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लेह में हुए भीषण प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षाकर्मियों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पे, चार लोगों की मौत और 59 से अधिक लोग घायल

•  लेह  सुरक्षाकर्मियों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें 4 की मौत और 59 से अधिक घायल 
•  घटनाएँ लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर हो रहे प्रदर्शनों का हिस्सा थीं।
• प्रदर्शनकारियों ने BJP कार्यालय पर हमला किया

पुलिस ने आंसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा लिया।
• लेह प्रशासन ने कर्फ्यू और सभी सार्वजनिक प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगा दिया।
• भाजपा और अन्य राजनीतिक दलों ने इस हिंसा के लिए कांग्रेस पर आरोप
प्रमुख पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने हिंसा की निंदा की है।
कानपुर :25 सितम्बर, 2025  
24 सितम्बर, 2025: लेह में हुए भीषण प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षाकर्मियों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पे हुईं, जिनमें चार लोगों की मौत हो गई और 59 से अधिक लोग घायल हो गए। ये घटनाएँ केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर हो रही प्रदर्शनों का हिस्सा थीं।प्रदर्शनों की शुरुआत 10 सितंबर को हुई थी, जब लेह एपेक्स बॉडी (LAB) ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए भूख हड़ताल का आह्वान किया। आंदोलन का उद्देश्य लद्दाख को राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग करना था। हिंसा उस समय भड़क गई जब प्रदर्शनकारी युवाओं ने BJP कार्यालय पर हमला किया और पथराव शुरू किया, जिसके जवाब में पुलिस को आंसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा।इस हिंसा में चार लोगों की मौत हुई और 59 लोग घायल हुए, जिनमें 22 पुलिसकर्मी और अन्य सुरक्षाकर्मी शामिल हैं।
घातक घटनाओं के बाद, लेह प्रशासन ने कर्फ्यू लागू किया और सभी प्रकार के सार्वजनिक प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगा दिया। उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने कहा कि शांति स्थापित करने के लिए कठोर कदम उठाए जाएंगे।
भाजपा और अन्य राजनीतिक दलों ने इस हिंसा के लिए कांग्रेस पर आरोप लगाए हैं, यह कहते हुए कि यह एक साजिश का हिस्सा है जो देश में अशांति फैलाने के लिए की गई है। वहीं, सोनम वांगचुक, जो इस मामले में एक प्रमुख पर्यावरण कार्यकर्ता हैं, ने हिंसा की निंदा की है और सहानुभूति व्यक्त की है。
लेह में हुई यह हिंसक घटना एक तात्कालिक प्रतिक्रिया के साथ लद्दाख के लोगों की दिग्भ्रमित सामुदायिक और राजनीतिक भावनाओं का भी प्रतीक है, जहाँ लोग लंबे समय से राज्य का दर्जा और अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं।

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