अमरीकी अदालत ने विदेशी छात्रों के दाखिले पर रोक लगाने के फैसले को अस्थायी निलंबन किया
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अब विदेशी छात्रों को दाखिला नहीं हार्वर्ड में यहूदी विरोधी भावना को बढ़ावा दिया जा रहा है
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ मिलकर काम किया जा रहा
इंटरनेशनल छात्रों को एडमिशन के लिए सर्टिफिकेशन रद्द
हर साल 500-800 भारतीय छात्र और विद्वान हार्वर्ड में अध्ययन करते हैं.कानपुर 23 मई, 2025
वॉशिंगटन: अमेरिका 23 मई, 2025
सोशल मीडिया पोस्ट से
TV9 Bharatvarshटीवी9 भारतवर्ष @TV9Bharatvarsh
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अब विदेशी छात्रों को दाखिला नहीं मिलेगा. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों को दाखिला देने पर रोक लगा दी है. सरकार का आरोप है कि हार्वर्ड में यहूदी विरोधी भावना को बढ़ावा दिया जा रहा है और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ मिलकर काम किया जा रहा है. सरकार का कहना है कि विदेशी छात्रों को दाखिला देना एक विशेषाधिकार है, अधिकार नहीं.विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, हर साल 500-800 भारतीय छात्र और विद्वान हार्वर्ड में अध्ययन करते हैं. वर्तमान में, हार्वर्ड विश्वविद्यालय में भारत के 788 छात्र नामांकित हैं.
श्रवण बिश्नोई (किसान) @SharwanKumarBi7 13h
डोनाल्ड ट्रंप की फंडिंग रोकने के बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से विदेशी छात्रों का प्रवेश लेने की पात्रता को रद्द कर दिया। यहां से पढ़ाई करने के बाद यहां के छात्र अपने देश में डीप स्टेट के लिए काम करते हैं, Deep state Agent के लिए अपने देश के लिए नहीं। अपने देश का विकास रोकने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं। WOKE और Secularism का प्रचार करने लगते हैं।
Panchjanyaपांचजन्य @epanchjanya 10h
USA के बाहर के देशों के युवा अब उच्च शिक्षा के लिए हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाई नहीं कर सकेंगे। कुछ समय से चल रहे टकराव के बाद आखिरकार ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय की अंतरराष्ट्रीय छात्रों को दाखिला देने की पात्रता (एसईवीपी) को रद्द कर दिया है।
Dr Monika Singhडॉ. मोनिका सिंह @Dr_MonikaSing 14h
अमेरिका में डंका बजता है न अंधभक्तो ? डोनाल्ड ट्रंप ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में रोका विदेशी छात्रों का दाखिला हर साल 500 से 800 भारतीय छात्र हार्वर्ड में लेते हैं एडमिशन इस साल 788 भारतीय छात्रों ने एडमिशन लिया था
The Lallantopलल्लनटॉप @TheLallantop 14h
- हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अब इंटरनेशनल स्टूडेंट्स को एडमिशन नहीं - ट्रंप प्रशासन ने इंटरनेशनल छात्रों को एडमिशन देने के लिए सर्टिफिकेशन को रद्द किया - ट्रंप प्रशासन ने नेशनल सिक्योरिटी और अनुशासनहीन को कारण बताया
अमरीकी अदालत ने ट्रम्प प्रशासन के हार्वर्ड विश्वविद्यालय में विदेशी छात्रों के दाखिले पर रोक लगाने के फैसले को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। हार्वर्ड ने सरकार के इस कदम को विश्वविद्यालय के खिलाफ प्रतिशोध बताया है। विश्वविद्यालय का कहना है कि सरकार राजनीतिक कारणों से दबाव बना रही थी।
वॉशिंगटन: अमेरिका की फेडरल कोर्ट ने डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के उस बैन पर अस्थायी तौर पर रोक लगा दी है, जिसमें हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को अंतरराष्ट्रीय छात्रों को एडमिशन देने से रोका गया था। जज एलिसन बरोज ने शुक्रवार को हार्वर्ड की ओर से ट्रंप सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया है। शुक्रवार को ही यूनिवर्सिटी की ओर से ये इस मामले में याचिका दायर की गई थी। अर्जी दाखिल होने के कुछ घंटे के अंदर ही जज ने अपना फैसला देते हुए ट्रंप प्रशासन के फैसले पर रोक लगा दी।
जज बरोज हार्वर्ड को मिलने वाली 2.65 अरब डॉलर की संघीय फंडिंग पर रोक के फैसले के खिलाफ मुकदमे की भी सुनवाई कर रही हैं। अब उनकी कोर्ट के सामने अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर बैन के मामला आया है। उन्होंने फिलहाल ट्रंप प्रशासन के बैन पर रोक लगाई है। यानी हार्वर्ड फिलहाल अंतरराष्ट्रीय छात्रों को एडमिशन दे सकता है लेकिन यह मामला अभी खत्म नहीं हुआ है। कोर्ट में इस पर आगे सुनवाई होगी।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का कहना है कि ट्रंप सरकार का विदेशी छात्रों के दाखिले रोकने का कदम फर्स्ट अमेंडमेंट का उल्लंघन है। इससे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और करीब 7,000 वीजा धारकों पर बुरा असर पड़ेगा। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी के इस कदम को लागू होने से रोकने के लिए कोर्ट से स्टे की (अस्थायी रोक) मांग की थी। इसे अपील को कोर्ट ने मान लिया है।
कई अन्य भारतीयों की तरह छात्र श्रेया मिश्रा रेड्डी के माता-पिता उस समय बहुत खुश थे जब उन्हें हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला मिला था। रेड्डी ने कहा कि भारत में भी स्कूल है । विवाद तब बढ़ गया जब व्हाइट हाउस ने अप्रैल में हार्वर्ड को विदेशी छात्रों पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी, क्योंकि उन्होंने अपनी भर्ती, प्रवेश और शिक्षण प्रक्रियाओं को बदलने से इनकार कर दिया था व संघीय अनुदान में $ 3 बिलियन भी जमे हुए थे।
जज बरोज हार्वर्ड को मिलने वाली 2.65 अरब डॉलर की संघीय फंडिंग पर रोक के फैसले के खिलाफ मुकदमे की भी सुनवाई कर रही हैं। अब उनकी कोर्ट के सामने अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर बैन के मामला आया है। उन्होंने फिलहाल ट्रंप प्रशासन के बैन पर रोक लगाई है। यानी हार्वर्ड फिलहाल अंतरराष्ट्रीय छात्रों को एडमिशन दे सकता है लेकिन यह मामला अभी खत्म नहीं हुआ है। कोर्ट में इस पर आगे सुनवाई होगी।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का कहना है कि ट्रंप सरकार का विदेशी छात्रों के दाखिले रोकने का कदम फर्स्ट अमेंडमेंट का उल्लंघन है। इससे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और करीब 7,000 वीजा धारकों पर बुरा असर पड़ेगा। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी के इस कदम को लागू होने से रोकने के लिए कोर्ट से स्टे की (अस्थायी रोक) मांग की थी। इसे अपील को कोर्ट ने मान लिया है।
कई अन्य भारतीयों की तरह छात्र श्रेया मिश्रा रेड्डी के माता-पिता उस समय बहुत खुश थे जब उन्हें हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला मिला था। रेड्डी ने कहा कि भारत में भी स्कूल है । विवाद तब बढ़ गया जब व्हाइट हाउस ने अप्रैल में हार्वर्ड को विदेशी छात्रों पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी, क्योंकि उन्होंने अपनी भर्ती, प्रवेश और शिक्षण प्रक्रियाओं को बदलने से इनकार कर दिया था व संघीय अनुदान में $ 3 बिलियन भी जमे हुए थे।
एसटीईएम में पढ़ रही चीनी छात्रा कैट झी ने कहा कि वह "सदमे में" है। "मैं प्रतिबंध की धमकी को लगभग भूल चुकी थी और फिर गुरुवार की घोषणा अचानक हुई।
उसने यह भी कहा कि उसने पिछले हफ्तों में संयुक्त राज्य अमेरिका में रहना जारी रखने के लिए पेशेवर मार्गदर्शन की तलाश की थी, लेकिन विकल्प "सभी बहुत परेशानी और महंगे" हैं, उसने कहा।
ट्रम्प प्रशासन ने हार्वर्ड पर "चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ समन्वय" पर बीजिंग ने जवाब दिया है कि यह सिर्फ शिक्षा का "राजनीतिकरण" है और यह कदम "केवल संयुक्त राज्य अमेरिका की छवि और अंतर्राष्ट्रीय स्थिति को नुकसान पहुंचाएगा", प्रतिबंध को "जल्द से जल्द" वापस लेने का आग्रह किया।
विश्वविद्यालय इन छात्रों को दाखिला देने की अपनी क्षमता को फिर से हासिल करने का एकमात्र तरीका यह है कि अगर वह "72 घंटे" के भीतर मांगों की सूची का अनुपालन करता है।
एक 20 वर्षीय पाकिस्तानी छात्र अब्दुल्ला शाहिद सियाल ने कहा, "इनमें से कोई भी वह नहीं है जिसके लिए हमने साइन अप किया है। उन्होंने कहा कि वह खुद को जिस स्थिति में पाते हैं वह हास्यास्पद और अमानवीय है। हार्वर्ड केनेडी स्कूल में लोक प्रशासन का अध्ययन करने वाले एक छात्र जियांग फांगझोउ ने कहा। "हमें तुरंत छोड़ना पड़ सकता है लेकिन लोगों का जीवन यहां है - अपार्टमेंट, पट्टे, कक्षाएं और समुदाय। ये ऐसी चीजें नहीं हैं जिनसे आप रातोंरात दूर चल सकते हैं",
उसने यह भी कहा कि उसने पिछले हफ्तों में संयुक्त राज्य अमेरिका में रहना जारी रखने के लिए पेशेवर मार्गदर्शन की तलाश की थी, लेकिन विकल्प "सभी बहुत परेशानी और महंगे" हैं, उसने कहा।
ट्रम्प प्रशासन ने हार्वर्ड पर "चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ समन्वय" पर बीजिंग ने जवाब दिया है कि यह सिर्फ शिक्षा का "राजनीतिकरण" है और यह कदम "केवल संयुक्त राज्य अमेरिका की छवि और अंतर्राष्ट्रीय स्थिति को नुकसान पहुंचाएगा", प्रतिबंध को "जल्द से जल्द" वापस लेने का आग्रह किया।
विश्वविद्यालय इन छात्रों को दाखिला देने की अपनी क्षमता को फिर से हासिल करने का एकमात्र तरीका यह है कि अगर वह "72 घंटे" के भीतर मांगों की सूची का अनुपालन करता है।
एक 20 वर्षीय पाकिस्तानी छात्र अब्दुल्ला शाहिद सियाल ने कहा, "इनमें से कोई भी वह नहीं है जिसके लिए हमने साइन अप किया है। उन्होंने कहा कि वह खुद को जिस स्थिति में पाते हैं वह हास्यास्पद और अमानवीय है। हार्वर्ड केनेडी स्कूल में लोक प्रशासन का अध्ययन करने वाले एक छात्र जियांग फांगझोउ ने कहा। "हमें तुरंत छोड़ना पड़ सकता है लेकिन लोगों का जीवन यहां है - अपार्टमेंट, पट्टे, कक्षाएं और समुदाय। ये ऐसी चीजें नहीं हैं जिनसे आप रातोंरात दूर चल सकते हैं",
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