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सम्राट पेरुम्बिडुगु मुथरैयर द्वितीय (सम्राट सुवरन मारन) के सम्मान में डाक टिकट का औपचारिक विमोचन

 7वीं-8वीं सदी के एक प्रभावशाली तमिल शासक

कुशल प्रशासन, न्याय और तमिल संस्कृति के संरक्षण के लिए जाने जाते थे
स्मारक डाक टिकट के माध्यम से सम्मानित करने की मांग तमिलनाडु सरकार द्वारा
जन्म 23 मई 675 ईस्वी में
कानपुर 14 दिसम्बर 2025
डीडी न्यूज़डीडी न्यूज़@DDNewsHindi ·6h
14 दिसम्बर 2025: नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति ने नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सम्राट पेरुम्बिडुगु मुथरैयर द्वितीय (सम्राट सुवरन मारन) के सम्मान में स्मारक डाक टिकट का औपचारिक विमोचन किया इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने तमिल भाषा और संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे निरंतर प्रयासों की सराहना की, उन्होंने कहा कि तमिल विरासत भारत की सांस्कृतिक पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है (Perumbidugu Mutharaiyar II), जिन्हें सुवरन मारन (Suvaran Maran) भी कहते हैं, 7वीं-8वीं सदी के एक प्रभावशाली तमिल शासक थे जो अपने कुशल प्रशासन, न्याय और तमिल संस्कृति के संरक्षण के लिए जाने जाते थे; हाल ही में (दिसंबर 2025 में) उनके सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया गया, जिसे प्रधानमंत्री मोदी और उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने सराहा।
मुथरैयार द्वितीय को स्मारक डाक टिकट के माध्यम से सम्मानित करने की मांग तमिलनाडु सरकार द्वारा की गई है। उन्ह पल्लव साम्राज्य के तहत 705 से 745 ईस्वी तक तंजावुर, तिरुचिरापल्ली और पुदुक्कोट्टई क्षेत्रों पर शासन करने वाले एक महत्वपूर्ण शासक के रूप में जाना जाता है। मुथरैयार को उनके न्यायप्रिय प्रशासन, सिंचाई परियोजनाओं और तमिल परंपराओं के प्रति समर्थन के लिए जाना जाता है।
राज्य के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री, एस. वी. मेय्यानाथन ने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू को पत्र लिखकर डाक टिकट जारी करने का अनुरोध किया है। उनका मानना है कि इससे मुथरैयार की उपलब्धियों को उजागर करने के साथ-साथ तमिल संस्कृति और इतिहास को नई पीढ़ी के बीच प्रस्तुत करने में मदद मिलेगी।
मुथरैयार द्वितीय को एक कुशल शासक, योद्धा और कला तथा कृषि का संरक्षक माना जाता है। उनके शासन के दौरान की गई सिंचाई परियोजनाओं ने क्षेत्र को उपजाऊ बना दिया और उनके उपनाम 'पेरुम पिडुगु' (महान गर्जन) से यह स्पष्ट होता है कि उनके प्रति लोगों का कितना सम्मान था। उनके शासन के दौरान तिरुचिरापल्ली, पुदुकोट्टई और तंजावुर के क्षेत्रों में आज भी कई लोकगीत और परंपराएं जीवित हैं, जो उनकी स्मृति को संजोए हुए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मुथरैयार के योगदान की प्रशंसा की है और युवाओं को उनके जीवन का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया है। यह कार्यक्रम भारत में सांस्कृतिक विरासत और गुमनाम नायकों के प्रति ध्यान केंद्रित करने का एक प्रयास है, जिसमें अनेक प्रमुख व्यक्तियों ने भाग लिया।
पेरुम्बिडुगु मुथरैयार द्वितीय (Perumbidugu Mutharaiyar II) मुथरैयार राजवंश के शासक थे, जिन्होंने तंजावुर और त्रिची क्षेत्रों पर शासन किया।पेरुम्बिदुगु मुथारार द्वितीय द्वितीय मुथरैयार राजवंश का शासक था, जिसने तंजावुर और त्रिची क्षेत्र पर शासन किया था।
जन्म और शासन: उनका जन्म 23 मई 675 ईस्वी में हुआ था और वे अपने पिता के बाद 705 ईस्वी के आसपास सिंहासन पर बैठे।
उपलब्धियाँ:उन्होंने नंदीवर्मन के साथ गठबंधन कर पांड्य और चेर राजवंशों के खिलाफ कई लड़ाइयाँ लड़ीं।
वह न्याय और रणनीतिक कौशल के लिए प्रसिद्ध थे, और उनके शासनकाल में सिंचाई परियोजनाएं और मंदिर निर्माण हुए, जो शिलालेखों से प्रमाणित होते हैं।
सम्मान:14 दिसंबर 2025 को उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने उनके सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें 'कुशल प्रशासक और तमिल संस्कृति के महान संरक्षक' बताया और युवाओं से उनके जीवन के बारे में पढ़ने का आग्रह किया।
विरासत: मुथरैयार जयंती हर साल मनाई जाती है और उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया जाता है, जो तमिल इतिहास में उनके महत्व को दर्शाता है।
मुथरैयार द्वितीय दक्षिण भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण शासक थे जिनकी वीरता, प्रशासन और सांस्कृतिक योगदान को आज भी याद किया जाता है और सम्मानित किया जाता है।

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