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नेपाल बॉर्डर के पास कुशीनगर के गांव में इसरो ने रॉकेट के जरिए पेलोड लॉन्च कर रॉकेट लॉन्चिंग का सफलतापूर्वक परीक्षण किया ।

अक्टूबर से नवंबर के बीच देश भर के लगभग 900 युवा वैज्ञानिकों ने मिलकर सैटेलाइट बनाए
"रॉकेट को शाम 5:14 बजे और 33 सेकंड पर लॉन्च किया गया,
1.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक गया। बाद में एक छोटा उपग्रह (पेलोड) बाहर आया
यह 5 मीटर नीचे गिरने पर , इसका पैराशूट सक्रिय हो गया
उपग्रह 400 मीटर अंदर जमीन पर उतर गया।
15 किलोग्राम का रॉकेट भी सुरक्षित नीचे उतरा।

पहले ऐसे टेस्ट समुद्र के पास अहमदाबाद में किए गए थे ।
कानपुर 15 जून 2025 :
14 जून 2025 :कुशीनगर (यूपी): उत्तर प्रदेश के कुशीनगर की तमकुहीराज तहसील के जंगलीपट्टी गांव से पहली बार शनिवार को इसरो ने रॉकेट के जरिए पेलोड लॉन्च कर रॉकेट लॉन्चिंग का सफलतापूर्वक परीक्षण किया ।
इसरो की टीम ने फरवरी के महीने में इस जिले का दौरा कर इस जगह को चुना था।अक्टूबर से नवंबर के बीच देश भर के लगभग 900 युवा वैज्ञानिकों ने मिलकर सैटेलाइट बनाए हैं।इन सैटेलाइट का टेस्ट इसरो की निगरानी में होगा।
परीक्षण थ्रस्ट टेक इंडिया लिमिटेड के सहयोग से किए गए जिसमें रॉकेट 5:14:33 बजे 1.1 किलोमीटर ऊपर चढ़ा, जो पूरी तरह सफल रहा।
इसरो के वैज्ञानिक अभिषेक सिंह ने कहा, "रॉकेट को शाम 5:14 बजे और 33 सेकंड पर लॉन्च किया गया, जो 1.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक गया। इसके बाद एक छोटा उपग्रह (पेलोड) बाहर आया। जैसे ही यह 5 मीटर नीचे गिरा, इसका पैराशूट सक्रिय हो गया और उपग्रह 400 मीटर अंदर जमीन पर उतर गया।" 15 किलोग्राम का रॉकेट भी सुरक्षित नीचे उतरा।
रॉकेट ने 1.1 किलोमीटर की दूरी तय की। यह इसरो का यूपी में पहला परीक्षण था। पहले रॉकेट से ही सैटेलाइट भेजा गया, जो सफल रहा। इस अवसर पर कई वैज्ञानिक और अधिकारी उपस्थित थे।
रॉकेट शाम को 5 बजकर 14 मिनट और 33 सेकंड पर उड़ा। इसने जमीन से 1.1 किलोमीटर तक की दूरी तय की। इस लॉन्चिंग से पहले अभ्यास भी किया गया था।यूपी में इसरो का ये पहला टेस्ट था। इससे पहले ऐसे टेस्ट समुद्र के पास अहमदाबाद में किए गए थे ।
इस लॉन्चिंग का मकसद था भारतीय प्रक्षेपण एजेंसी की ताकत को जानना। उन्होंने कहा कि तमकुही क्षेत्र के जंगली पट्टी में शाम को 5 बजकर 14 मिनट और 33 सेकंड पर पहला रॉकेट छोड़ा गया। ये रॉकेट 1.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक गया।इसके बाद रॉकेट से एक छोटा सा उपग्रह बाहर आया। जब ये उपग्रह 5 मीटर नीचे गिरा, तो उसका पैराशूट खुल गया।
पैराशूट की मदद से उपग्रह 400 मीटर के अंदर धरती पर आ गया। रॉकेट भी पैराशूट के सहारे धीरे-धीरे धरती पर वापस आ गया। इस रॉकेट का वजन 15 किलो था और इसमें 2.26 किलो ईंधन डाला गया था। लॉन्च के समय 2.6 सेकंड के लिए ईंधन जला और रॉकेट सैटेलाइट को ऊपर लेकर गया।
इन-स्पेस मॉडल रॉकेट्री, कैनसैट इंडिया छात्र प्रतियोगिता 2024-25 का आयोजन एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (एएसआई) देश के अलग-अलग कॉलेज और यूनिवर्सिटी के छात्र हिस्सा लें मॉडल रॉकेट और कैन के आकार के उपग्रह को डिजाइन करेंगे, बनाएंगे और लॉन्च करेंगे। ये लॉन्च साइट से 1000 मीटर की ऊंचाई पर होगा।इसी को ध्यान में रखते हुए तमकुही राज तहसील के जंगली पट्टी में ये टेस्ट किया गया, जो सफल रहा। कर रही है।इसमें भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस), इसरो और कुछ और संस्थाएं भी मदद कर रही हैं।यह छात्रों के बीच अंतरिक्ष विज्ञान और टेक्नोलॉजी के बारे में जानने की इच्छा पैदा हो।
इन कैनसैट को लॉन्च करने के लिए कई सारे लॉन्चर विकल्पों को देखने के बाद थ्रस्ट टेक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को चुना गया।ये टेस्ट कंपनी के मोटर का भी था कि वो ठीक से काम कर रहा है या नहीं। निदेशक विनोद कुमार ने बताया कि प्री लॉन्चिंग में 4 रॉकेट का इस्तेमाल दो दिनों में किया जाना है।उन्होंने ये भी कहा कि इसरो की टीम के फैसले के बाद लॉन्चिंग की जिम्मेदारी थ्रस्ट टेक इंडिया की टीम को दी गई है।
वैज्ञानिकों के अनुसार अहमदाबाद में रॉकेट लॉन्च करने के बाद ड्रोन से सैटेलाइट भेजा गया था। यहां पहली बार है कि रॉकेट से ही सैटेलाइट भेजा गया। ये टेस्ट और सैटेलाइट की लॉन्चिंग भी सफल रही।
टेस्ट के दौरान इसरो स्पेस के निदेशक विनोद कुमार, वरिष्ठ वैज्ञानिक केके त्रिपाठी, विजयाश्री, अनंत मधुकर, बृजेश सोनी, युधिष्ठिर और थ्रस्ट टेक इंडिया लिमिटेड के अमन अग्रवाल, अद्वैत सिधाना, सुभद्र गुप्त, जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर, देवरिया सांसद शशांक मणि त्रिपाठी भी मौजूद थे।
रॉकेट कैसे लॉन्च होता है और सैटेलाइट कैसे काम करता है को देख नागरिक भी वैज्ञानिक बनने के लिए प्रेरित होंगे। इसरो और थ्रस्ट टेक इंडिया लिमिटेड ने मिलकरटेस्ट करके भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी को आगे बढ़ ने का प्रयास भी है ।

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