• सरकार द्वारा मनरेगा का नाम बदलकर 'पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी' करने पर विवाद
• आरोप है कि सरकार योजनाओं के नाम बदलने में माहिर और यह संसाधनों की बर्बादी
• गांधी के नाम को हटाने और पुरानी योजना पर श्रेय लेने का प्रयास है।
• 'अक्षम' बताया है और इसे गांधी के प्रति नफरत से जोड़ा है।
• मनरेगा के तहत गारंटीड काम के दिनों को 100 से बढ़ाकर 125 करने का फैसला
• गांधी के नाम को हटाने और पुरानी योजना पर श्रेय लेने का प्रयास है।
• 'अक्षम' बताया है और इसे गांधी के प्रति नफरत से जोड़ा है।
• मनरेगा के तहत गारंटीड काम के दिनों को 100 से बढ़ाकर 125 करने का फैसला
कानपुर 13 दिसम्बर 2025
नई दिल्ली: 13 दिसम्बर 2025
नई दिल्ली: 13 दिसम्बर 2025
मैं समझ नहीं सकती कि MGNREGA का नाम बदलने के पीछे क्या मानसिकता है। सबसे पहले तो ये महात्मा गांधी का नाम है। जब नाम बदला जाता है तो सरकार के संसाधन उसमें फिर से खर्च होते हैं। ये एक बड़ी प्रक्रिया होती है जिसमें पैसे भी लगते हैं तो बेवजह ये करने का क्या फायदा है
रवींद्रनाथ टैगोर ने ही गांधी जी को "महात्मा" की उपाधि दी थी। अब 'महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम' या मनरेगा का नाम बदलकर 'पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी' कर दिया जाएगा। अक्षम मोदी
दस साल पहले पीएम मोदी ने संसद में मनरेगा का मजाक उड़ाया था. उन्होंने कहा था कि यह कीकांग्रेस की विफलताओं का जीवंत स्मारक है।
लेकिन आज वही मोदी सरकार उसी का नाम बदलने में मनरेगा लगी हुई है।
कैसा पाखंड है!!
मैं मनरेगा, जिसमें महात्मा गांधी का नाम है, का नाम बदलने के पीछे की मानसिकता को समझ नहीं पा रहा हूं। जब भी इस तरह का नाम बदला जाता है तो बहुत सारे सार्वजनिक संसाधन बर्बाद हो जाते हैं। मैं वास्तव में इसके पीछे का कारण नहीं समझ पा रहा हूं।
@priyankagandhi Congress MPकांग्रेस सांसद
Breaking News: मोदी कैबिनेट की बैठक में बड़ा फैसला मनरेगा के नाम बदलने के प्रस्ताव को मिली मंजूरी, पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी होगा नया नाम, ग्रामीणों को साल में 125 दिन काम की गारंटी
सरकारी फैसला: मोदी कैबिनेट ने 12 दिसंबर 2025 को MGNREGA (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) का नाम बदलकर पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना करने और गारंटीड काम के दिनों को 100 से बढ़ाकर 125 करने वाले बिल को मंजूरी दी।
विपक्ष की मुख्य आलोचना:कांग्रेस नेता जयराम रमेश: सरकार योजनाओं के नाम बदलने और री-ब्रांडिंग में "धुरंधर" है; महात्मा गांधी के नाम से क्या समस्या है? पहले निर्मल भारत को स्वच्छ भारत और अन्य योजनाओं के नाम बदले गए।
प्रियंका गांधी: नाम बदलने से सरकारी संसाधन बर्बाद होते हैं, बड़ा खर्च आता है; इसके पीछे की मानसिकता समझ नहीं आती।
अन्य: मोदी ने 10 साल पहले मनरेगा को कांग्रेस की विफलता का "जीवंत स्मारक" कहा था, अब नाम बदलकर श्रेय लेने की कोशिश; पाखंड।
अन्य प्रतिक्रियाएं:सागरिका घोष: रवींद्रनाथ टैगोर ने गांधी को "महात्मा" उपाधि दी; अब नाम बदलना अक्षमता दिखाता है।
कुछ यूजर्स: "पूज्य बापू" आसाराम बापू से जोड़कर व्यंग्य कर रहे हैं (मोदी ने पहले आसाराम को पूज्य बापू कहा था)।
कई पोस्ट में नाम बदलने को संसाधनों की बर्बादी और अनावश्यक बताया गया।
समग्र भावना: विपक्ष और कई यूजर्स इसे गांधी के नाम को हटाने की कोशिश, राजनीतिक ब्रांडिंग और पुरानी योजना पर श्रेय लेने का प्रयास मान रहे हैं; कुछ इसे गांधी के प्रति नफरत से जोड़ रहे हैं।निर्णय पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान सरकार योजनाओं और कानूनों का नाम बदलने में "धुरंधर" है। उन्होंने उदाहरण के तौर पर उल्लेख किया कि सरकार ने निर्मल भारत अभियान का नाम बदलकर स्वच्छ भारत अभियान और ग्रामीण एलपीजी वितरण कार्यक्रम का नाम बदलकर उज्ज्वला कर दिया है। रमेश ने कहा कि सरकार री-पैकेजिंग और ब्रांडिंग में विशेषज्ञता रखती है, यह दर्शाते हुए कि ऐसी तकनीकें वास्तविक समस्याओं का समाधान करने के बजाय लोगों को भ्रमित करने का कार्य करती हैं।रमेश ने यह भी संकेत दिया कि राजनीतिक संवाद में ऐसी क्रियाएं 'विपक्षी दलों के लिए महत्वपूर्ण' हो सकती हैं, क्योंकि यह उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों को अनदेखा करने का एक तरीका है। इस बयान के माध्यम से, उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस पार्टी उन योजनाओं और कानूनों के संदर्भ में सरकार के दृष्टिकोण पर एक गंभीर आलोचना कर रही है, जो जनहित में नहीं लगते हैं।
उनकी इस टिप्पणी के पीछे का मुख्य विचार यह है कि सरकार का ध्यान योजनाओं के नाम बदलने पर अधिक है बजाय इसके कि वे उन योजनाओं की वास्तविक कार्यान्वयन पर ध्यान दें जो लोगों की जरूरतों को पूरा करें। इस संदर्भ में, उन्होंने इसे एक प्रकार की राजनीतिक नफासत के रूप में देखा है, जिसमें मूल मंशा को छिपाने का प्रयास होता है।








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