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लखनऊ की विशेष पीएमएलए अदालत द्वारा शाइन सिटी ग्रुप के मुख्य प्रवर्तक राशिद नसीम को अपराधी अधिनियम के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया

800 से 1,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी

उत्तर प्रदेश में FEOA के तहत भगोड़ा घोषित किए जाने का पहला मामला
न्यायिक प्रक्रियाओं से बचने के लिए देश छोड़कर भागा
राशिद नसीम ने धोखाधड़ी  से 800 से 1,000 करोड़ रुपये की अवैध राशि  जमा  की
 भ्रष्टाचार व धनशोधन के  लगभग 128 करोड़ रुपये  जब्त करने की प्रक्रिया शुरू


कानपुर 2, मई, 2025:
लखनऊ 2, मई, 2025:
सोशल मीडिया पोस्ट से
#अमित_गौतम_व_201_बनाम_यूनियन_ऑफ_इंडिया_व_सात अन्य मे #काउंटर फाइल करते हुए #प्रवर्तन_निदेशालय ने यह स्पष्ट किया था कि उन्होंने 24.9.2024 को राशिद नसीम के खिलाफ #FEOA एक्ट में रिपोर्ट पंजीकृत करवा ली थी क्योंकि अमित गौतम की याचिका में मेरी #बहस का #आधार ही यही था कि प्रवर्तन निदेशालय ने राशिद नसीम की प्रॉपर्टी को #सीजर में लिया है और पीएमएलए में सीज की गई प्रॉपर्टी को 30 दिन के अंदर #कन्फस्केट करना अनिवार्य है और यह कन्फयूएसकेशन तब तक नहीं हो सकता था जब तक राशिद नसीम के खिलाफ फूजिटिव इकोनामिक ऑफन्डर एक्ट के अंतर्गत रिपोर्ट पंजीकृत ना हो. दिनांक 24.9.2024 को 2:27 पर हाई कोर्ट का जजमेंट आया जिसमें उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय दिल्ली के डायरेक्टर को अपना #पर्सनल_एफिडेविट प्रस्तुत करने के लिए आदेशित किया था और इसी आदेश की वजह से प्रवर्तन निदेशालय के जोनल डायरेक्टर लखनऊ जोन ने 3 :40 पर लखनऊ की स्पेशल पीएमएलए कोर्ट में FEOA की धारा 4 के अंतर्गत राशिद नसीम के खिलाफ रिपोर्ट पंजीकृत कराने के लिए एप्लीकेशन दी जिस पर न्यायालय ने आदेश जारी कर दिया
अब समझिए की #आर्थिक_भगोड़ा होता क्या है. आर्थिक भगोड़ा घोषित होने पर व्यक्ति की संपत्तियां जब्त कर ली जाती हैं, और उस पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है। यह प्रक्रिया भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 के तहत होती है, जो उन लोगों के लिए बनाई गई है जो 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक के आर्थिक अपराधों में शामिल हैं और अभियोजन से बचने के लिए देश से बाहर चले जाते हैं. जैसे राशिद नसीम
भगोड़ा आर्थिक अपराधी कैसे #घोषित किया जाता है:
विशेष न्यायालय (धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत) को आवेदन मिलता है जिसमें व्यक्ति के खिलाफ अपराध और उसके द्वारा देश छोड़कर जाने का विवरण होता है.
विशेष न्यायालय व्यक्ति को नोटिस जारी करता है जिसमें उसे एक निश्चित समय के भीतर न्यायालय में उपस्थित होने का निर्देश दिया जाता है. इस केस में प्रवर्तन निदेशालय ने 24. 9.2024 को विशेष न्यायालय (धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत) को आवेदन दिया कि राशिद नसीम के खिलाफ आर्थिक भगोड़ा अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही हो न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय की एप्लीकेशन को एक्सेप्ट करते हुए राशिद नसीम को संबंध जारी किया कि वह 9 दिसंबर तक न्यायालय के समक्ष उपस्थित हो लेकिन राशिद नसीम न्यायालय के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ और
यदि व्यक्ति न्यायालय में उपस्थित नहीं होता है, तो विशेष न्यायालय उसे भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर सकता है.
भगोड़ा घोषित होने के बाद क्या होता है:
संपत्ति जब्ती: व्यक्ति की भारत और विदेश में स्थित सभी संपत्तियां जब्त कर ली जाती हैं, जो केंद्र सरकार के अधीन आ जाती हैं.
कानूनी कार्रवाई: भगोड़ा घोषित होने पर व्यक्ति पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है.
प्रशासन नियुक्त: केंद्र सरकार जब्त की गई संपत्तियों के प्रबंधन और निपटान के लिए एक प्रशासक नियुक्त कर सकती है.
सिविल दावों पर प्रतिबंध: भगोड़ा आर्थिक अपराधी या उससे संबंधित कंपनियों को सिविल दावे दायर करने या उनका बचाव करने से रोका जा सकता है. ऐसी स्थिति में राशिद नसीम की पत्नी शगुफ्ता रशीद द्वारा राशिद नसीम के खिलाफ डालीगंज अपार्टमेंट को लेकर दायर की गई सिविल याचिका निरस्त होगी
भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018:
इस अधिनियम का उद्देश्य आर्थिक अपराधों में शामिल व्यक्तियों को भारत में कानून से बचने से रोकना है.
यह अधिनियम उन लोगों पर लागू होता है जिनके खिलाफ 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक के आर्थिक अपराधों में गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है और जो अभियोजन से बचने के लिए देश से बाहर चले गए हैं.
लखनऊ पीएमएलए विशेष अदालत ने शाइन सिटी ग्रुप के मुख्य प्रवर्तक राशिद नसीम को अपराधी अधिनियम (FEOA) 2018 के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया है।
यह मामला उत्तर प्रदेश में FEOA के तहत भगोड़ा घोषित किए जाने का पहला मामला है।
लखनऊ की एक विशेष पीएमएलए अदालत ने शाइन सिटी ग्रुप के मुख्य प्रवर्तक राशिद नसीम को आर्थिक अपराधों के गंभीर मामलों में अपराधी अधिनियम (FEOA) 2018 के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया है। यह निर्णय देश में धोखाधड़ी और आर्थिक अपराधों को रोकने के लिए कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन कर भारतीय न्यायिक प्रणाली में आर्थिक अपराधों के विरुद्ध कठोर कदमों का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा जारी जानकारी के अनुसार राशिद नसीम ने धोखाधड़ी के माध्यम से 800 से 1,000 करोड़ रुपये की राशि की अवैध जमा  की है। उन्होंने निवेशकों को तत्काल एवं उच्च लाभ की गारंटी देकर फर्जी रियल एस्टेट योजनाओं तथा मल्टी-लेवल मार्केटिंग के तत्वों का सहारा लिया। इस तरह धोखाधड़ी के तहत योजनाओं के जरिये लोगों को विश्वास में लेकर बड़ी मात्रा में धनराशि प्राप्त ।
वित्तीय अनुशासन और निवेशकों की सतर्कता अत्यंत आवश्यक है। अनजानी योजनाओं में अन्धाधुंध निवेश करना आर्थिक हानि का कारण बन सकता है। प्रवर्तन निदेशालय की सक्रियता इस प्रकार की धोखाधड़ी को रोकने एवं जिम्मेदारों को सजा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा निवेशकों को वित्तीय योजना में निवेश धोखाधड़ी से बचा धन की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है।
शाइन सिटी ग्रुप के मुख्य प्रवर्तक राशिद नसीम पर वित्तीय अनियमितताओं और धोखाधड़ी के गंभीर आरोप थे। आरोपों की जांच के दौरान यह पाया गया कि नसीम ने अपनी कंपनी के माध्यम से निवेशकों के पैसे का दुरुपयोग किया और कंपनी की बिक्री से जुड़ी आर्थिक गतिविधियों में गड़बड़ी की। इसके अतिरिक्त, वे न्यायिक प्रक्रियाओं से बचने के लिए देश छोड़कर भाग गए, जिससे उन्हें भगोड़ा अपराधी घोषित करने की आवश्यकता उत्पन्न हुई। विशेष पीएमएलए अदालत ने इन सब तथ्यों का विश्लेषण करने के बाद उन्हें अपराधी अधिनियम के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया।
भारत सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में आर्थिक अपराधों जैसे धनशोधन, भ्रष्टाचार, और वित्तीय धोखाधड़ी से निपटने हेतु कई कड़े कानून बनाए हैं, जिनमें विशेष पीएमएलए अदालतें वित्तीय अपराधों को तेजी से निपटाने के लिए प्रमुख भूमिका निभा रही हैं। इसी के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधियों को पकड़ने तथा उनके परिसंपत्तियों को जब्त करने के भी प्रावधान किए गए हैं। राशिद नसीम के खिलाफ यह कार्रवाई इन प्रावधानों की सशक्तता को दर्शाती है और यह संदेश देती है कि आर्थिक अपराधियों को न्याय के कटघरे से कोई बच नहीं सकता।
लखनऊ की पीएमएलए अदालत का निर्णय विशिष्ट व्यक्तियों के लिए व पूरे समाज के लिए महत्वपूर्ण है। यह आर्थिक अपराधों के प्रति समाज की सहिष्णुता को खत्म करने और कानून के शासन को सुदृढ़ करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। इस प्रकार की न्यायिक कार्रवाईयों से यह अपेक्षा है कि भविष्य में आर्थिक अपराध करने वालों में भय और सर्तकता उत्पन्न होगी व देश की आर्थिक प्रणाली अधिक पारदर्शी और विश्वास योग्य बनेगी।
राशिद नसीम नेपाल के रास्ते दुबई भाग गया है और वर्तमान में वहीं रह रहा है। उनकी गिरफ्तारी और देश वापसी को सुनिश्चित करने के लिए उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट, लुकआउट सर्कुलर और अंतर्राष्ट्रीय जांच एजेंसी इंटरपोल द्वारा रेड नोटिस जारी किया जा चुका है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) भ्रष्टाचार व धनशोधन के आरोपों को लेकर लगभग 128 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू कर अपराधी तत्वों के खिलाफ कड़ा संदेश देने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ राज्य को सख्त रुख अपना कानून व्यवस्था को चुनौती और भ्रष्टाचार के मामलों में कानूनी प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी कर न्यायिक निष्पक्षता सुनिश्चित की जानी आवश्यक है।
यह मामला उत्तर प्रदेश में FEOA के तहत भगोड़ा घोषित किए जाने का पहला मामला है।

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