहः (इन्द्रियों को वश मे रखना), धी (बुद्धिमत्ता का प्रयोग), विद्या (अधिक से अधिक ज्ञान की पिपासा), सत्य (मन वचन कर्म से सत्य का पालन) और अक्रोध (क्रोध न करना); ये दस मानव धर्म के लक्षण हैं।)
यही सभी धर्मो  मे अंकित है ।

कानपुर 31, मार्च, 2025
31, मार्च, 2025 
कानपुर में ईद और नवरात्र के अवसर पर विभिन्न धर्मों के लोग एकत्रित हुए हैं, जो इस शहर की विविध सांस्कृतिक और धार्मिक एकता को प्रदर्शित करता है। दोनों त्योहारों की तैयारियों के मद्देनजर स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
1. सुरक्षा व्यवस्था
ईद और नवरात्र के अवसर पर कानपुर पुलिस ने एक हजार अतिरिक्त पुलिसकर्मियों को तैनात किया है। सभी प्रमुख मंदिरों और मस्जिदों के आसपास सुरक्षा के लिए पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों की तैनाती की जा रही है, जिसमें ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों का उपयोग किया जाएगा.
2. सफाई और अन्य व्यवस्थाओं का निरीक्षण
जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने भी नवरात्र और ईद की तैयारियों का निरीक्षण किया। उन्होंने बेनाझाबर स्थित बड़ी ईदगाह और कई मंदिरों का दौरा किया, जहां उन्होंने सफाई और अन्य व्यवस्थाओं के बारे में निर्देश दिए.
3. धार्मिक उत्सवों का माहौल
नवरात्र के पहले दिन कानपुर के देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखी गई, जहां भक्तों ने विधि-विधान से पूजा अर्चना की। इस दौरान 'जय माता दी' और 'जय भवानी मां' के जयकारे गूंजते रहे.
4. परिवहन व्यवस्था में परिवर्तन
ईद और नवरात्र के पर्व के कारण कानपुर में यातायात व्यवस्था में बदलाव किए गए हैं। विशेष रूप से नवाज के दिन, शहर की यातायात व्यवस्थाएँ कुछ समय के लिए बदली जाएंगी ताकि नमाजी आसानी से ईदगाह पहुँच सकें.
कानपुर में ईद और नवरात्र का समारोह विविधता और एकता का प्रतीक है, जिसमें सभी धर्मों के लोग आपस में मिलकर त्योहार मनाते हैं। प्रशासन ने सुरक्षा और व्यवस्था के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि दोनों त्योहार शांति और सद्भावना के साथ मनाए जाएँ।

चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी का है, बेहद अलौकिक दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल लिए सभी भक्तजनो पर अपनी कृपा बरसाती है।

मां पार्वती का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी
कृपा से इंसान दुख-दर्द से मुक्त
मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी।
हजारों वर्षों तक केवल फल-फूल खाकर कठोर तप किया था।
मां ब्रह्मचारिणी ज्ञान, तप और वैराग्य की देवी मानी जाती हैं।
उनकी पूजा से व्यक्ति को संजीवनी शक्ति, आत्मविश्वास और संयम प्राप्त होता है।
कानपुर 31, मार्च, 2025
31, मार्च, 2025 कानपुर चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी का है, मां का ये रूप बेहद अलौकिक हैं। दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल लिए मां ब्रह्मचारिणी अपने हर भक्त पर अपनी कृपा बरसाती है। मां पार्वती का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी है, इनकी कृपा जिस पर भी हो जाए वो इंसान दुख-दर्द से मुक्त हो जाता है।
मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। उन्होंने हजारों वर्षों तक केवल फल-फूल खाकर कठोर तप किया था।
चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना का विशेष महत्व है। इस दिन देवी ब्रह्मचारिणी का पूजा विधि निम्नलिखित है:
पूजा विधि
स्नान और शुद्धता: प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करें। इसके बाद सफेद या पीला वस्त्र पहनें, क्योंकि यह मां को प्रिय रंग हैं.
पूजा स्थल की तैयारी: पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और वहां मां ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें.
अर्पण सामग्री: देवी को सफेद फूल, अक्षत, चंदन, धूप, दीप और अन्य पूजा सामग्री अर्पित करें। पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी) का भोग लगाना भी महत्वपूर्ण है.
मंत्र जाप: मां ब्रह्मचारिणी का बीज मंत्र "ऊं ऐं नमः" और अन्य मंत्रों का जाप करें.
आरती और प्रार्थना: पूजा के अंत में मां की आरती करें और अपने मनोकामनाओं की प्रार्थना करें.
प्रिय भोग
मां ब्रह्मचारिणी को विशुद्ध और सफेद मिठाइयां जैसे मिश्री और पंचामृत पसंद हैं। अतः, इन्हें अर्पित करने से मां प्रसन्न होती हैं.
महत्व
मां ब्रह्मचारिणी ज्ञान, तप और वैराग्य की देवी मानी जाती हैं। उनकी पूजा से व्यक्ति को संजीवनी शक्ति, आत्मविश्वास और संयम प्राप्त होता है। भक्तों के लिए उनकी पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.
इस प्रकार, चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करते समय उपरोक्त विधियों का पालन करना आवश्यक है। यह समय विशेष रूप से उनके प्रताप को साक्षात्कार करने और जीवन में सकारात्मकता और उन्नति लाने का अवसर है।

.केंद्र सरकार ने शुक्रवार को डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल को समाज और संविधान में उनके योगदान के लिए सार्वजनिक अवकाश के रूप में घोषित किया

भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, अम्बेडकर को मरणोपरांत 1990 में भारत रत्न प्रदान
जवाहरलाल नेहरू के पहले मंत्रिमंडल में 
अम्बेडकर  कानून और न्याय मंत्री 
सभी केंद्रीय सरकारी कार्यालय और औद्योगिक प्रतिष्ठान बंद रहेंगे

कानपुर 31, मार्च, 2025
31, मार्च, 2025 नई दिल्ली
"केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोशल मीडिया पर घोषणा करते हुए कहा, "संविधान के शिल्पी, समाज में समानता के नए युग की स्थापना करने वाले हमारे पूज्य बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की जयंती पर अब सार्वजनिक अवकाश होगा।
केंद्र सरकार ने 14 अप्रैल 2025 को डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर को समाज और संविधान में उनके योगदान को मान्यता देने के उद्देश्य से सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है।
बाबासाहेब डॉ. अंबेडकरने भारतीय संविधान का निर्माण किया और सामाजिक समानता के लिए दृढ़ता से संघर्ष किया। उनकी जयंती, जो 14 अप्रैल को मनाई जाती है, इस वर्ष सोमवार को पड़ रही है। इस दिन सभी केंद्रीय सरकारी कार्यालय और औद्योगिक प्रतिष्ठान बंद रहेंगे।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस निर्णय की जानकारी साझा करते हुए कहा कि यह देश के प्रति डॉ. अंबेडकर के योगदान की मान्यता है और समाज में समानता का संदेश फैलाने का प्रयास है। सरकारी आदेश के अनुसार, सभी मंत्रालय, विभाग और संबंधित कार्यालयों को अवकाश लागू करने का निर्देश दिया गया है।
इस अवकाश के दौरान, पाठशालाएँ, कॉलेज और सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे, विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों में डॉ. अंबेडकर के जीवन और उनके योगदान को याद किया जायेगा। यह अवसर जागरूकता, समानता और एकता को बढ़ावा दे डॉ. अंबेडकर के विचारों को जन-जन तक पहुँचाने में मदद करेगा है。
अवकाश की आधिकारिक सूचना विभिन्न संस्थानों, जैसे कि यूपीएससी और मानवाधिकार आयोग को भी भेजी जाएगी ताकि सभी को इसकी जानकारी मिल सके।
भीमराव रामजी अम्बेडकर ) एक भारतीय न्यायविद, अर्थशास्त्री, समाज सुधारक और राजनीतिक नेता थे, जिन्होंने उस समिति की अध्यक्षता की थी जिसने भारत की संविधान सभा की बहस और सर बेनेगल नरसिंग राव के पहले मसौदे के आधार पर भारत के संविधान का मसौदा तैयार किया था। अम्बेडकर ने जवाहरलाल नेहरू के पहले मंत्रिमंडल में कानून और न्याय मंत्री के रूप में कार्य किया। बाद में उन्होंने हिंदू धर्म को त्याग दिया, बौद्ध धर्म में परिवर्तित हो गए और दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया।
एल्फिंस्टन कॉलेज, बॉम्बे विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद, अम्बेडकर ने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अर्थशास्त्र का अध्ययन किया, क्रमशः 1927 और 1923 में डॉक्टरेट प्राप्त किया, और 1920 के दशक में किसी भी संस्थान में ऐसा करने वाले मुट्ठी भर भारतीय छात्रों में से थे। लंदन। अपने शुरुआती करियर में, वह एक अर्थशास्त्री, प्रोफेसर और वकील थे। उनका बाद का जीवन उनकी राजनीतिक गतिविधियों द्वारा चिह्नित किया गया था; वह विभाजन के लिए अभियान और बातचीत में शामिल हो गए, पत्रिकाओं को प्रकाशित किया, दलितों के लिए राजनीतिक अधिकारों और सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत की और भारत राज्य की स्थापना में योगदान दिया। 1956 में, उन्होंने दलितों के सामूहिक धर्मांतरण की शुरुआत करते हुए बौद्ध धर्म अपना लिया। भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार अम्बेडकर को मरणोपरांत 1990 में भारत रत्न प्रदान किया गया था। अनुयायियों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला अभिवादन जय भीम (जलाया "जय भीम") उनका सम्मान करता है। उन्हें सम्मानित बाबासाहेब (बाह-बə साह-हयब) द्वारा भी संदर्भित किया जाता है, जिसका अर्थ है "आदरणीय पिता"।

काठमांडू वापस आने पर पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह का स्वागत करने भीड़ ‘हमें अपना राजा वापस चाहिए’ तख्तियां ले उमड़ी पड़ोसी देश नेपाल में राजशाही की वापसी को लेकर हिंसक प्रदर्शन

‘संघीय गणतांत्रिक प्रणाली को समाप्त कर राजशाही स्थापित करो की मांग
उनके बड़े भाई बीरेंद्र शाह की परिवार सहित महल में हत्या कर दी गयी थी ।
झड़प में एक टीवी कैमरामैन समेत दो लोगों की मौत हो गई
नेपाल में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह को एक विवादास्पद और रहस्यमयी व्यक्ति के रूप में
कानपुर 31 मार्च 2025
30 मार्च 2025 पोखरा नेपाल पड़ोसी देश नेपाल में राजशाही की वापसी को लेकर प्रदर्शन हिंसक दौर में प्रवेश कर गया है. शुक्रवार को राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़प में एक टीवी कैमरामैन समेत दो लोगों की मौत हो गई. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कर्फ्यू लगा सेना को बुलाना पड़ा था, जो शनिवार सुबह हटा लिया गया.
राजशाही समर्थक तब से राजशाही की बहाली की मांग कर रहे हैं, जब से पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह ने लोकतंत्र दिवस (19 फरवरी) पर प्रसारित अपने वीडियो संदेश में समर्थन की अपील की थी. राजशाही समर्थक कार्यकर्ताओं ने नौ मार्च को भी 77 वर्षीय ज्ञानेंद्र शाह के समर्थन में उस समय एक रैली की थी जब वह देश के विभिन्न हिस्सों में धार्मिक स्थलों का दौरा करने के बाद पोखरा से त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरे थे. ज्ञानेंद्र शाह जब काठमांडू लौटे उनका स्वागत करने उमड़ी भीड़ ने तख्तियां ले रखी थीं जिन पर लिखा था, ‘हमें अपना राजा वापस चाहिए’, ‘संघीय गणतांत्रिक प्रणाली को समाप्त करो और राजशाही को पुनः स्थापित करो’ और ‘राजा और देश हमारे जीवन से भी प्यारे हैं. नेपाल में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह को एक विवादास्पद और रहस्यमयी व्यक्ति के रूप में देखा जाता है वह अपने समर्थकों के बीच हुए प्रदर्शनों की वजह से चर्चा में हैं। ज्ञानेंद्र का राजकीय जीवन और उनके परिवार के विरुद्ध आरोपों की कहानी ने नेपाल के राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित किया है।
ज्ञानेंद्र शाह को 2002 में नेपाल की राजगद्दी पर बैठाया गया जब उनके बड़े भाई बीरेंद्र शाह की परिवार सहित महल में हत्या कर दी गयी थी । उन्होंने 2005 में पूर्ण सत्ता पर कब्जा कर संवैधानिक मोड से बाहर निकलकर सरकार और संसद को भंग कर दिया। उनकी कड़ी शासन नीति और माओवादी विद्रोह के दौरान की गई कार्रवाईयों ने उन्हें 2008 में राजसी शासन समाप्त होने के बाद पद छोड़ने के लिए मजबूर किया।
राजा बीरेंद्र शाह की परिवार सहित महल में हत्या के मामले में आधिकारिक जांच के निष्कर्ष विवादास्पद रहे।
आत्महत्या का सिद्धांत: अधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, हत्या के बाद यह कहा गया कि रानी डीडी शाह के छोटे बेटे, राजकुमार निराजन ने परिवार के सदस्यों की हत्या की और फिर खुदकुशी कर ली। यह थ्योरी यह मानती है कि राजकुमार मानसिक रूप से अस्थिर थे।
संभावित षड्यंत्र: कुछ लोग इस घटना को एक राजनैतिक षड्यंत्र के रूप में देखते हैं, जिसमें नेपाल की राजशाही और अन्य राजनीतिक शक्तियों की भूमिका हो सकती है। यह थ्योरी कभी स्पष्ट रूप से सिद्ध नहीं हुई, लेकिन इस पर चर्चा होती रही है।
अन्य जांचें:  कुछ जांचें  घटना के पीछे कुछ और शक्तियों की संलिप्तता  व्यक्त 
करती है ।लेकिन उन्हें कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला। पूरी सत्यता आज तक स्पष्ट नहीं हुई है ।
नेपाल में राजशाही समर्थक प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। प्रदर्शन के दौरान काठमांडू में दो लोगों की मौत और कई अन्य घायल हुए। काठमांडू महानगरपालिका ने ज्ञानेंद्र पर 7,93,000 नेपाली रुपये का जुर्माना लगाया है, जो कि प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान के लिए है।ज्ञानेंद्र के पास सैकड़ों अरब डॉलर की अकूत संपत्ति व नेपाल में कई व्यवसाय और संपत्तियाँ शामिल हैं। वह व्यापक रूप से एक प्रभावशाली और आर्थिक रूप से सक्षम व्यक्ति है।राजशाही की बहाली की मांग, ज्ञानेंद्र की राजनीतिक सक्रियता, और उन पर लगे हिंसा के आरोप नेपाल में एक बार फिर से राजशाही के प्रति समर्थन को बढ़ावा दे रहे हैं। उनकी वापसी पर भारी जनसमर्थन और विरोध प्रदर्शन का आयोजन दोनों ही दर्शाते हैं कि नेपाल की जनता एक बार फिर से अपने पूर्व राजशाही के प्रति विचार कर रही है。

हिमाचल के मणिकर्ण में दर्दनाक हादसा एक बड़ा पेड़ कई गाड़ियों पर गिरा छह लोगों की मौत कई अन्य घायल

पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू किया
मृतकों में एक स्ट्रीट वेंडर, कार सवार एक व्यक्ति और तीन पर्यटक शामिल हैं
क्षेत्र में प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण सावधानी बरतने का आग्रह

कानपुर 30 मार्च 2025
30 मार्च 2025, हिमाचल प्रदेश के मणिकर्ण में एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसमें एक बड़ा पेड़ कई गाड़ियों पर गिर गया, जिसके परिणामस्वरूप छह लोगों की मौके पर ही मौत हो गई और कई अन्य घायल हुए हैं। इस घटना के पीछे तेज हवाओं और संभावित भूस्खलन का कारण बताया जा रहा है.
हादसा मणिकर्ण गुरुद्वारे के पास हुआ, जहाँ पेड़ गिरने से पीड़ितों में एक रेहड़ी चालक और कुछ पर्यटक शामिल थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, पेड़ अचानक गिर गया और इसकी चपेट में कई मँडलीय वाहन आ गए। पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू किया।
मृतकों में कुल्लू जिले के निवासी और कुछ पर्यटक शामिल थे। मृतक व्यक्तियों में:
रीना (कुल्लू निवासी)
बरशीणी (बंगलूरू की निवासी)
समीर गुरंग (नेपाली मूल)
इसके अलावा, दो महिलाओं और एक अन्य की पहचान अभी नहीं हो सकी है।
घायलों को इलाज के लिए कुल्लू अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहाँ कुछ की हालत गंभीर बताई गई है।
पुलिस, प्रशासन और स्थानीय लोगों ने मिलकर राहत कार्य में तेजी से योगदान दिया। भारी मलबे को हटाने और दबे हुए लोगों की खोज के लिए ऑपरेशन चलाया जा रहा है। अधिकारियों ने खराब मौसम और भूस्खलन की स्थिति के बारे में जनता को सतर्क रहने का आग्रह किया।
पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस घटना पर दुख व्यक्त किया और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदनाएं प्रकट की हैं। उन्होंने सरकार और प्रशासन से प्रभावी राहत कार्य सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
इस प्रकार, यह घटना न केवल मृतकों और घायलों के लिए, बल्कि पूरे समुदाय और राज्य के लिए अत्यंत दुखदायी है। राहत कार्य जारी है और सभी आवश्यक उपाय किए जा रहे हैं ताकि किसी भी संभावित भविष्य के खतरे को नियंत्रित किया जा सके।
हिमाचल प्रदेश कुल्लू में मणिकरण गुरुद्वारे के पास खड़ी गाड़ियों पर तेज हवाओं के कारण उखड़कर एक बड़ा कयाल का पेड़ गिर गया, जिससे वहां मौजूद लोग कुचल गए।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मृतकों में एक स्ट्रीट वेंडर, कार सवार एक व्यक्ति और तीन पर्यटक शामिल हैं। पेड़ गिरने का प्रभाव इतना गंभीर था कि बचाव प्रयासों को पीड़ितों को निकालने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा। कई अन्य लोग घायल हो गए और उन्हें इलाज के लिए पास के अस्पतालों में ले जाया गया। कुल्लू के एडीएम अश्विनी कुमार ने हताहतों की पुष्टि करते हुए कहा कि राहत और बचाव कार्य जारी है। उन्होंने कहा, "पुलिस और जिला प्रशासन की बचाव टीमों ने पांच घायलों को जरी के स्थानीय सामुदायिक अस्पताल में भर्ती कराया है।
अधिकारी मृतकों की पहचान करने की प्रक्रिया में हैं और क्षेत्र में प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण सावधानी बरतने का आग्रह कर रहे हैं।

कटक नेरगुंडी स्टेशन के पास आज सुबह करीब 11:54 बजे 12551 बैंगलोर-कामाख्या एसी सुपरफास्ट एक्सप्रेस के 11 डिब्बे पटरी से उतर गए। 1 व्यक्ति की मौत, 8 अन्य घायल

कटक, ओडिशा: ईस्ट कोस्ट रेलवे के खुर्दा रोड डिवीजन के पास 11 डिब्बे पटरी से उतर गए
बी-6 से बी-14 तक की बोगियां बेपटरी हो गई
एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) और आग सेवा के कर्मि तैनात
मौत और घायलों  के लिये हेल्पलाइन नंबर 8455885999 और 8991124238 जारी.


कानपुर 30 मार्च 2025
30 मार्च 2025, कटक ओडिशा 
सोशल मीडिया पोस्ट से
Sachin Guptaसचिन गुप्ता @SachinGuptaUP
·6h
ओडिशा के कटक में बेंगलुरु–कामाख्या सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन के 11 AC कोच पटरी से उतर गए। रेलवे PRO कह रहे हैं कि सभी यात्री सुरक्षित हैं। जबकि ANI के विजुअल में कुछ यात्री स्ट्रेचर पर ले जाए जा रहे हैं।
ANI_HindiNews@AHindinews
4h
#WATCH कटक, ओडिशा: ईस्ट कोस्ट रेलवे के खुर्दा रोड डिवीजन के कटक-नेरगुंडी रेलवे सेक्शन में नेरगुंडी स्टेशन के पास आज सुबह करीब #WATCHकटक, ओडिशा: ईस्ट कोस्ट रेलवे के खुर्दा रोड डिवीजन केकटक-नेरगुंडी रेलवे सेक्शन में नेरगुंडी स्टेशन के पास आज सुबह करीब 11:54 बजे 12551 बैंगलोर-कामाख्या एसी सुपरफास्टएक्सप्रेसके11डिब्बेपटरीसेउतरगए।
हादसे मेंएकव्यक्तिकी मृत्यु होगई है और 8 लोग घायल हैं। 11:54 बजे 12551 बैंगलोर-कामाख्या एसी सुपरफास्ट एक्सप्रेस के 11 डिब्बे पटरी से उतर गए। हादसे में एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई है और 8 लोग घायल हैं।
Neeraj Kundanनीरज कुंदन @Neerajkundan
·6h
ओडिशा के कटक जिले में आज बेंगलुरु से गुवाहाटी जा रही कामाख्या सुपरफास्ट एक्सप्रेस के कई डिब्बे पटरी से उतर जाने की घटना बेहद दुखद एवं चिंताजनक है। इस दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत हुई है, जबकि कई यात्रियों के घायल होने की सूचना है। 'रील' मंत्री अश्विनी वैष्णव जी के लिए यकीनन यह घटना भी छोटी होगी।
याद रखिए.. रेल यात्रियों की ज़िंदगी ‘वंदे भारत’ प्रचार से नहीं, सुरक्षित ट्रेनों से बदलेगी!
Afreen Rizviआफरीन रिज़वी @AfreenRizvi_88
उड़ीसा के कटक में बेंगलुरु कामाख्या एक्सप्रेस डिरेल होने के कारण 11 डिब्बे पटरी से उतरे। काफ़ी लोग घायल.
Rustam Qureshi ·
1 घंटा ·
उड़ीसा के कटक में बेंगलुरु कामाख्या एक्सप्रेस डिरेल होने के कारण 11 डिब्बे पटरी से उतरे।
ट्रेन नंबर 12551 बेंगलुरु-कामाख्या एसी सुपरफास्ट एक्सप्रेस के कुल 11 डिब्बे कटक-नेरगुंडी रेलवे सेक्शन में नेरगुंडी स्टेशन के पास पटरी से उतर गए।
ईस्ट कोस्ट रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अशोक कुमार मिश्रा ने बताया कि SMVT बेंगलुरु-कामाख्या एसी एक्सप्रेस के ग्यारह डिब्बे निर्गुंडी के पास मंगलुरी में सुबह 11:54 बजे पटरी से उतर गए।
इस हादसे में बी-6 से बी-14 तक की बोगियां बेपटरी हो गई। ट्रेन की बोगियां पटरी से उतरकर पास के जंगल और खेतों में जा गिरी हैं। घटना के बाद यात्रियों में हड़कंप मचा गया। इस दौरान कई यात्री ट्रेन से कूद गए। हादसे की जानकारी मिलते ही रेलवे ने इस लाइन पर चलने वाली अन्य ट्रेनें रद्द कर दिया।
उड़ीसा के कटक में ट्रेन संख्या 12551 बेंगलुरु-कामाख्या एसी सुपरफास्ट एक्सप्रेस डिरेल होने के कारण 11 डिब्बे पटरी से उतरे।
अब तक 5 यात्री की मृत्यु एवं कुछ यात्री घायल खबर... बचाव कार्य जारी।
N1 Live Haryana ·
4 घंटे ·
ओडिशा में हुई रेल दुर्घटना, कटक में बेपटरी हुई बेंगलुरु-गुवाहाटी कामाख्या एक्सप्रेस
ओडिशा में रेल दुर्घटना हुई है। खुर्दा रोड डिवीजन के अंतर्गत कटक-निरगुंडी रेलवे सेक्शन में निरगुंडी स्टेशन के पास बेंगलुरु-गुवाहाटी कामाख्या एक्सप्रेस (ट्रेन नंबर 12551) बेपटरी हो गई। यह हादसा सुबह करीब 11:54 बजे हुआ। हादसे में एसी सुपरफास्ट एक्सप्रेस के करीब 11 डिब्बे पटरी से उतर गए। अभी तक किसी के घायल होने या हताहत होने की खबर नहीं है। कुछ यात्रियों को मामूली चोटें आई हैं, जिन्हें कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया है। घटना की सूचना मिलते ही रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे। ट्रेन डिरेल होने का कारण अभी स्पष्ट नहीं है और इसकी जांच की जा रही है। यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए विशेष रेलगाड़ी की व्यवस्था की जा रही है। इस हादसे के चलते कई ट्रेनें प्रभावित हुई हैं।
ओडिशा के कटक जिले में रविवार, 30 मार्च 2025 को एक बड़ा रेल हादसा हुआ, जिसमें बेंगलुरू-कामाख्या एसी सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन के 11 डिब्बे पटरी से उतर गए। हादसा सुबह 11:54 बजे मंगुली के पास निरगुंडी रेलवे स्टेशन के निकट हुआ। इस दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि 8 अन्य घायल हुए हैं.
घटना की जानकारी
इस एक्सप्रेस ट्रेन जिसमें कुल 243 यात्री सवार थे, बेंगलुरु से गुवाहाटी के कामाख्या स्टेशन की ओर यात्रा कर रही थी। घटना के बाद, रेलवे ने तत्काल राहत कार्य शुरू किया और घायल यात्रियों को इलाज के लिए कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। हादसे के कारणों की जांच की जा रही है.
राहत और बचाव कार्य
घटना की सूचना मिलते ही रेलवे प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य में एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) और आग सेवा के कर्मियों को तैनात किया और फंसे हुए यात्रियों के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं। हेल्पलाइन नंबर हैं 8455885999 और 8991124238.
मौत और घायलों के बारे में जानकारी
हादसे में मृतक यात्री की पहचान नहीं हो पाई है, लेकिन घायलों में तीन पुरुष और पांच महिलाएं शामिल हैं। घायलों की स्थिति स्थिर बताई जा रही है।
कारणों की जांच
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि हादसे के कारणों की जांच के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है। घटना से प्रभावित रेल मार्ग पर कई ट्रेनों का रूट डायवर्ट किया गया है, जैसे धौली एक्सप्रेस, नीलांचल एक्सप्रेस और पुरुलिया एक्सप्रेस.
इस दुर्घटना ने फिर से भारतीय रेलवे की सुरक्षा प्रणाली पर सवाल उठाए हैं और सुरक्षा में सुधार के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता को उजागर किया है।

Nurses protect newborn babies during earthquake in China- Video

The viral video shows Chinese nurses protecting newborn babies during the Myanmar earthquake that caused significant infrastructure damage in nearby countries. They heroically held the cribs through violent tremors in a maternity center in Ruili, Yunnan Province, demonstrating exceptional bravery and compassion.

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कानपुर: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर ने राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा पुरस्कार 2024 में असाधारण प्रौद्योगिकी लाइसेंसिंग दर 12.91 % प्राप्त कर प्राप्त किया

वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल द्वारा आईआईटी कानपुर को सम्मान प्रदान ।
पुरस्कारों का उद्देश्य बौद्धिक संपदा परिदृश्य को बढ़ाने के योगदान को स्वीकार करना
एक वर्ष में बौद्धिक संपदा अधिकार की सबसे अधिक संख्या दर्ज

कानपुर 30 मार्च 2025
29 मार्च 2025, नई दिल्ली : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर (IITK) को नवाचार और बौद्धिक संपदा में अग्रणी मजबूत स्थिति के लिए भारतीय शैक्षणिक संस्थान - पेटेंट के प्रतिष्ठित राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा (IP) पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया गया है। भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित पुरस्कार समारोह में वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल द्वारा आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल अंशु सिंह, अनुसंधान प्रतिष्ठान अधिकारी, स्टार्टअप इनक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर, आईआईटी कानपुर को यह सम्मान प्रदान किया गया ।
आईआईटी कानपुर को विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) आईपी सेवाओं के शुरुआती अपनाने वालों और अभिनव उपयोगकर्ताओं को दिया जाने वाला राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। डब्ल्यूआईपीओ की वैश्विक मान्यता पहल के साथ संरेखित राष्ट्रीय आईपी पुरस्कारों का उद्देश्य भारत के बौद्धिक संपदा परिदृश्य को आगे बढ़ाने वाले संस्थानों और व्यक्तियों के योगदान को स्वीकार करना है।
प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने कहा, "आईआईटी कानपुर के लिए गर्व की बात है कि हमारे प्रयासों को राष्ट्रीय पुरस्कार के रुप मे मान्यता मिली है।
"हमारे शिक्षकों, शोधकर्ताओं और छात्रों ने लगातार सीमाओं को आगे बढ़ाया, और यह सम्मान दुनिया और भारत के लिए प्रभावशाली अनुवाद संबंधी अनुसंधान और तकनीकी प्रगति को चलाने में हमारे समर्पण को मजबूत करता है।
पेटेंट फाइलिंग और लाइसेंसिंग में आईआईटी कानपुर की निरंतर सफलता ने नवाचार के प्रमुख प्रवर्तक के रूप में अपनी भूमिका को और मजबूत किया।
संस्थान ने एक वर्ष में दायर किए गए बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) की सबसे अधिक संख्या दर्ज की, जिसने लगातार चौथे वर्ष उल्लेखनीय गति बनाए रखी। कुल 1,229 आईपीआर दायर किए गए और 860 प्रदान किए गए, आईआईटी कानपुर ने अनुसंधान और तकनीकी प्रगति का नेतृत्व करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया।संस्थान ने 2024 में लगभग 12.91 % प्राप्त करते हुए एक असाधारण प्रौद्योगिकी लाइसेंसिंग दर भी बनाए रखी।
राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा (IP) पुरस्कार 2024 का आयोजन पेटेंट, डिजाइन और ट्रेडमार्क महानियंत्रक कार्यालय (CGPDTM) द्वारा उन नवप्रवर्तकों, संस्थानों और उद्यमों को मनाने के लिए किया गया था जिन्होंने भारत में बौद्धिक संपदा निर्माण और व्यावसायीकरण को महत्वपूर्ण रूप से उन्नत किया है। ये पुरस्कार आईपी-संचालित पारिस्थितिकी तंत्र को प्रोत्साहित करने में उत्कृष्टता के लिए एक बेंचमार्क के रूप में कार्य करते हैं।

अंतर-संसदीय संघ की चिंता तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद महुआ मोइत्रा को 8 दिसंबर, 2023 को लोकसभा से निष्कासन कानून में स्थापित नहीं

एथिक्स कमेटी के पास निष्कासन की सिफारिश करने का कोई अधिकार नहीं
विपक्ष ने बदले की भावना' से प्रेरित बता निष्कासन का विरोध
कांग्रेस  नेता अधीर रंजन चौधरी व अन्य  महुआ को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया
संसद के प्रक्रियात्मक नियमों का उल्लंघन
आरोप कि उद्योगपति से पैसे के बदले में संसद में सवाल पूछे



कानपुर :29 मार्च 2025

कृष्णानगर पश्चिम बंगाल :28 मार्च 2025 तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद महुआ मोइत्रा ने सरकार पर छोटे व्यवसायों और श्रमिकों की कीमत पर क्रोनी पूंजीपतियों का पक्ष लेने का आरोप लगाया. दावा किया कि टैक्स नीतियां चुनिंदा कॉर्पोरेट घरानों को लाभ पहुंचा रही हैं सांसद को 8 दिसंबर, 2023 को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था। यह कार्रवाई संसद की एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर की गई, उन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी से पैसे के बदले में संसद में सवाल पूछे।महुआ मोइत्रा का निष्कासन संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा ने एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट को अनुमोदित किया। रिपोर्ट में कहा गया था कि मोइत्रा ने अपने संसद के लॉगिन आईडी और पासवर्ड को बाहरी लोगों के साथ साझा किया, जिससे सुरक्षा के उल्लंघन की आशंका हो गई।
महुआ मोइत्रा ने आरोप लगाया कि यह राजनीतिक-साजिश है और अदानी ग्रुप को बचाने के लिए निशाना बनाया गया "मैं अगली 30 वर्षों तक लड़ाई लड़ूँगी।" उन्होंने यह भी कहा कि एथिक्स कमेटी के पास निष्कासन की सिफारिश करने का कोई अधिकार नहीं था।
विपक्ष ने इसे 'बदले की भावना' से प्रेरित बता निष्कासन का विरोध किया । कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और अन्य विपक्षी नेताओं ने कहा कि महुआ को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया, जिससे संसद के प्रक्रियात्मक नियमों का उल्लंघन हुआ।
भारतीय राजनीति में प्रवेश करने के लिए 2009 में लंदन में जेपी मॉर्गन चेज में उपाध्यक्ष का अपना पद छोड़ भारतीय युवा कांग्रेस में शामिल हो गईं, जहां वह "आम आदमी का सिपाही" परियोजना में राहुल गांधी की भरोसेमंदों में थीं | 2010 में, वह तृणमूल कांग्रेस पार्टी में चली गईं. वह 2016 में हुए विधान सभा चुनावों में पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के करीमपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनी गईं. 2019 आम चुनावों में वह कृष्णानगर से 17वीं लोकसभा के लिए संसद सदस्य के रूप में चुनी गई. 13 नवंबर 2021 को, उन्हें 2022 गोवा विधानसभा चुनाव के लिए टीएमसी पार्टी के गोवा प्रभारी के रूप में नियुक्त किया गया |
महुआ मोइत्रा पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर से 17 वीं लोकसभा में सांसद हैं। उन्होंने 2019 के भारतीय आम चुनाव में चुनाव लड़ा और जीता। मोइत्रा ने 2016 से 2019 तक करीमपुर का प्रतिनिधित्व करते हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा के सदस्य के रूप में कार्य किया, और पिछले कुछ वर्षों से अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस के महासचिव और राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में कार्य किया है। राजनीति में आने से पहले वह एक निवेश बैंकर थीं।
मोइत्रा कोलकाता में स्कूल गई और बाद में माउंट होलीक कॉलेज, साउथ हैडली, मैसाचुसेट्स, संयुक्त राज्य अमेरिका से अर्थशास्त्र और गणित में स्नातक किया।
अंतर-संसदीय संघ (IPU) की चिंता यह बताते हुए कि पहली बार सांसद बने को 'कानून या लागू संसदीय नियमों के किसी भी उल्लंघन के अभाव में निष्कासित किया गया था'। संगठन ने कहा कि यह प्रकिया "कानून में स्थापित नहीं थी।
यह घटना भारतीय राजनीति में केवल महुआ मोइत्रा की व्यक्तिगत राजनीति सहित आने वाले चुनावों में राजनीतिक रुखों पर असर डालेगा ।

सारा विश्व खुशियो मे डूबा। ईद-उल-फितर हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई आपस मे है भाई भाई और प्रेम को बढ़ावा देने वाला त्योहार 31 मार्च या 1 अप्रैल 2025 को प्रस्तावित

इस्लामिक कैलेंडर के 10वें महीने शव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है
रमज़ान की शुरुआत 2 मार्च 2025 से हुई थी
ईद की संभावित तिथि 31 मार्च या 1 अप्रैल 2025
मुस्लिम दूसरे धर्म के साथ भी मिलकर दावत में आमंत्रित कर सलामती और बरक्कत की दुआ
कानपुर :29 मार्च 2025
ईद का त्योहार खुशियों का त्योहार के साथ रोजों के एवज में अल्लाह से मिला ईनाम भी माना जाता है. एक महीने तक रोजा रखने के बाद जब शव्वाल का चांद आसमान में नजर आता है तो अगले दिन धूमधाम से ईद का त्योहार मनाया जाता है. रमजान ईद को ईद-उल-फितर, ईद-अल-फितर, मीठी ईद जैसे कई नामों से जाना जाता है. रमजान महीना के अन्तिम दिन है । और दुनिया भर के लोग ईद की तैयारियों में जुट गए हैं. इस्लामिक कैलेंडर चंद्रमा पर आधारित होता है और इस्लाम धर्म में सूर्यास्त के बाद नई तिथि की शुरुआत होती है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार इस समय नौंवा महीना रमजान चल रहा है और ईद अल-फितर का पर्व इस्लामिक कैलेंडर के 10वें महीने शव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है, जो रमज़ान के खत्म होने का संकेत देता है। इस बार रमज़ान की शुरुआत 2 मार्च 2025 से हुई थी. चाँद देखने की प्रक्रिया धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण है, और यह तय करता है कि पूरा समुदाय एक साथ इस खुशी के पर्व को किस दिन मनाएगा.
ईद के चाँद की पहली नज़र 29 मार्च 2025 को होने की उम्मीद के साथ ईद की तैय्यारी का माहौल शुरू होगया है ।
भारत में ईद अल-फितर 2025 के लिए संभावित तारीखें 31 मार्च या 1 अप्रैल हैं। यह चाँद के दीदार पर निर्भर करेगी, जो रमज़ान के पवित्र महीने के अंत को चिन्हित करती है। यदि 30 मार्च 2025 को चाँद नजर आता है, तो ईद 31 मार्च (सोमवार) को, यदि चाँद 31 मार्च को तो ईद 1 अप्रैल (मंगलवार) को प्रस्तावित  
है।
ईद-उल-फितर या फिर जिसे सिर्फ ईद के नाम से भी जाना जाता है, मुस्लिम समुदाय के लोगों के प्रमुख त्योहारों में से एक है। ईद-उल-फितर का यह पर्व रमजान के 30 रोजों के बाद चांद देखकर मनाया जाता है। वैसे तो इस पर्व को मनाये जाने के लेकर कई सारे मत प्रचलित है लेकिन जो इस्लामिक मान्यता सबसे अधिक प्रचलित है उसके अनुसार इसी दिन पैगम्बर मोहम्मद साहब ने बद्र के युद्ध में विजय प्राप्त की थी। तभी से इस पर्व का आरंभ हुआ और दुनियां भर के मुसलमान इस दिन के जश्न को बड़ी ही धूम-धाम के साथ मनाने लगे। इस अवसर पर मुसलमान बुनियादी दुआओं का पालन करते हैं और इफ्तार में परिवार और दोस्तों के साथ मीठे पकवानों का आदान-प्रदान करते हैं। ईद का पर्व भाईचारे, प्रेम और सामूहिकता का प्रतीक है, जो जरूरतमंदों की सहायता और अल्लाह का आभार प्रकट करने का भी अवसर है. ईद-उल-फितर भाईचारे और प्रेम को बढ़ावा देने वाला त्योहार है इस दिन को मुस्लिम समुदाय के लोग दूसरे धर्म के लोगों के साथ भी मिलकर अपने घरों पर दावत में आमंत्रित करते तथा अल्लाह से अपने परिवार और दोस्तों के सलामती और बरक्कत की दुआ कर धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।

TopStories

A woman in MP's Ratlam district, turned away twice by a community health center despite being in labor, gave birth on a handcart, resulting in the baby's death. The administration has taken action against the medical staff involved, suspending two nurses and showcausing the block medical officer following an investigation.

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Refused admission twice, woman delivers on handcart in MP, baby dies

A woman in MP's Ratlam district, turned away twice by a community health center despite being in labor, gave birth on a handcart, resulting in the baby's death. The administration has taken action against the medical staff involved, suspending two nurses and showcausing the block medical officer following an investigation.

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उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती और प्रोन्नति बोर्ड (UPPRPB) ने अप्रैल और मई 2025 के बीच कुल 28,138 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित करने की घोषणा की है।

भर्ती में तहत सब इंस्पेक्टर, कांस्टेबल, जेल वार्डर, कंप्यूटर ऑपरेटर, रेडियो सहायक परिचालक और अन्य पद
आधिकारिक विज्ञप्ति अप्रैल महिने के अंत तक जारी होने की संभावना
सब-इंस्पेक्टर स्तर पर: 4,543 पद
कांस्टेबल स्तर पर: 22,053 पद
कंप्यूटर ऑपरेटर: 1,153 पद
रेडियो असिस्टेंट ऑपरेटर: 44 पद
भर्ती से संबंधित जानकारी UP Police भर्ती वेबसाइट पर अद्यतित होगी
कानपुर :29 मार्च 2025
लखनऊ :28 मार्च 2025 उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती और प्रोन्नति बोर्ड (UPPRPB) ने भर्ती की घोषणा की है। यह भर्ती अभियान अप्रैल और मई 2025 के बीच में आयोजित किया जाएगा। कुल 28,138 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे, जिनमें सब इंस्पेक्टर (SI), कांस्टेबल, जेल वार्डर, कंप्यूटर ऑपरेटर, रेडियो सहायक परिचालक और अन्य पद शामिल हैं।भर्ती के तहत भरे जाने वाले पद कुल 4,543 पद,जिसमें से 4,242 पद उपनिरीक्षक नागरिक पुलिस, 135 प्लाटून कमांडर (पीएसी), और 60 विशेष सुरक्षा बल के लिए हैं।कुल 19,220 पद,जिसमें विभिन्न स्तरों के कांस्टेबल जैसे पीएसी, विशेष सुरक्षा बल और नागरिक पुलिस शामिल हैं।कुल 2,833 पद।कंप्यूटर ऑपरेटर ग्रेड ए: 1,153 पद,रेडियो सहायक परिचालक: 44 पद।आवेदन प्रक्रिया
चयन प्रक्रियालिखित परीक्षा,शारीरिक दक्षता परीक्षा (PST),दस्तावेज़ सत्यापन और चिकित्सा परीक्षा शामिल होगी।
अप्रैल-मई 2025 में शुरू होने वाली भर्ती प्रक्रिया में विभिन्न पदों के लिए भर्तियां की जाएंगी, जिनका विवरण इस प्रकार है:सब-इंस्पेक्टर स्तर पर: 4,543 पद
कांस्टेबल स्तर पर: 22,053 पद
कंप्यूटर ऑपरेटर: 1,153 पद
रेडियो असिस्टेंट ऑपरेटर: 44 पद
सब-इंस्पेक्टर स्तर पर भर्ती (कुल 4,543 पद)सब-इंस्पेक्टर (सिविल पुलिस): 4,242 पद
प्लाटून कमांडर (पीएसी): 135 पद
प्लाटून कमांडर (स्पेशल फोर्स): 60 पद
महिला प्लाटून कमांडर: 106 पद (बदायूं, लखनऊ और गोरखपुर में)
2. कांस्टेबल स्तर पर भर्ती (कुल 22,053 पद)पीएसी, स्पेशल फोर्स और महिला पीएसी: 15,904 पद
सिविल पुलिस: 3,245 पद
माउंटेड पुलिस: 71 पद
जेल वार्डन: 2,833 पद
3. अन्य भर्तियांकंप्यूटर ऑपरेटर ग्रेड-ए: 1,153 पद
रेडियो असिस्टेंट ऑपरेटर: 44 पद
स्पोर्ट्स कोटा से भी भर्ती का अवसरसब-इंस्पेक्टर (सिविल पुलिस): 91 पद
कांस्टेबल (सिविल पुलिस): 372 पद
कांस्टेबल (पीएसी): 174 पद
भर्तियों के लिए आधिकारिक विज्ञप्ति अप्रैल महिने के अंत तक जारी होने की संभावना है। आवेदन पत्र भरने की प्रक्रिया शुरू होने से पहले उम्मीदवारों को सभी आवश्यक दस्तावेज़ों को तैयार रखने की सलाह दी गई है। जिन व्यक्तियों ने पिछले वर्षों में उम्मीदवारता के लिए प्रयास किया है, उन्हें भी इस बार आवेदन करने का अवसर मिलेगा।
चयन प्रक्रिया में:
उम्मीदवारों को न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता के अनुसार 12वीं पास से लेकर स्नातक होना चाहिए। आयु सीमा की जानकारी आधिकारिक विज्ञापन के माध्यम से दी जाएगी।
इस भर्ती से संबंधित जानकारी UP Police भर्ती वेबसाइट पर अद्यतित होगी।
इस भर्ती का उद्देश्य पुलिस बल को सुदृढ़ करना और प्रदेश में कानून व्यवस्था को बेहतर बनाना है।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान द्वारा आईआईटी कानपुर में एशिया के सबसे बड़े इंटरकॉलेजिएट तकनीकी और उद्यमिता महोत्सव 'टेककृति 2025' का उद्घाटन

प्रौद्योगिकी, नवाचार और उद्यमिता के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूने का संकल्प
थीम “Panta Rhei”"पंता रेई" (अर्थात सब कुछ बहता है) है
उद्घाटन में सबसे पहले फायरसाइड चैट
भविष्य के युद्धों की चुनौती साइबर सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग और संज्ञानात्मक तकनीक।
टेककृति में 'रक्षाकृति' नामक एक विशेष रक्षा प्रदर्शनी
कानपुर :28 मार्च 2025

11h
सोशल मीडिया पोस्ट सेचीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने आईआईटी कानपुर में एशिया के सबसे बड़े अंतर-महाविद्यालय तकनीकी और उद्यमशीलता महोत्सव 'टेककृति 2025' का उद्घाटन किया इस अवसर पर जनरल अनिल चौहान ने अपने संबोधन में भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए तकनीकी प्रगति, रणनीतिक सोच और अनुकूलनशीलता को अपनाने के महत्व पर बल दियाचीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने आज भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर में एशिया के सबसे बड़े इंटरकॉलेजिएट तकनीकी और उद्यमिता महोत्सव 'टेककृति 2025' का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रौद्योगिकी, नवाचार और उद्यमिता के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूने का संकल्प लेना है। उद्घाटन समारोह में जनरल चौहान ने खास तौर पर भारतीय सशस्त्र बलों में तकनीकी उन्नति और आधुनिकीकरण की आवश्यकता पर जोर दिया।
'टेककृति 2025' की इस वर्ष की थीम “Panta Rhei”"पंता रेई" (अर्थात सब कुछ बहता है) है, जो प्रौद्योगिकी और नवाचार के निरंतर विकास को दर्शाती है।
कार्यक्रम के उद्घाटन में सबसे पहले फायरसाइड चैट का आयोजन किया गया, जिसमें जनरल चौहान ने भविष्य के युद्धों की चुनौतियों पर चर्चा की जैसे साइबर सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग और संज्ञानात्मक तकनीक।
जनरल चौहान ने कहा कि रक्षा तकनीकी प्रगति के लिए अनुशासन, असहिष्णुता, साहस और बलिदान जैसे मूल्यों का पालन करना आवश्यक है। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि तकनीकी उन्नति और रणनीतिक सोच का पालन जरूरी है ताकि भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों का सामना किया जा सके।
जनरल चौहान ने भारतीय सशस्त्र बलों में तकनीकी उन्नति और आधुनिकीकरण की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने भविष्य के युद्धों, विशेष रूप से साइबर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम और संज्ञानात्मक प्रौद्योगिकियों के क्षेत्रों में तैयारी के बारे में विस्तार से बताया। अपने मुख्य भाषण के दौरान जनरल अनिल चौहान ने भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करने में तकनीकी नवाचार, रणनीतिक सोच और अनुकूलनशीलता को अपनाने के महत्व पर जोर दिया। विद्वानों, छात्रों और एनसीसी कैडेटों से युक्त दर्शकों को संबोधित करते हुए उन्होंने अनुशासन, लचीलापन, साहस और बलिदान के मूल्यों को रेखांकित किया। उद्घाटन समारोह में एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित, एओसी-इन-सी, मध्य वायु कमान और आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल सहित प्रमुख गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इस वर्ष की थीम, "पंता रेई" (सब कुछ बहता है), प्रौद्योगिकी और नवाचार के निरंतर विकास का प्रतीक है। टेककृति 2025 एक ऐतिहासिक आयोजन होने जा रहा है, जो प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और सहयोग में प्रगति को बढ़ावा देगा।
इस वर्ष टेककृति में 'रक्षाकृति' नामक एक विशेष रक्षा प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था, जो अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करने वाला एक समर्पित रक्षा एक्सपो था। इस विशेष खंड ने सशस्त्र बलों, शिक्षाविदों और रक्षा उद्योग के बीच तालमेल बढ़ाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया। जनरल चौहान ने नवोदित प्रौद्योगिकीविदों के साथ बातचीत की, अनुसंधान और नवाचार पर चर्चा को बढ़ावा दिया। इस आयोजन ने शोधकर्ताओं को उद्योग जगत के नेताओं से जुड़ने में सक्षम बनाया, जिससे स्वायत्त ड्रोन जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों के विकास को बढ़ावा मिला, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत हुई और आयात पर निर्भरता कम हुई।
उद्घाटन समारोह में एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित और आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल जैसे कई विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे।
'टेककृति 2025' ने तकनीकी नवाचारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है, जो युवा प्रतिभाओं को प्रेरित करने और राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में नए अवसरों के द्वार खोलने का कार्य कर रहा है।

म्यांमार थाईलैंड और बांग्लादेश में 28 मार्च 2025 को आया 7.7 तीव्रता का विनाशकारी भूकंप मांडले से लेकर थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक तक तबाही मचाई म्यांमार में कम से कम 144 लोगों की मौत की पुष्टि

म्यांमार थाईलैंड और बांग्लादेश में भूकंप के झटकों से कांपी धरती
बैंकॉक में इमरजेंसी.विनाशकारी 7.7 तीव्रता का भूकंप
शक्तिशाली भूकंप ने इमारतों को मलबे में बदल दिया
एक बांध टूट गया और सड़कों में दरारें आ गईं।
म्यांमार में कम से कम 144 लोगों की मौत की पुष्टि
हजारों लोग बेघर









कानपुर:28 मार्च 2025
28 मार्च 2025 म्यांमार और थाईलैंड में 28 मार्च 2025 को आए 7.7 तीव्रता के भूकंप ने विनाशकारी प्रभाव छोड़ा है। इस भूकंप ने मांडले से लेकर थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक तक तबाही मचाई। यह भूकंप दोपहर के समय मांडले के पास आया और इसकी गहराई लगभग 10 किलोमीटर थी. थाईलैंड में भी इस भूकंप के झटके महसूस किए गए, जहाँ एक निर्माणाधीन इमारत ढह गई. भूकंप ने कई इमारतों को मलबे में बदल दिया। मांडले में प्रत्यक्षदर्शियों ने पांच मंजिला इमारतों के गिरने की गवाही दी, जिससे शहर के लोग अपनी जान बचाने के लिए घरों से बाहर भागे. थाईलैंड में भी अलार्म बजे और लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकले. मुख्य भूकंप के बाद, और भी कई आफ्टरशॉक्स आए, जिनकी तीव्रता 5 से लेकर 7 तक मापी गई.
म्यांमार और थाईलैंड में भूकंप के बाद वहां के लोग सहमे हुए हैं. भूकंप का ख़ौफ और सदमा उनकी बातों से साफ झलक रहा है.म्यांमार के सबसे बड़े शहर यंगून में रहने वाले एक शख़्स के अनुसार भूकंप के झटके काफी तेज झटके लगभग चार मिनट जारी रहे. वो हल्की नींद लेकर उठे ही थे कि बिल्डिंग बुरी तरह कांपने लगी.
म्यांमार में कम से कम 144 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हैं.और हजारों लोग बेघर हो गए हैं. दुर्घटना के बाद, बचाव कार्य जारी हैं और प्रभावित क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाओं की आवश्यकता बढ़ गई है. विशेषज्ञों के अनुसार, यह भूकंप म्यांमार के सबसे बड़े सागांग फॉल्ट में आया, जो उच्च भूकंपीय गतिविधियों के लिए जाना जाता है.
इस व्यापक तबाही और उसके प्रभावों को देखते हुए, स्थानीय अधिकारियों और राहत संगठनों का ध्यान अब आपातकालीन सेवाएं और पुनर्वास कार्यों की ओर केंद्रित हो गया है।

कांग्रेस सांसद और शायर इमरान प्रतापगढ़ी को एक महत्वपूर्ण सर्वोच्च न्यायालय से कानूनी राहत संविधान का आर्टिकल 21 बेहद जरूरी है ताकि स्वस्थ लोकतंत्र स्थापित रह सके।

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 संविधान के मौलिक अधिकार का एक हिस्सा 
 प्रतापगढ़ी की कविता भड़काऊ नहीं, बल्कि अहिंसा को बढ़ावा देने वाली 
निजता का अधिकार हमारा शरीर, घर, संपत्ति, विचार, भावनाएं, रहस्य और पहचान, देता है
भारतीय संविधान  सभी नागरिकों को प्रदान किये गए सभी अधिकारों की रक्षा करता है,
निजता को मुख्य रूप से तीन जोन में बांटा जा सकता है।
मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (1948) के अनुच्छेद 12 में 

कानपुर:28 मार्च 2025
नई दिल्ली::27 मार्च 2025 
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और शायर इमरान प्रतापगढ़ी को सर्वोच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली है। एक वीडियो के बैकग्राउंड में कविता चलाने के मामले में उनके खिलाफ गुजरात के जामनगर में प्रथम सूचना रिर्पोट दर्ज की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने  प्रथम सूचना रिर्पोट को रद्द करने का फैसला सुना दिया है। इससे पहले गुजरात हाई कोर्ट ने प्रथम सूचना रिर्पोट रद्द करने से साफ इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी स्वस्थ समाज के लिए अभिव्यक्ति की आजादी जरूरी है। संविधान का आर्टिकल 21 बेहद जरूरी है ताकि स्वस्थ लोकतंत्र स्थापित रह सके।
कोर्ट ने कहा कि अगर बड़ी संख्या में लोगों को कोई बात पसंद नहीं भी आती है तो भी लोगों के पास बोलने की आजादी है और इसकी रक्षा होनी चाहिए। यह कविता, ड्रामा, फिल्म, व्यंग्य या फिर किसी भी कला के क्षेत्र में प्रासंगिक है।
सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी कविता को लेकर गुजरात पुलिस द्वारा दायर प्रथम सूचना रिर्पोट पर टिप्पणी की। इमरान प्रतापगढ़ी की ओर से सोशल मीडिया पर साझा की गई एक कविता को "भड़काऊ" करार दिया गया था। इस कविता को जामनगर में आयोजित एक सामूहिक विवाह समारोह में गाया गया था, जिसमें "ऐ खून के प्यासे, बात सुनो" जैसे शब्द शामिल थे।
सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि संविधान के 75 साल पूरे होने के बावजूद, पुलिस को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को समझना चाहिए। कोर्ट ने  कहा कि प्राथमिकी दर्ज करने से पहले पुलिस को अधिक संवेदनशीलता दिखानी चाहिए।
जस्टिस ओका ने स्पष्ट किया कि प्रतापगढ़ी की कविता भड़काऊ नहीं, बल्कि अहिंसा को बढ़ावा देने वाली थी। उन्होंने कहा कि अनुवाद में कुछ समस्याएँ थीं, जिसके कारण पुलिस ने कविता का गलत अर्थ निकाला।
इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ यह मामला गुजरात पुलिस द्वारा प्रथम सूचना रिर्पोटर दर्ज करने पर शुरू हुआ, जिसमें आरोप लगाया गया कि उनकी कविता विभिन्न समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देती है।  कैसे अचानक किसी कविता को लेकर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है, जबकि साहित्य में विचार अक्सर प्रतीकात्मक होते हैं और उनके सही अर्थ को समझना आवश्यक होता है।
इमरान प्रतापगढ़ी ने अविभाज्य भारत के लिए कई कविता प्रस्तुतियां दी हैं और वे समाज के कमजोर वर्गों की चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं। वे कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रमुख हैं और उनके कार्यों में लिंचिंग के मामलों में पीड़ितों की सहायता शामिल रही है।
सर्वोच्च न्यायालय की यह टिप्पणी न केवल इमरान प्रतापगढ़ी के मामले के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह बताती है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को पुलिस और शासन स्तर पर बेहतर ढंग से समझा जाना चाहिए, इस मुद्दे को लेकर संवेदनशीलता के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए。
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 (प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण)
अनुच्‍छेद 21 के अंतर्गत स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य की सावधानी का अधिकार वैसा ही है, जैसे जीवन का अधिकार होता है। यह अनुच्छेद भारत के प्रत्येक नागरिक के जीवन जीने और उसकी निजी स्वतंत्रता को सुनिश्चित करता है, यदि कोई अन्य व्यक्ति या कोई संस्था किसी व्यक्ति के इस अधिकार का उल्लंघन करने का प्रयास करता है, तो पीड़ित व्यक्ति को सीधे उच्चतम न्यायलय तक जाने का अधिकार होता है। अन्य शब्दों में किसी भी प्रकार का क्रूर, अमाननीय उत्‍पीड़न या अपमान जनक व्‍यवहार चाहे वह किसी भी प्रकार की जॉंच के दौरान पूछे जाने वाले प्रश्‍न से या किसी अन्‍य स्‍थान पर हो, तो यह इस अनुच्‍छेद 21 का अतिक्रमण करता है, जो कि भारतीय संविधान के अनुसार वर्जित है। यह एक मूल अधिकार है, इसमें कहा गया है, कि किसी व्‍यक्ति को उसके जीवन और निजता की स्‍वतंत्रता से बंछित किये जाने संबंधी कार्यवाही उचित ऋजु एवं युक्तियुक्‍त होनी चाहिए। य‍ह सब अनुच्‍छेद 21 के अंतर्गत आता है।
निजता के अधिकार की अवधारणा को आसानी से नहीं समझा जा सकता है। निजता प्राकृतिक अधिकारों के सिद्धांत का उपयोग करती है और आम तौर पर नई सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों का जवाब देती है। निजता का अधिकार हमारे चारों ओर एक डोमेन रखने का हमारा अधिकार है, जिसमें ये सभी चीजें शामिल हैं जो हमारा हिस्सा हैं, जैसे कि हमारा शरीर, घर, संपत्ति, विचार, भावनाएं, रहस्य और पहचान, निजता का अधिकार हमें क्षमता देता है यह चुनने के लिए कि इस डोमेन में कौन से हिस्से दूसरों द्वारा एक्सेस किए जा सकते हैं और उन हिस्सों के उपयोग की सीमा, तरीके और समय को नियंत्रित करने के लिए जिन्हें हम प्रकट करना चुनते हैं। बहुत समय पहले एक वक्तव्य सुनने में आया था कि जो सरकार अपने नागरिकों की निजता या निजी स्वतंत्रता की रक्षा नहीं कर सकती है, वह सरकार किसी भी प्रकार से अपने देश की जनता को सभी क्षेत्रों में सामान अवसर प्रदान कराने वाली सरकार के रूप में आसानी से सामने नहीं आ सकती है। यहाँ पर इस बात को ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक है, कि यहाँ पर केवल नागरिकों की शारीरिक रक्षा की ही नहीं बल्कि उनकी निजी जानकारियों की रक्षा की भी बात हो रही है। साधारणतया सभी लोकतंत्र सरकार द्वारा नागरिकों को सामान अवसर प्रदान कराने में हर एक व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति से कुछ भिन्न है, अतः सामान अवसर प्रदान कराने में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी एक नागरिक की वजह से दूसरे नागरिक के साथ किसी भी प्रकार से से समझौता नहीं होना चाहिए।
भारतीय संविधान देश भर के सभी नागरिकों को प्रदान किये गए सभी अधिकारों की रक्षा करता है, इस संविधान के अनुसार देश के सभी नागरिकों के लिए कई प्रकार के मौलिक अधिकार तय किये गये हैं, जो कि किसी भी नागरिक को देश में सुचारु रूप से रहने के लिए उसे सम्मान के साथ उस व्यक्ति को अपने स्तर के सभी हक़ प्रदान कराने के लिए जरुरी होते हैं, हमारे देश भारत में नागरिकों के लिए बराबरी का अधिकार, शैक्षणिक और सांस्कृतिक अधिकार आदि सर्वमान्य माने गये हैं। इसी तरह से देश के नागरिकों को एक और अधिकार प्रदान किया जाता है, जिसे निजता या निजी स्वतंत्रता के अधिकार के नाम से जाना जाता है। इसके अंतर्गत किसी व्यक्ति के जीवन में किसी अन्य व्यक्ति की ज़बरदस्ती के हस्तक्षेप पर रोक भी लगायी जा सकती है, इसमें किसी भी व्यक्ति की निजी, पारिवारिक, हॉनर, रेपुटेशन आदि भी सम्मिलित होती है। यहाँ पर इससे सम्बंधित सभी विशेष बातें और तात्कालिक समय में भारत सरकार पर माननीय सर्वोच्छ न्यायालय द्वारा इसके अंतर्गत उठाये गये सवालों का वर्णन किया जा रहा है।
निजता का अर्थ है "लोगों के ध्यान से घुसपैठ या किसी के कृत्यों या निर्णयों में हस्तक्षेप से मुक्त होने की स्थिति या स्थिति।"
निजता के अधिकार का अर्थ है:
व्यक्तिगत स्वायत्तता का अधिकार।
किसी व्यक्ति और व्यक्ति की संपत्ति का अनुचित सार्वजनिक जांच या जोखिम से मुक्त होने का अधिकार।
जबकि निजता के आक्रमण का अर्थ है "किसी के व्यक्तित्व का अनुचित शोषण और किसी की व्यक्तिगत गतिविधियों में घुसपैठ।" निजता को "अकेले रहने के अधिकार" के पर्याय के रूप में भी माना जाता है।
निजी स्वतंत्रता या राईट टू प्राइवेसी का वर्णन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत किया गया है, जो कि भारत के नागरिकों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रदान करती है। इसके अंतर्गत भारत देश के किसी व्यक्ति को निम्नलिखित अधिकार प्राप्त होते हैं,
भारतीय संविधान के इस प्रावधान के अंतर्गत कोई व्यक्ति अपनी निजी जानकारी किसी भी समय किसी भी अथॉरिटी या किसी व्यक्ति से प्राप्त कर सकता है।
यदि किसी भी प्रकार के दस्तावेज में किसी व्यक्ति की निजी जानकारियों में किसी भी प्रकार की त्रुटी हो गयी है, या कोई आवश्यक जानकारी छूट गयी है, तो वह व्यक्ति उस जानकारी को संशोधित करने के लिए आवेदन कर सकता है, और बिना किसी परेशानी के अपने दस्तावेजों को संसोधित करा सकता है।
बिना किसी क़ानूनी नोटिस या समन के जिसमे न्यायालय द्वारा किसी बड़े मुद्दे को हल करने के लिए अपनी कुछ निजी जानकारी साझा करने का आदेश हो सकता है, तो ऐसे आदेश के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति या संस्था के सामने अपनी निजी जानकारी व्यक्त न करने की स्वतंत्रता भी इस अधिकार के अंतर्गत देश के प्रत्येक नागरिक को प्राप्त होती है।
इस निजी स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत किसी भी नागरिक को इस बात की स्वतंत्रता भी प्राप्त होती है, कि केवल वह यदि चाहे तो ही केवल उसकी निजी जानकारी किसी अन्य व्यक्ति या संस्था के पास जाएगी अन्यथा नहीं जायेगी।
निजी स्वतंत्रता का अधिकार इस बात की भी स्वतंत्रता भी देता है, कि एक व्यक्ति यह स्वयं तय कर सकता है, कि क्या राज्य उस व्यक्ति की निजी ज़िन्दगी के विषय में जान सकता है, यदि वह व्यक्ति राज्य को इस बात की अनुमति प्रदान नहीं करता है, तो राज्य की कोई भी अथॉरिटी उस व्यक्ति को उसकी निजी जानकारी साझा करने के लिए बाधित नहीं कर सकती है, और यदि कोई व्यक्ति या संस्था उस व्यक्ति को उसकी निजी जानकारी साझा करने के लिए बाधित करती है, तो वह व्यक्ति बिना किसी परेशानी के सीधे माननीय सर्वोच्छ न्यायालय में अपने निजी स्वतंत्रता के अधिकार के उल्लंघन के लिए अपील कर सकता है, और जहां से उस व्यक्ति को इन्साफ मिलेगा।
इस अधिकार के अनुसार कोई व्यक्ति जो जानकारी केवल अपने तक ही सीमित रखना चाहता है, वह केवल उसके ही पास रहेगी, किसी और व्यक्ति या संस्था के पास उस व्यक्ति की उस जानकारी को जानने का किसी प्रकार का कोई हक नहीं होगा।
बीती अगस्त 2017 को भारत की माननीय सर्वोच्छ न्यायालय ने देश के लिए एक सबसे अहम फैसला लिए जिसमें निजी स्वतंत्रता के अधिकार को भारतीय संविधान के भाग 3 में वर्णित मौलिक अधिकारों की श्रेणी दी गयी। इस फैसले में सर्वोच्छ न्यायालय की 9 सदस्यीय बेंच ने एक साथ मिलकर अपना फैसला सुनाया, जिसमें चीफ जस्टिस जे. एस. खेहर, जस्टिस चेलामेश्वर, जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस आर. के. अग्रवाल, जस्टिस आर. एफ. नरीमन, जस्टिस ए. एम. सप्रे, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस एस. के. कौल, जस्टिस अब्दुल नजीर ये जज लोग शामिल थे।
इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा था, कि निजता को मुख्य रूप से तीन जोन में बांटा जा सकता है। जिसमें पहला है, आंतरिक जोन, जिसके अंतर्गत शादी, बच्चे पैदा करना आदि मामले आते हैं। दूसरा है, प्राइवेट जोन, जहां हम अपनी निजता को किसी अन्य व्यक्ति या संस्था से साझा नहीं करना चाहते, जैसे अगर बैंक में खाता खोलने के लिए हम अपना डेटा देते हैं, तो हम चाहते हैं, कि बैंक ने जिस उद्देश्य से हमारा डेटा लिया है, उसी उद्देश्य से तहत वह उसका इस्तेमाल करे, किसी अन्य व्यक्ति या संस्था को वह डेटा न दे। वहीं, तीसरा होता है, पब्लिक जोन। इस दायरे में निजता का संरक्षण न्यूनतम होता है, लेकिन फिर भी एक व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक निजता बरकरार रहती है। वहीं, चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने टिप्पणी की थी, कि अगर किसी व्यक्ति से कोई ऐसा सवाल पूछा जाता है, जो उसके प्रतिष्ठा और मान - सम्मान को ठेस पहुंचाता है, तो वह निजता के मामले के अंतर्गत आता है। चीफ जस्टिस के मुताबिक, दरअसल स्वतंत्रता के अधिकार, मान - सम्मान के अधिकार और निजता के मामले को एक साथ कदम दर कदम देखना होगा। स्वतंत्रता के अधिकार के दायरे में मान - सम्मान का अधिकार आता है, और मान सम्मान के दायरे में निजता का मामला आता है।
मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (1948) के अनुच्छेद 12 में कहा गया है कि "किसी को भी उसकी निजता, परिवार, घर या पत्राचार के साथ मनमाने ढंग से हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा और न ही उसके सम्मान और प्रतिष्ठा पर हमला किया जाएगा। इस तरह के हस्तक्षेप या हमलों के खिलाफ हर किसी को कानून की सुरक्षा का अधिकार है। “
नागरिक और राजनीतिक अधिकारों की अंतर्राष्ट्रीय वाचा (जिसका भारत एक पक्ष है) के अनुच्छेद 17 में कहा गया है, "किसी को भी उसकी गोपनीयता, परिवार, घर और पत्राचार के साथ मनमाने या गैरकानूनी हस्तक्षेप के अधीन नहीं किया जाएगा, न ही उसके सम्मान और प्रतिष्ठा पर गैरकानूनी हमले का।"
मानवाधिकार पर यूरोपीय कन्वेंशन के अनुच्छेद 8 में कहा गया है, "हर किसी को अपने निजी और पारिवारिक जीवन, अपने घर और अपने पत्राचार के सम्मान का अधिकार है; एक सार्वजनिक प्राधिकरण द्वारा कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा, सिवाय इसके कि कानून के अनुसार है और एक लोकतांत्रिक समाज में राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक सुरक्षा या देश की आर्थिक भलाई के लिए स्वास्थ्य या नैतिकता की सुरक्षा के लिए आवश्यक है। या दूसरों के अधिकारों और स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए।"
निजता में दखल (1) विधायी प्रावधान (2) प्रशासनिक/कार्यकारी आदेश (3) न्यायिक आदेश द्वारा हो सकता है। विधायी घुसपैठ को संविधान द्वारा गारंटी के अनुसार तर्कसंगतता की कसौटी पर परखा जाना चाहिए और उस उद्देश्य के लिए न्यायालय घुसपैठ की आनुपातिकता में उस उद्देश्य को प्राप्त कर सकता है जिसे प्राप्त करने की मांग की गई है। जहां तक ​​प्रशासनिक या कार्यकारी कार्रवाई का संबंध है, इसे मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए युक्तियुक्त होना चाहिए। न्यायिक वारंट के रूप में, न्यायालय के पास यह मानने के लिए पर्याप्त कारण होना चाहिए कि तलाशी या जब्ती जरूरी है और उसे विशेष राज्य के हितों की सुरक्षा के लिए आवश्यक तलाशी या जब्ती की सीमा को ध्यान में रखना चाहिए। इसके अलावा, जैसा कि पहले कहा गया है, सामान्य कानून ने मान्यता दी है कि वारंट रहित खोजों के संचालन के लिए दुर्लभ अपवादों का आयोजन किया जा सकता है, लेकिन ये अच्छे विश्वास में होने चाहिए, जिसका उद्देश्य सबूतों को संरक्षित करना या व्यक्ति या संपत्ति के लिए अचानक क्रोध को रोकने का इरादा है
निजता व्यक्तियों, समूहों या समाज के प्रति निर्देशित एक मूल्य है जिसका अर्थ विभिन्न लोगों के लिए अलग-अलग हो सकता हैं। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में जो अपनी विविधता के लिए जाना जाता है, इसमें सभी धर्मों, रीति-रिवाजों और पृष्ठभूमि के लोग हैं और इसलिए यह पता लगाना आसान है कि एक चीज का मतलब पूरे देश के लिए समान नहीं हो सकता है और ऐसा ही निजता की स्थिति है। निजता का मतलब अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग चीजें हैं। कुछ के लिए यह सूचना की निजता है, दूसरों के लिए शरीर की निजता और कुछ के लिए इसका कुछ अलग दृष्टिकोण हो सकता है। इसलिए निजता को समाज या देश के विभिन्न पहलुओं के साथ अलग-अलग पंक्तियों में पढ़ा जा सकता है जिस पर आगे चर्चा की गई है।
निजता अधिकार सरकार को लोगों की जासूसी करने से रोकते हैं (बिना कारण के)।
निजता अधिकार समूहों को अपने लक्ष्यों के लिए व्यक्तिगत डेटा का उपयोग करने से रोकते हैं।
निजता अधिकार यह सुनिश्चित करने में मदद करते हैं कि डेटा चोरी या दुरुपयोग करने वालों को जवाबदेह ठहराया जाता है।
निजता अधिकार सामाजिक सीमाओं को बनाए रखने में मदद करते हैं।
निजता अधिकार विश्वास बनाने में मदद करते हैं।
निजता अधिकार सुनिश्चित करते हैं कि हमारे डेटा पर हमारा नियंत्रण रहे।
निजता अधिकार भाषण और विचार की स्वतंत्रता की रक्षा करते हैं।
निजता अधिकार आपको राजनीति में स्वतंत्र रूप से शामिल होने देते हैं।
निजता अधिकार प्रतिष्ठा की रक्षा करते हैं।
निजता अधिकार आपके वित्त की रक्षा करते हैं।
निजता का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का एक अनिवार्य घटक है। निजता का अधिकार, अनुबंध के अलावा, एक विशेष विशिष्ट संबंध से भी उत्पन्न हो सकता है, जो वाणिज्यिक, वैवाहिक या यहां तक ​​कि राजनीतिक भी हो सकता है। निजता का अधिकार पूर्ण अधिकार नहीं है; यह अपराध की रोकथाम, अव्यवस्था या स्वास्थ्य या नैतिकता की सुरक्षा या अधिकारों की सुरक्षा और दूसरों की स्वतंत्रता के लिए उचित प्रतिबंधों के अधीन है। जहां दो व्युत्पन्न अधिकारों के बीच संघर्ष होता है, वहां सार्वजनिक नैतिकता और सार्वजनिक हित को आगे बढ़ाने वाला अधिकार प्रबल होता है। एक समाज का हिस्सा होने के नाते अक्सर यह तथ्य खत्म हो जाता है कि हम पहले व्यक्ति हैं। प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी गतिविधि के लिए अपने निजी स्थान की आवश्यकता होती है (यह मानते हुए कि यह कानूनी होगा)। राज्य तदनुसार प्रत्येक व्यक्ति को उन निजी पलों का आनंद लेने का अधिकार देता है जिनके साथ वे बाकी दुनिया की चुभती आँखों के बिना चाहते हैं। क्लिंटन रॉसिटर ने कहा है कि निजता एक विशेष प्रकार की स्वतंत्रता है जिसे कम से कम कुछ व्यक्तिगत और आध्यात्मिक चिंताओं में स्वायत्तता सुरक्षित करने के प्रयास के रूप में समझा जा सकता है। यह स्वायत्तता सबसे खास चीज है जिसका आनंद व्यक्ति ले सकता है। वह वास्तव में वहां एक स्वतंत्र व्यक्ति है। यह राज्य के खिलाफ नहीं बल्कि दुनिया के खिलाफ अधिकार है। यदि व्यक्ति अपने विचारों को दुनिया के साथ साझा नहीं करना चाहता तब यह अधिकार उसके हितों की रक्षा करने में मदद करेगा।
अनुच्छेद 21 का दायरा 1950 के दशक तक थोड़ा संकरा था, क्योंकि ए. के. गोपालन बनाम स्टेट ऑफ़ मद्रास में शीर्ष न्यायालय द्वारा यह निष्कर्ष निकाला गया था, कि अनुच्छेद 21 और 19 (1) (डी) की विषय वस्तु और विषय समान नहीं हैं। इस मामले में वंचित शब्द को संकुचित अर्थ में रखा गया था और यह निष्कर्ष निकाला गया था कि वंचितता अनुच्छेद 19 (1) (डी) के तहत आने वाले किसी व्यक्ति को देश में स्वतंत्र रूप से स्थानांतरित करने के अधिकार पर रोक नहीं लगाती है। उस समय संविधान के कुछ अन्य लेखों के साथ अनुच्छेद 21 के संबंध में ए. के. गोपालन मामला बहुत ही प्रमुख मामला था, लेकिन बाद में गोपालन मामले को अनुच्छेद 21 के दायरे के संबंध में कुछ अन्य मामलों के साथ संसोधन करके विस्तार किया गया है, और यह माना जाता है, कि किसी व्यक्ति के घर में या जब वह जेल में बंद हो तब उसकी स्वतंत्रता के साथ हस्तक्षेप करने के लिए कानून के अधिकार की आवश्यकता होगी। क्या अनुच्छेद 19 के संदर्भ में दंडात्मक कानून की निष्पक्षता की जांच की जा सकती है, यह मेनका गांधी बनाम भारत संघ के मामले में गोपालन मामले के बाद मुद्दा था, इसके बाद शीर्ष न्यायालय ने एक नया आयाम खोला और कहा कि यह प्रक्रिया मनमानी, अनुचित या अनुचित नहीं हो सकती है। अनुच्छेद 21 ने भारत के राज्यों पर भी प्रतिबंध लगाया कि कोई भी राज्य किसी व्यक्ति को उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं कर सकता है।
इस अनुच्छेद का अधिकार क्षेत्र बहुत ही व्यापक है, और यह नियम उन सभी व्यक्तियों पर लागू होता है, जो कि भारत के मूल निवासी हैं, और जिनके पास भारत देश की नागरिकता है। इसमें किसी भी व्यक्ति के लिए कोई रोक - टोक नहीं होती है, सभी को समानता का अधिकार है।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 संविधान के मौलिक अधिकार का एक हिस्सा है, जिसमे यह कहा गया है कि भारत में कानून द्वारा स्थापित किसी भी प्रक्रिया के आलावा कोई भी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को उसके जीवित रहने के अधिकार और निजी स्वतंत्रता से वंचित नहीं कर सकता है। यदि कोई व्यक्ति ऐसा कार्य करता है, तो पीड़ित व्यक्ति को अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सर्वोच्छ न्यायालय जाने का अधिकार है, वह सर्वोच्छ न्यायालय में किसी सुप्रीम कोर्ट के वकील के माध्यम से अपनी याचिका दायर कर सकता है। इसी कारण एक वकील ही एकमात्र ऐसा यन्त्र होता है, जो किसी पीड़ित व्यक्ति को सही रास्ता दिखने में लाभकारी सिद्ध हो सकता है, क्योंकि वकील को कानून और संविधान की उचित जानकारी होती है, तो वह मामले से सम्बंधित सभी प्रकार के उचित सुझाव भी दे सकता है। लेकिन इसके लिए हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि जिस वकील को हम अपने मामले को सुलझाने के लिए नियुक्त कर रहे हैं, वह अपने क्षेत्र में निपुण वकील होना चाहिए, और उसे संविधान से सम्बंधित और अनुच्छेद 21 के मामलों से निपटने का उचित अनुभव होना चाहिए, जिससे आपके केस जीतने के अवसर और भी बढ़ सकते हैं।

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Eid-ul-Fitr marks the end of Ramadan and is celebrated with gratitude, prayer, and generosity towards the needy. Muslims worldwide come together to offer special prayers, enjoy festive meals, and exchange gifts. This year, it will be observed from the evening of March 31, 2025, to April 1, 2025.

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Happy Eid-ul-Fitr 2025: 51 inspiring Eid Mubarak wishes and messages

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How to create Ghibli-style Portraits without paying for ChatGPT Plus

OpenAI's new GPT-4o update has sparked a trend of Studio Ghibli-style portraits, exclusive to select ChatGPT subscription tiers. Despite the delay in the free-tier rollout, users can create similar artworks using free alternatives like Gemini, GrokAI, Craiyon, Artbreeder, and various premium platforms offering free trials.

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सर्वोच्च न्यायलय संज्ञान ले दिशा निर्देश जारी करे । सोशल मीडिया पोस्ट से, ईद उल फितर पर नमाज को लेकर प्रशासन की मुसलमानों को सख्त चेतावनी, वाद विवाद, त्योहार व मजहब आपस मे बैर नही सिखाता है ।


ऑरवेल के 1984 की ओर पुलिसिंग जयंत चौधरी अध्यक्ष राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष
सड़क पर नमाज पढ़ी तो पासपोर्ट-लाइसेंस रद्द
सड़क पर नमाज दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी
ईद पर 5 मिनट की नमाज से विघ्न तो 2 महीने तक कावड़ यात्रा में पूरा हाईवे बंद होता है
संभल में मुसलमान घर की छतों पर भी ईद की नमाज़ पढ़े तो होगी कार्यवाही.
"यूपी पुलिस में होड़ कौन मुसलमानों के प्रति घिनौना स्टेटमेंट दे सकता है!
पुलिस कोर्ट नहीं है, कि वो किसी का पासपोर्ट या लाइसेंस रद्द कर देगी
आने वाले कल में मुस्लिमों को सांस लेने के लिए भी परमिशन की ज़रूरत पड़ेगी
धार्मिक आयोजन के नियन्त्रण पर पक्ष विपक्ष मे वाद विवाद
सर्वोच्च न्यायलय संज्ञान ले दिशा निर्देश जारी करे ।
कानपुर:28 मार्च 2025


नई दिल्ली:27 मार्च 2025 सोशल मीडिया पोस्ट से
UP Takउत्तर प्रदेश हाँ @UPTakOfficial
7h
जयंत चौधरी का मन बीजेपी से लगातार छिटक रहा है. आज जयंत चौधरी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट किया जिसके बाद से सियासी गलियारों में जबरदस्त हलचल है. ईद उल फितर पर नमाज को लेकर मेरठ पुलिस प्रशासन ने मुसलमानों को सख्त चेतावनी जारी की है. इसी से जुड़ी खबर को अटैच करते हुए राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने अपने एक्स हैंडल पर चार शब्द लिखे- Policing towards Orwellian 1984! यानी ऑरवेल के 1984 की ओर पुलिसिंग.. चार शब्दों से चारों तरफ हलचल क्यों मची ये जानने के लिए ट्वीट का मतलब समझिए. जॉर्ज ऑरवेल का चर्चित उपन्यास ‘1984’ एक तानाशाही शासन में लोगों की आजादी और सच को नियंत्रित करने की कहानी है. यानी जयंत चौधरी ने अपनी पोस्ट के जरिए योगी सरकार या कहें कि यूपी की पुलिस पर तगड़ा निशाना साधा है. पिछले दिनों बीजेपी विधायक केतकी सिंह के मुसलमानों से जुड़े बयान पर भी जयंत ने तगड़ी प्रतिक्रिया दी थी. तो जयंत चौधरी के मन में क्या चल रहा, मुस्लिमों से जुड़े मुद्दों पर बीजेपी के प्रति RLD का गुस्सा किस हद तक है? #JayantChaudhary #Muslim #BJP #RLD
Sudarshan Newsसुदर्शन समाचार @SudarshanNewsTV
15h
ईद की नमाज पर प्रशासन सख्त... सड़क पर नमाज पढ़ी तो पासपोर्ट-लाइसेंस रद्द... ड्रोन से होगी निगरानी, नियम तोड़े तो सख्त कार्रवाई... सड़क पर हुड़दंग करने वालों की खैर नहीं...
ocean jainसागर जैन @ocjain4·
Mar 26मार्च
ईद पर योगी आदित्यनाथ प्रशासन का बड़ा फैसला। मेरठ में सड़कों पर नमाज पढ़ने पर प्रतिबंध पासपोर्ट और लाइसेंस रद्द किए जाएंगे दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी
ANI_HindiNewsAni_hindinews @AHindinews
·26 मार्च
#WATCH | संभल, उत्तर प्रदेश: SDM वंदना मिश्रा ने कहा, "आगामी त्यौहारों के मद्देनजर शांति समिति की बैठक हुई है। नवरात्रि का त्यौहार है, ईद है, फिर महानवमी है। इसको लेकर बैठक हुई... सड़क पर नमाज नहीं पढ़ी जाने की बात कही गई है, इसके अलावा माइक, लाउडस्पीकर के प्रयोग की बात हुई जो मना किया गया है, इस पर अभी विचार नहीं किया जा रहा..."
Puneet Kumar Singhपुनीत कुमार सिंह @puneetsinghlive ·
5h
कांवड़ यात्रा से कई दिनों तक रास्ता बंद रहता है, फिर सड़क पर नमाज़ पढ़ने से दिक्कत किसे है?
Ansar Imran SRअंसार इमरान एसआर @ansarimransr
6h
मेरठ और संभल के बाद अब बलिया पुलिस ने भी कहा है ईद की नमाज सड़क पर नहीं होने देगी! मगर यही प्रशासन बताने में विफल क्यों रहता है कि अगर ईद पर 5 मिनट की नमाज से विघ्न पैदा होता है तो आखिर किस हैसियत से 2 महीने तक कावड़ यात्रा में पूरा हाईवे ही बंद होता है!
Zubairजुबैर @Zubair99778
5h
मेरठ में सड़क पर ईद की नमाज पढ़ी तो पासपोर्ट और लाइसेंस रद्द हो जाएगा, संभल में मुसलमान अगर अपने घर की छतों पर भी ईद की नमाज़ पढ़े तो होगी कार्यवाही.. तुम मचाओ उत्पाद, सारे कानून तो सिर्फ मुसलमानों के लिए हैं, वह लाख सही होंगे फिर भी हम उन्हें फंसा लेंगे...RT
Krishna Kant @kkjourno
4h
सवाल तो वाजिब है। अगर सड़क पर 15 मिनट नमाज नहीं पढ़ी जा सकती तो हफ्तों तक कांवड़ यात्रा के लिए सड़कें क्यों ब्लॉक होती हैं? जागरण के लिए सड़कें क्यों बंद होती हैं? भंडारे के लिए रस्ते क्यों रोके जाते हैं? जहां सबके लिए नियम समान नहीं हैं, वहीं असली जंगलराज है।
ANI_HindiNewsAni_hindinews @AHindinews
13h
#WATCH संभल: एएसपी संभल श्रीश चंद्र ने कहा, "छतों पर नमाज़ अदा करने से इसलिए रोका गया है क्योंकि छत पर भीड़ जमा होने से किसी दुर्घटना की संभावना है। सड़कों पर नमाज़ को इसलिए रोका गया है क्योंकि भारी संख्या में लोग सड़क पर इकट्ठे हो जाते थे जिससे यातायात अवरुद्ध होता था।"
सदाफ आफरीन@s_afreen7
6h
सड़क और छत पर ईद की नमाज़ पढ़ने पर पासपोर्ट कैंसिल करने वाले मामले में सांसद चंद्रशेखर आजाद जी को सुनिए– "यूपी पुलिस में एक होड़ लगी है कि कौन मुसलमानों के प्रति घिनौना स्टेटमेंट दे सकता है! पुलिस कोर्ट नहीं है, कि वो किसी का पासपोर्ट या लाइसेंस रद्द कर देगी! सरकार क्या माहौल बना रही है?? मुझे ऐसा लगता है, आने वाले कल में मुस्लिमों को सांस लेने के लिए भी परमिशन की ज़रूरत पड़ेगी! कल कहीं कोई ऐसा कानून न बना दिया जाए कि मुसलमान अगर सांस लेगा तो उसका सांस लेना बंद कर देंगे! यूपी और केंद्र सरकार को ध्यान देने की ज़रूरत है कि उनके अधिकारियों को क्या हो गया है! उनके अधिकारी अधिकारी कम नेता बनने के चक्कर में ज्यादा है! कमज़ोर और मुसलमान को परेशान किया जा रहा है"

जम्मू कठुआ में भीषण मुठभेड़ जारी , तीन पुलिसकर्मी शहीद , दो आतंकवादियों के मारे जाने की सूचना

 दो पुलिसकर्मियों तथा सेना के एक जवान सहित तीन सुरक्षाकर्मी घायल

मुठभेड़ स्थल पर करीब चार और आतंकवादियों के सक्रिय होने की आशंका
घायलों को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया है हालत स्थिर
भारत देश का प्रत्येक नागरिक कठुआ में शहीद जवानों के बलिदान को सलाम करता है ।
मातृभूमि के प्रति साहस और समर्पण को हमेशा याद किया जाएगा।
कानपुर मार्च, 27,2025
27 मार्च, 2025 जम्मू कठुआ में भीषण मुठभेड़ जारी , तीन पुलिसकर्मी शहीद और दो पुलिसकर्मियों तथा सेना के एक जवान सहित तीन सुरक्षाकर्मी घायल हो गए। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार अभियान में दो आतंकवादियों के मारे जाने की सूचना है मुठभेड़ मे करीब चार और आतंकवादियों हैअधिकारियों के अनुसार आतंकवादियों के छिपे होने की जगह की ओर बढ़ते समय आतंकवादियों ने पुलिस गश्ती दल पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। सब डिविजनल पुलिस अधिकारी धीरज सिंह कटोच और एसओजी के भरत चलोतरा के एक जवान गोली लगने से घायल हो गए। घायलों को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया है और उनकी हालत स्थिर है।
यह वही आतंकवादी है जिन्हे पहली बार रविवार शाम को जिले के सीमा से महज पांच किलोमीटर दूर सान्याल गांव में देखा गया था। दोनों स्थान एक दूसरे से लगभग 35 किमी दूर हैं। आतंकवादियों ने पाकिस्तान की ओर से अंतर्राष्ट्रीय सीमा के जरिए कठुआ जिले में घुसपैठ की थी।
कठुआ के राजबाग इलाके के जुठाना साफन इलाके में सुबह जिले में चल रहे अभियान के दौरान सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ शुरू की। यह वही आतंकवादी है जिन्हे पहली बार रविवार शाम को जिले के सीमा से महज पांच किलोमीटर दूर सान्याल गांव में देखा गया था। दोनों स्थान एक दूसरे से लगभग 35 किमी दूर हैं।
आतंकवादियों ने पाकिस्तान की ओर से अंतर्राष्ट्रीय सीमा के जरिए कठुआ जिले में घुसपैठ की थी।
अभियान में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के विशिष्ट बल सेना और पुलिस के साथ घने जंगलों और उबड़-खाबड़ इलाके के साथ घटनास्थल के चारों ओर एक बहु-स्तरीय घेरा बनाया गया था। निगरानी ने के लिए ड्रोन सहित उच्च तकनीक वाले गैजेट्स तैनात हैं।
आतंकवादियों को उझ नदी के निकट डोडा और किश्तवाड़ जिलों में देखा गया। वह गर्मियों से पहले चिनाब घाटी में डोडा-किश्तवाड़ बेल्ट की ऊपरी पहुंच के रास्ते पर ठिकाने स्थापित करने के लिए प्रयासरत थे ।
"रविवार को आतंकवादियों को देखे जाने के बाद से सुरक्षा बल उनका पीछा कर रहे हैं और सोमवार सुबह फिर से उनका सामना हुआ। इस बीच, कठुआ अस्पताल में घायल जवानों में से एक की हालत स्थिर है।
पुलिस और सेना ने बृहस्पतिवार देर शाम तक आतंकवादियों के हताहत होने के बारे में कोई खबरें नहीं हैं।
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने गुरुवार को पिछले साल रियासी आतंकी हमले में शहीद हुए अर्जुन शर्मा की बहन रेणु शर्मा को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति पत्र सौंपा। रियासी के निवासी श्री शर्मा, 09 जून, 2024 को तीर्थयात्रियों को ले जाने वाली बस के कंडक्टर थे, जिस पर आतंकवादियों ने हमला किया था। हमले में नौ श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी।
भारत देश का प्रत्येक नागरिक कठुआ जिले में मुठभेड़ के दौरान शहीद तीन बहादुर जवानों के बलिदान को सलाम करता है । मातृभूमि के प्रति साहस और समर्पण को हमेशा याद किया जाएगा। और शोक संतप्त परिवारों के साथ एकजुटता से खड़े हैं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हैं।

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