शाही परिवार के सदस्यों द्वारा टाउन हॉल और चारदीवारी कब्जे पर दायर याचिका पर नोटिस
मुकदमा दायर करना और (संपत्ति पर) अधिकार होना दो अलग-अलग बातें
मामले की लंबी अवधि को देखते हुए राज्य सरकार इस मुद्दे को आगे नहीं ले जाएगी
रियासत और भारत सरकार की संधियों, समझौतों से उत्पन्न विवादों में न्यायालयों के हस्तक्षेप रोकना कानपुर 3 जून 2025
नयी दिल्ली, 2 जून 2025 उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को इस बात की पड़ताल करने पर सहमति जताई कि क्या संविधान का अनुच्छेद 363 अदालतों को संविधान-पूर्व अनुबंधों के तहत उल्लिखित पूर्ववर्ती रियासतों की संपत्तियों से जुड़े विवादों की सुनवाई करने से रोकता है।
जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने मामले की सुनवाई की। पीठ ने जयपुर के शाही परिवार के सदस्यों राजमाता पद्मिनी देवी, उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी और सवाई पद्मनाभ सिंह द्वारा टाउन हॉल (पुरानी विधानसभा) और चारदीवारी शहर में स्थित अन्य संपत्तियों के कब्जे को लेकर दायर याचिका पर नोटिस जारी किया। याचिकाकर्ताओं ने राजस्थान हाईकोर्ट के उस निर्णय को चुनौती दी है, जिसमें कहा गया था कि तत्कालीन रियासत और भारत संघ के बीच हुए समझौते में उल्लिखित टाउन हॉल पर कब्जे की मांग करने वाले मुकदमों पर संविधान के अनुच्छेद-363 के तहत सिविल अदालतों द्वारा विचार नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में संविधान के अनुच्छेद 363 के तहत पूर्व रियासतों की संपत्तियों से संबंधित विवादों की सुनवाई करने का निर्णय लिया है। अनुच्छेद 363 का उद्देश्य रियासत और भारत सरकार के बीच हुए कुछ संधियों, समझौतों आदि से उत्पन्न विवादों में न्यायालयों के हस्तक्षेप को रोकना है.
जयपुर के शाही परिवार के सदस्य राजमाता पद्मिनी देवी, उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी और सवाई पद्मनाभ सिंह द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई की जा रही है। राजस्थान हाईकोर्ट के उस निर्णय को चुनौती दी है जिसमें कहा गया था कि अनुच्छेद 363 के तहत दीवानी अदालतों को ऐसे मामलों में सुनवाई करने का अधिकार नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस मामले की गंभीरता को मानते हुए विस्तार से सुनवाई करने का निर्णय लिया। शाही परिवार के वकील हरीश साल्वे ने सुनवाई में तर्क दिया कि समझौता पांच राजकुमारों के बीच हुआ था और भारत सरकार केवल एक गारंटर के रूप में शामिल थी.
उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय के समक्ष कार्यवाही में इस पहलू पर बहस नहीं की गई, जिसके परिणामस्वरूप 17 अप्रैल को एक विवादित निर्णय आया।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने साल्वे से पूछा कि यदि भारत सरकार पक्षकार नहीं थी तो भारत संघ के साथ विलय कैसे हुआ।
साल्वे ने स्पष्ट किया कि विलय औपचारिक समझौता होने के बाद हुआ और संविधान के अनुच्छेद एक के लागू होने के साथ ही यह प्रभावी हुआ।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि साल्वे की दलीलों के अनुसार, इसका मतलब यह होगा कि यदि भारत संघ अनुबंध का पक्षकार नहीं है और इसलिए अनुच्छेद 363 लागू नहीं होगा, तो स्थिति अनिवार्य रूप से हर दूसरे शासक को मुकदमा दायर करने और अपनी संपत्ति वापस मांगने के लिए प्रेरित करेगी।
साल्वे ने कहा कि मुकदमा दायर करना और (संपत्ति पर) अधिकार होना दो अलग-अलग बातें हैं।
याचिकाकर्ताओं का मामला उन संपत्तियों पर स्वामित्व का दावा करने का नहीं है, जो अनुच्छेद 363 के बावजूद अनुबंध के अनुसार संवैधानिक रूप से राज्य के पास निहित हैं।
साल्वे की दलीलों से असहमत न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, ‘‘कल, आप कहेंगे कि पूरा जयपुर आपका है। इस तरह हर रियासत आगे आएगी और स्वतंत्रता की घोषणा करेगी।’’
पीठ ने मामले की विस्तार से सुनवाई करने पर सहमति जताई और राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किया और कहा कि इस मामले में दो और मुकदमे दायर किए जाने की संभावना है।
राजस्थान सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने कहा कि मामले की लंबी अवधि को देखते हुए राज्य सरकार इस मुद्दे को आगे नहीं ले जाएगी और विवादित संपत्तियों पर यथास्थिति बनाए रखेगी। शर्मा का बयान दर्ज करने के बाद पीठ ने मामले की सुनवाई आठ सप्ताह बाद के लिए टाल दी।
यह मामला जयपुर के पूर्व राजपरिवार और राज्य सरकार के बीच लंबे समय से चले आ रहे संपत्ति विवाद से संबंधित है।
आगे की सुनवाई अगले आठ सप्ताह बाद होगी, जिसमें राजस्थान सरकार को भी नोटिस जारी किया गया है। कोर्ट ने यह संकेत भी दिया है कि अगर समझौते के तहत भारत सरकार की भूमिका नहीं मानी जाती, तो यह हर रियासती शासक को अपनी संपत्ति के लिए अदालत में जाने का कारण प्रदान करेगा. अनुच्छेद 363 पूर्ववर्ती रियासतों एवं भारत सरकार के बीच समझौतों और अनुबंधों से उत्पन्न विवादों में अदालतों के हस्तक्षेप को रोकता है। पूर्व रियासतों के स्वामित्व संबंधी विवादों में आज भी कानूनी उपाय मौजूद हैं या नहीं इससे यह स्पष्ट होगा.
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