नेशनल ओवरसीज स्कॉलरशिप बजट
●2023-24: ₹7 करोड़●2024-25: ₹6 करोड़
● 2025-26: ₹1 लाख
नाममात्र 2025-26 में ₹1 लाख सरकार की आदिवासी विरोधी मानसिकता
नेता विपक्ष राहुल गांन्धी का शान्त रहना भी युवाओ के हित मे नही है ।
कानपुर 9 फरवरी, 2025
नई दिल्ली: 8 फरवरी, 2025 नेशनल ओवरसीज स्कॉलरशिप (ST Overseas Scholarship) के बजट में भारी कटौती आदिवासी समाज के लिए गहरी चिंता का विषय है। 2023-24 में ₹7 करोड़ से घटाकर 2024-25 में ₹6 करोड़ किया गया और अब 2025-26 में इसे मात्र ₹1 लाख कर देना सरकार की आदिवासी विरोधी मानसिकता है। नेता विपक्ष राहुल गांन्धी का शान्त रहना भी युवाओ के हित मे नही है ।यह आदिवासी छात्रों के लिए उच्च शिक्षा के दरवाजे बंद कर सरकार की प्राथमिकताओं में आदिवासी समाज नहीं है दर्शाता है।
भारत में आदिवासी समाज की आर्थिक, शैक्षणिक और सामाजिक स्थिति हमेशा से चुनौती है। विभिन्न सरकारी योजनाओ सहित नेशनल ओवरसीज स्कॉलरशिप (ST Overseas Scholarship), का उद्देश्य आदिवासी विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के अवसर प्रदान करना और उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए सक्षम बनाना है। परंतु बजट में इस स्कॉलरशिप मे भारी कटौती ने आदिवासी समुदाय के लिए चिंताएँ उत्पन्न कर दी हैं। नेशनल ओवरसीज स्कॉलरशिप विशेष रूप से अनुसूचित जनजातियों के विद्यार्थियों को विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। यह स्कॉलरशिप सक्षम आदिवासी समाज और समुदाय के प्रतिभागियों को उच्चतम शिक्षा लेने में मदद कर विकास में योगदान के लिये हैं। बजट में कमी से विद्यार्थियों के पास अवसरों की कमी व आदिवासी समुदाय की शिक्षा की गुणवत्ता भी प्रभावित होगी। कटौती का कारण विभिन्न सरकारी नीति बदलाव और आर्थिक स्थिति है, जिससे शिक्षा के क्षेत्र में आवंटित धन की कमी आई है। यह कटौती आदिवासी विद्यार्थियों के लिए बड़ा नुकसान है, आदिवासी पहले से ही वे सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। इस कटौती से समुदाय के छात्रों के लिए विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करना मुश्किल हो जाएगा। इस स्थिति में, समुदाय के नेताओं और सरकारी अधिकारियों को मिलकर इस समस्या का समाधान ढूंढना होगा। शिक्षा के क्षेत्र में आदिवासी विद्यार्थियों को उचित वित्तीय सहायता आवश्यक है। इसके लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं की समीक्षा कर बजट आवंटन में आदिवासी समुदाय के लिए प्राथमिकता सुनिश्चित किया जाए । वित्तीय सहायता के साथ सशक्त बनाने के लिए आवश्यक है कि विद्यार्थियों को जानकारी और मार्गदर्शन भी प्रदान किया जाए।
इससे छात्रों को स्कॉलरशिप सहित शिक्षण संस्थानों में बेहतर प्रवेश की व्यवस्था वाछिंत है । समाज के इस महत्वपूर्ण हिस्से को सशक्त बनाने के लिए उनके अधिकारों और जरूरतों को समझा जाए। यदि वर्तमान में सुधार नहीं किया गया तो यह आदिवासी समाज के साथ सम्पूर्ण देश के लिए नुकसान होगा। शिक्षा समाज की मूलधारा है और सभी को इसे प्राप्त करने का पूरा हक है।
नेशनल ओवरसीज स्कॉलरशिप के बजट में कटौती समाज के लिए चिंता का विषय है। इसे तत्काल संसोधन कर यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि भविष्य में उनकी शिक्षा और विकास में कोई बाधा न आए। हमारे युवा ही हमारे समाज का भविष्य हैं, और उन्हें सही अवसर प्रदान करना सरकार व समाज की जिम्मेदारी है।
आदिवासी राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री से यह सवाल उठना चाहिए कि जब सरकार 'सबका साथ, सबका विकास' की बात करती है, तो फिर आदिवासी छात्रों की उच्च शिक्षा के अवसरों को क्यों छीना जा रहा है? यह कटौती सिर्फ एक वित्तीय फैसला नहीं गहरी साजिश है, जिसका लक्ष्य आदिवासियों को मुख्यधारा और वैश्विक प्रतिस्पर्धा से बाहर रखना है। सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार कर आदिवासी छात्रों के लिए छात्रवृत्ति को तुरंत पूर्ववर्ती कर उनका भविष्य सुरक्षित कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने के लिये प्रेरित करना चाहिये ।।
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