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पिता: मेरे साहस, मेरी इज्जत, मेरी पहचान: दीपेन्द्र सिंह न्याल की सोशल मीडिया पोस्ट से

• पिता का अतुलनीय और पवित्र स्थान परिवार का आधार, सम्मान और आत्मविश्वास का स्रोत हैं।
• पिता साहस, इज्जत, पहचान, उनका संघर्ष परिवार की नींव घर का मान और समाज में रूतबा
• पिता का प्रेम दिखावा रहित मजबूत सहारा और साहस, आत्मसम्मान और आदर्श सिखाता है।
• पिता का अस्तित्व ईश्वर की कृपा और अच्छे कर्मों का फल , आशीर्वाद परिवार के लिए वरदान
• दीपेन्द्र सिंह न्याल, एक शिक्षक हैं, ने कविता की पंक्तियाँ मेअपनी अंतरात्मा से समर्पित की है।
कानपुर :15 सितम्बर, 2025
दीपेन्द्र सिंह न्याल ने सोशल मीडिया पोस्ट मे प्रस्तुत कविता की पंक्तियाँ मे पिता का स्थान जीवन में अतुलनीय और पवित्र बताया है। उस महान सम्बन्ध की गहराई और महत्व को संक्षेप में पिता परिवार के प्रधान सहित सम्पूर्ण अस्तित्व का आधार, सम्मान और आत्मविश्वास का स्रोत प्रकट करा हैं।
श्री सिंह ने पिता ही साहस और इज्जत हैं; यह केवल भावात्मक अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि यथार्थ भी है उद्घोष किया है । पिता का संघर्ष, परिश्रम और समर्पण घर की प्रत्येक ईंट में बसा होता है। उनके खून-पसीने की मिट्टी से ही घर की नींव मजबूत होती है और परिवार की रौनक बनती है। यह पदानुक्रम नहीं, बल्कि उत्तरदायित्व है—पिता की मेहनत से ही घर का मान और समाज में उसका रूतबा स्थापित होता है।
पिता का प्रेम दिखावे का नहीं बलवती सहारे का होता है। वे पुत्र-पूत्री को साहस और आत्मसम्मान देते हैं, कठिनाइयों में मार्गदर्शन करते हैं और जीवन के आदर्श सिखाते हैं। परिवार के सारे रिश्ते, संवाद और सुख-दुख की बाँहें उनसे जुड़े रहते हैं; उनके होने से घर की धड़कन स्थिर रहती है।
श्री दीपेन्द्र पिता का अस्तित्व ईश्वर की कृपा और अतीत के अच्छे कर्मों का फल है। उनका आशीर्वाद और दया परिवार के लिये वरदान समान है। हम पर यह कर्ज है कि उनके बल और समर्पण को मान्यता दें, उन्हें आदर दें और उनके आदर्शों का पालन कर अपने जीवन को सार्थक बनाएं।
पिता—साहस, इज्जत और पहचान; यही संक्षेप में इतनी महान संज्ञा का सार है।
दीपेन्द्र सिंह न्याल इलेक्ट्रानिक अभियन्त्रण मे शिक्षा धारी व लगभग 25 वर्षो से भी अधिक समय राजकीय शिक्षण संस्थान मे कम्प्यूटर प्रभाग के प्रभारी शिक्षक है । लेखन उनका विषय नही है परन्तु अन्तरात्मा ने यह कविता की पंक्तियाँ समर्पित की है ।

मेरा साहस मेरी इज्जत मेरा सम्मान है पिता।
मेरी ताकत मेरी पूँजी मेरी पहचान है पिता ।।
घर की इक-इक ईंट में शामिल उनका खून-पसीना ।
सारे घर की रौनक उनसे सारे घर की शान पिता ।।
मेरी इज्जत मेरी शोहरत मेरा रूतवा मेरा मान है पिता।
मुझको हिम्मत देने वाले मेरा अभिमान है पिता ।।
सारे रिश्ते उनके दम से सारे बाते उनसे है ।
सारे घर के दिल की धड़कन सारे घर की जान पिता ।।
शायद रब ने देकर भेजा फल ये अच्छे कर्मों का ।
उसकी रहमत उसकी बेअमत उसका है वरदान पिता ।।

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