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कानपुर के पनकी निवासी विनोद कुमार झा सेवानिवृत्त ईपीएफओ अधिकारी से 82 लाख रुपये की ठगी करने के आरोप में देवरिया जिले के परसा गांव के यूट्यूबर धीरज पासवान गिरफ्तार |

आरोपी तीन लाख से ज़्यादा सब्सक्राइबर वाले यूट्यूब चैनल पर शैक्षणिक और मनोरंजन सामग्री पोस्ट करता था
पासवान के पास से एक आईफोन और कई मोबाइल फोन भी बरामद
पासवान ने चुराए गए पैसे को सफेद करने के लिए स्पाइस मनी अकाउंट बनाया
क्रिप्टोकरेंसी और शेयर बाजार में निवेश किया और बाद में आपस में बांटा

15 जून, 2025, कानपुर: कानपुर पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट ने एक सेवानिवृत्त कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) अधिकारी से 82.30 लाख रुपये की ठगी करने वाले गिरोह के मास्टरमाइंड को गिरफ्तार किया है। आरोपी की पहचान देवरिया जिले के परसा गांव के धीरज पासवान के रूप में हुई है, जिसे शुक्रवार को गिरफ्तार किया गया। साइबर क्राइम थाने के इंस्पेक्टर सुनील वर्मा के अनुसार, गिरोह शुरू में ऑनलाइन गेम फ्री फायर के जरिए संपर्क में आया और बाद में कथित तौर पर यूट्यूब से सीखे गए तरीकों का इस्तेमाल करके डिजिटल धोखाधड़ी करने लगा। कानपुर के पनकी निवासी विनोद कुमार झा ने बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी का पता चलने के बाद 6 अप्रैल को शिकायत दर्ज कराई। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने पहले गिरोह के तीन सदस्यों- रौबी कुमार, जितेंद्र कुमार और रवींद्र सिंह को अलीगढ़ से गिरफ्तार किया। उनसे पूछताछ में पासवान की पहचान हुई और आखिरकार उसे गिरफ्तार कर लिया गया, जिसे वित्तीय लेनदेन के पीछे मुख्य आरोपी माना जाता है। कथित तौर पर पासवान ने चुराए गए पैसे को सफेद करने के लिए स्पाइस मनी अकाउंट बनाया और उसका प्रबंधन किया। फंड को विभिन्न बैंक खातों के माध्यम से भेजा गया, क्रिप्टोकरेंसी और शेयर बाजार में निवेश किया गया और बाद में समूह के बीच बांटा गया।
पुलिस ने पासवान के पास से एक आईफोन और कई मोबाइल फोन भी बरामद किए। दिलचस्प बात यह है कि उसने तीन लाख से ज़्यादा सब्सक्राइबर वाला एक यूट्यूब चैनल भी चलाया, जिस पर वह शैक्षणिक और मनोरंजन संबंधी सामग्री पोस्ट करता था। जांचकर्ताओं ने कहा कि धोखाधड़ी में शामिल होने के बाद उसने चैनल को बेचने की कोशिश की।
साइबर अपराध एक ऐसा अपराध है जिस में कंप्यूटर और नेटवर्क शामिल है। किसी भी कंप्यूटर का अपराधिक स्थान पर मिलना या कंप्यूटर से कोई अपराध करना कंप्यूटर अपराध कहलाता है। कंप्यूटर अपराध मे नेटवर्क शामिल नही होता है। किसी कि निजी जानकारी को प्राप्त करना और उसका गलत इस्तेमाल करना। किसी की भी निजी जानकारी कंप्यूटर से निकाल लेना या चोरी कर लेना साइबर अपराध है।
साइबर अपराध के प्रकारस्पैम ईमेल- अनेक प्रकार के ईमेल आते है जिसमें एसे ईमेल भी होते है जो सिर्फ कंप्यूटर को नुकसान पहुचाते है। उन ईमेल से सारे कंप्यूटर में खराबी आ जाती हैं।हैकिंग- किसी की भी निजी जानकारी को हैक करना जेसे की उपयोगकर्ता नाम या पासवर्ड और फिर उसमे फेर बदल करना।
साइबरफिशिंग- किसी के पास स्पैम ईमेल भेजना ताकी वो अपनी निजी जानकारी दे और उस जानकारी से उसका नुकसान हो सके। यह इमेल आकार्षित होते है।वायरस फैलाना -साइबर अपराधी कुछ ऐसे सॉफ्टवेयर आपके कम्प्युटर पर भेजते हैं जिसमें वायरस छिपे हो सकते हैं, इनमें वायरस, वर्म, टार्जन हॉर्स, लॉजिक हॉर्स आदि वायरस शामिल हैं, यह आपके कंप्‍यूटर को काफी हानि पहुॅचा सकते हैं। सॉफ्टवेयर पाइरेसी - सॉफ्टवेयर की नकल तैयार कर सस्‍ते दामों में बेचना भी साइबर क्राइम के अन्‍तर्गत आता है, इससे साफ्टवेयर कम्पनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है साथ ही साथ आपके कीमती उपकरण भी ठीक से काम नहीं करते हैं। फर्जी बैंक कॉल- आपको जाली ईमेल, मैसेज या फोन कॉल प्राप्‍त हो जो आपकी बैंक जैसा लगे जिसमें आपसे पूछा जाये कि आपके एटीएम नंबर और पासवर्ड की आवश्यकता है और यदि आपके द्वारा यह जानकारी नहीं दी गयी तो आपको खाता बन्‍द कर दिया जायेगा या इस लिंक पर सूचना दें। याद रखें किसी भी बैंक द्वारा ऐसी जानकारी कभी भी इस तरह से नहीं मॉगी जाती है और भूलकर भी अपनी किसी भी इस प्रकार की जानकारी को इन्‍टरनेट या फोनकॉल या मैसेज के माध्‍यम से नहीं बताये। सोशल नेटवर्किग साइटों पर अफवाह फैलाना - बहुत से लोग सोशल नेटवर्किग साइटों पर सामाजिक, वैचारिक, धार्मिक और राजनैतिक अफवाह फैलाने का काम करते हैं, लेकिन यूजर्स उनके इरादें समझ नहीं पाते हैं और जाने-अनजाने में ऐसे लिंक्‍स को शेयर करते रहते हैं, लेकिन यह भी साइबर अपराध और साइबर-आतंकवाद की श्रेणी में आता है। साइबर बुलिंग - फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग पर अशोभनीय कमेंट करना, इंटरनेट पर धमकियॉ देना किसी का इस स्‍तर तक मजाक बनाना कि तंग हो जाये, इंटरनेट पर दूसरों के सामने शर्मिंदा करना, इसे साइबर बुलिंग कहते हैं। अक्‍सर बच्‍चे इसका शिकार हाेते हैं। इससे इनके सेहत पर भी असर पडता है

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