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भारत-पाकिस्तान सीमा पर पंजाब में चलने वाला बीटिंग रिट्रीट समारोह 21 मई से फिर से शुरू बिना पारंपरिक हाथ मिलाने और द्वार खोले बिना।

बीएसएफ अपने कर्तव्यों का पालन करते रहेंगे और ध्वज को झुकाते रहेंगे
गहरा संदेश सजगता और सम्मान के साथ शांति की कोशिशें जारी
सीमा पर हालात असामान्य या युद्ध जैसे हो आयोजन कुछ समय के लिए रोक दिया जाता है।
गर्जना, बूटों की ताल और तिरंगे की लहराती शान परंपरा के साथ देशभक्ति की जीवंत झलक
समारोह अटारी, हुसैनीवाला और सादकी जैसे स्थानों पर आयोजित
अब  बीएसएफ और पाक रेंजर्स के बीच हाथ मिलाने की परंपरा आयोजन का हिस्सा नहीं

कानपुर 21 मई 2025
नई दिल्ली 21 मई 2025
भारत-पाकिस्तान सीमा पर पंजाब में चलने वाला बीटिंग रिट्रीट समारोह 21 मई से फिर से शुरू हो गया है। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के पंजाब फ्रंटियर के महानिरीक्षक अतुल फुलजेले के अनुसार, यह समारोह आज शाम छह बजे से शुरू होगा। इस समारोह में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। बीएसएफ के जवान अब पाकिस्तान रेंजर्स से हाथ नहीं मिलाएंगे और ध्वज उतारने की प्रक्रिया के दौरान सीमा के द्वार भी नहीं खोले जाएंगे, जो पहले होता था।
बीटिंग रिट्रीट समारोह, जो कि सदा का एक प्रमुख कार्यक्रम है, में भारत और पाकिस्तान के सैनिक अपने-अपने देशों का झंडा उतारते हैं। यह समारोह अटारी, हुसैनीवाला और सादकी जैसे स्थानों पर आयोजित होता है। पिछले कुछ हफ्तों में देश में चल रहे तनाव और पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद बीएसएफ ने 8 मई को जनता की सुरक्षा के कारण इस कार्यक्रम को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया था।
बीएसएफ ने साफ किया है कि वे अपने कर्तव्यों का पालन करते रहेंगे और ध्वज को झुकाते रहेंगे, भले ही जनता उपस्थित हो या न हो। गर्जना, बूटों की ताल और तिरंगे की लहराती शान सीमा पर एक ऐसा दृश्य रचते हैं जो परंपरा के साथ देशभक्ति की जीवंत झलक बन जाता है।
20 मई से शुरू हुए बीटिंग रिट्रीट समारोह में इस बार कुछ बदलाव किए गए हैं, जो हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच उपजे तनाव को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं। अब पहले की तरह बीएसएफ और पाक रेंजर्स के बीच हाथ मिलाने की परंपरा इस आयोजन का हिस्सा नहीं होगी। सीमा के द्वार भी नहीं खोले जाएंगे, जो सामान्य दिनों में दोनों सेनाओं के बीच एक प्रतीकात्मक सौहार्द का संकेत होते थे।
बीएसएफ पंजाब फ्रंटियर के इंस्पेक्टर जनरल अतुल फुलजले के अनुसार समारोह को छोटा और अधिक सुरक्षित रखा गया है। सुरक्षा सर्वोपरि है, लेकिन इसके साथ ही सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले नागरिकों को यह विश्वास भी देना जरूरी है कि जीवन सामान्य दिशा में लौट रहा है। हर शाम ठीक 6 बजे यह आयोजन होगा, और इच्छुक दर्शक इसे देखने आ सकते हैं। भीड़ को नियंत्रित रखते हुए लोगों को इस आयोजन से जोड़ने की अनुमति दी जा रही है ताकि सीमा पर बसे आम नागरिक भी गर्व और गौरव के इस क्षण के साक्षी बन सकें। यह संदेश गहरा है शांति की कोशिशें जारी हैं, लेकिन सजगता और सम्मान के साथ।
भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित वाघा बॉर्डर सिर्फ एक भौगोलिक रेखा के साथ विरासत का प्रतीक है जिसमें परंपरा, पराक्रम और प्रतीकात्मक संवाद तीनों का संगम देखने को मिलता है। वाघा गांव, भारत के अमृतसर और पाकिस्तान के लाहौर के बीच ऐतिहासिक ग्रैंड ट्रंक रोड पर स्थित है। लाहौर से 29 किलोमीटर और अमृतसर से 27 किलोमीटर दूर बसे इस स्थान ने दशकों से सीमा पर दोनों देशों के रिश्तों का सांकेतिक मंच तैयार किया है।
वर्ष 1959 में शुरू हुए बीटिंग रिट्रीट समारोह की शुरुआत का मकसद सीमावर्ती तनावों के बीच भी आपसी सम्मान, अनुशासन और एक प्रकार का संवाद बनाए रखना था। यह एक औपचारिक सैन्य परेड है जिसमें दोनों देशों के सैनिक संध्या समय झंडा उतारने की रस्म को एक सख्त लेकिन सम्मानजनक अनुशासन के साथ निभाते हैं। हर शाम सूर्यास्त से पहले, परेड का आयोजन होता है जिसमें भारत और पाकिस्तान दोनों ओर से सैनिकों की सजीव और शक्तिशाली उपस्थिति देखने को मिलती है। भारतीय पक्ष परेड को जोश, गरिमा और देशभक्ति के गीतों के साथ प्रस्तुत करता है दर्शकों के नारों, तालियों और राष्ट्रध्वज के सम्मान के साथ माहौल बेहद जीवंत हो उठता है।
बीते वर्षों में यह आयोजन एक लोकप्रिय पर्यटन आकर्षण बन चुका है, जहां देशभर से ही नहीं, बल्कि विदेशी नागरिक भी बड़ी संख्या में आते हैं। बॉलीवुड के देशभक्ति गीत, सांस्कृतिक कार्यक्रम, और लोगों की भागीदारी इसे सिर्फ एक सैन्य परेड नहीं, बल्कि राष्ट्रप्रेम के सार्वजनिक उत्सव का रूप दे देते हैं। एक दिलचस्प परंपरा इस समारोह की यह भी रही है कि झंडा उतारने के समय दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे से हाथ मिलाते हैं, जो तमाम कटुता के बीच एक प्रतीकात्मक सद्भाव की झलक देता है। सैन्य तनावों और सुरक्षा कारणों से इस बार यह परंपरा फिलहाल निलंबित रहेगी। गौरतलब है कि जब भी सीमा पर हालात असामान्य या युद्ध जैसे हो जाते हैं, तो यह आयोजन कुछ समय के लिए रोक दिया जाता है। लेकिन उसकी वापसी भले ही बदले हुए स्वरूप में हो यही दर्शाती है कि सामान्य स्थिति की ओर लौटने की उम्मीद और कोशिशें जारी हैं।
21 मई से बीटिंग रिट्रीट समारोह का आयोजन दो हफ्तों की रोक के बाद फिर से हो रहा है, लेकिन बिना पारंपरिक हाथ मिलाने और द्वार खोले बिना।

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