जगद्गुरु रामभद्राचार्य 75 वर्षीय प्रमुख संस्कृत विद्वान और अपरंपरागत संत
चार महाकाव्यों सहित 240 से अधिक पुस्तकों के लेखक
संपूर्ण सिंह कालरा गुलजार हिंदी सिनेमा का एक प्रसिद्ध नाम
गुलज़ार वे बीमारी के कारण उपस्थित नहीं हो सके
उर्दू के बेहतरीन शायरों में से एक
कानपुर 17 मई 2025
नई दिल्ली: 16 मई 2025
भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 16 मई 2025 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में जगद्गुरु रामभद्राचार्य और प्रसिद्ध कवि-गीतकार गुलजार को 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया। यह पुरस्कार 2023 के लिए दिया गया है। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर दोनों साहित्यकारों की कहानियाँ और उनके साहित्यिक योगदान की सराहना की।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य 75 वर्षीय प्रमुख संस्कृत विद्वान और अपरंपरागत संत हैं। वे चित्रकूट में स्थित तुलसी पीठ के संस्थापक हैं और चार महाकाव्यों सहित 240 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं। रामभद्राचार्य का जीवन दृष्टिहीनता के बावजूद साहित्य और समाज सेवा के प्रति उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है। राष्ट्रपति ने उनकी बहुआयामी प्रतिभा की प्रशंसा की और बताया कि कैसे उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्टता के प्रेरक दृष्टांत प्रस्तुत किए हैं।
संपूर्ण सिंह कालरा गुलजार,के नाम से भी जाना जाता है, हिंदी सिनेमा के एक प्रसिद्ध नाम हैं। वे उर्दू के बेहतरीन शायरों में से एक माने जाते हैं। समारोह में उनकी अनुपस्थिति स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण थी, लेकिन राष्ट्रपति ने उनके स्वास्थ्य की कामना की और उनके साहित्यिक योगदान को सराहा। गुलजार को उनके काम के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके हैं, जैसे कि पद्म भूस्कर और दादा साहब फाल्के पुरस्कार
भारतीय ज्ञानपीठ ट्रस्ट द्वारा 1965 में स्थापित ज्ञानपीठ पुरस्कार, भारतीय भाषाओं में उत्कृष्ट साहित्यिक कार्यों को सम्मानित करता है। ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत के प्रमुख साहित्यिक सम्मानों में से एक है, जिसे उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान के लिए दिया जाता है। इस पुरस्कार में प्रशस्ति पत्र, नगद पुरस्कार और वाग्देवी की एक मूर्ति शामिल है。
राष्ट्रपति मुर्मू ने इस पुरस्कार समारोह के माध्यम से साहित्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को भी व्यक्त किया और कहा कि साहित्य समाज को जागरूक करता है और उससे संवेदनशीलता में वृद्धि होती है।गुलज़ार वे बीमारी के कारण उपस्थित नहीं हो सके।
राष्ट्रपति मुर्मू ने दोनों पुरस्कार विजेताओं की प्रशंसा की और इस बात पर जोर दिया कि साहित्य समाज को एकजुट करता है और जागृत करता है, भारत के स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक सुधार में लेखकों की ऐतिहासिक भूमिका पर प्रकाश डाला।
इस समारोह में भारत की समृद्ध साहित्यिक विरासत पर प्रकाश डाला गया, जिसमें दो प्रतिष्ठित हस्तियों की बुद्धिमत्ता, रचनात्मकता और समर्पण का सम्मान किया गया।
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