लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों के संरक्षण प्रकरणो मे सर्वसम्मति व समझदारी से विचारआवश्यक
चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था
चुनाव आयोग की नियुक्ति में भारत के मुख्य न्यायाधीश को शामिल किया जाना चाहिए
स्वस्थ लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया अनिवार्य
एक पार्टी मे भिन्न विचारधाराये स्वस्थ लोकतन्त्र की पहचान
नयी दिल्ली, 17 फरवरी, 2025 एक पार्टी मे भिन्न विचारधाराये स्वस्थ लोकतन्त्र की पहचानने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए में तर्क दिया कि
मोदी सरकार मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन के लिए 2023 में जो नया कानून- The Chief Election Commissioner And Other Election Commissioners Act लेकर आई है, इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। अभी तक सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर 3 आर्डर पास किए हैं और अगली सुनवाई 19 फरवरी के आस पास होनी है। इसलिए मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के चयन को लेकर कांग्रेस का स्टैंड बड़ा स्पष्ट है-
• CEC के चुनाव से जुड़ी आज जो बैठक हुई है, उसे स्थगित किया जाए
• मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट को ये याचिका दे कि CEC के चुनाव से जुड़ी सुनवाई जल्द की जाए।
इसमें कांग्रेस, सरकार का पूरा समर्थन करेगी।
मोदी सरकार को अपना अहंकार छोड़कर ये मांग माननी चाहिए।
अभिषेक मनु सिंघवी के अनुसार चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है, चुनाव आयोग की स्वतंत्रता की महत्ता है, स्वस्थ लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया अनिवार्य है, और चुनाव आयोग इस प्रक्रिया का संरक्षक है। सिंघवी का यह सुझाव कि चुनाव आयोग की नियुक्ति में भारत के मुख्य न्यायाधीश को शामिल किया जाना चाहिए, इस स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। वर्तमान में, चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति कार्यपालिका द्वारा की जाती है। इस प्रक्रिया में राजनीतिक प्रभाव की संभावना बनी रहती है, जिससे आयोग की निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लग सकते हैं।
मुख्य न्यायाधीश को नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल करने से, न्यायपालिका की स्वतंत्रता का लाभ चुनाव आयोग को मिलेगा और इसकी निष्पक्षता और विश्वसनीयता बढ़ेगी। सिंघवी का यह कथन एक स्वतंत्र चुनाव आयोग स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर देता है, किसी बाहरी दबाव के बिना निष्पक्षतापूर्वक चुनाव लोकतंत्र की नींव को मजबूत कर नागरिकों के विश्वास को भी दृढ़ करेगा कि उनकी आवाज सही मायने में सुनी जा रही है। स्वतंत्र चुनाव आयोग, लोकतंत्र की सफलता का एक अनिवार्य पहलू है, और इस दिशा में उठाए गए कदम सराहनीय हैं।
सरकार द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन हेतु 2023 में लाए गए नए कानून को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है। न्यायालय ने अब तक तीन आदेश पारित किए हैं और अगली सुनवाई 19 फरवरी के आसपास संभावित है। इस परिस्थिति में कांग्रेस पार्टी ने मुख्य चुनाव आयुक्त चयन प्रक्रिया पर अपना रुख स्पष्ट किया है।
कांग्रेस के अनुसार वर्तमान चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठा मुख्य चुनाव आयुक्त के चुनाव से संबंधित वर्तमान बैठक को स्थगित किया जाए। इसके अतिरिक्त, कांग्रेस ने मोदी सरकार से सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर इस मामले की त्वरित सुनवाई का अनुरोध करने का आह्वान किया है। कांग्रेस ने इस मामले में सरकार को पूर्ण समर्थन देने का आश्वासन दिया है।
कांग्रेस के अनुसार वह मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में निष्पक्षता और पारदर्शिता को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। पार्टी का आग्रह है कि सरकार अपने अहंकार को त्याग कर एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित करे। लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों के संरक्षण के प्रकरणो मे सर्वसम्मति और समझदारी से विचार करने की आवश्यकता है।
मोदी सरकार मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन के लिए 2023 में जो नया कानून- The Chief Election Commissioner And Other Election Commissioners Act लेकर आई है, इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। अभी तक सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर 3 आर्डर पास किए हैं और अगली सुनवाई 19 फरवरी के आस पास होनी है। इसलिए मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के चयन को लेकर कांग्रेस का स्टैंड बड़ा स्पष्ट है-
• CEC के चुनाव से जुड़ी आज जो बैठक हुई है, उसे स्थगित किया जाए
• मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट को ये याचिका दे कि CEC के चुनाव से जुड़ी सुनवाई जल्द की जाए।
इसमें कांग्रेस, सरकार का पूरा समर्थन करेगी।
मोदी सरकार को अपना अहंकार छोड़कर ये मांग माननी चाहिए।
अभिषेक मनु सिंघवी के अनुसार चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है, चुनाव आयोग की स्वतंत्रता की महत्ता है, स्वस्थ लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया अनिवार्य है, और चुनाव आयोग इस प्रक्रिया का संरक्षक है। सिंघवी का यह सुझाव कि चुनाव आयोग की नियुक्ति में भारत के मुख्य न्यायाधीश को शामिल किया जाना चाहिए, इस स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। वर्तमान में, चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति कार्यपालिका द्वारा की जाती है। इस प्रक्रिया में राजनीतिक प्रभाव की संभावना बनी रहती है, जिससे आयोग की निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लग सकते हैं।
मुख्य न्यायाधीश को नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल करने से, न्यायपालिका की स्वतंत्रता का लाभ चुनाव आयोग को मिलेगा और इसकी निष्पक्षता और विश्वसनीयता बढ़ेगी। सिंघवी का यह कथन एक स्वतंत्र चुनाव आयोग स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर देता है, किसी बाहरी दबाव के बिना निष्पक्षतापूर्वक चुनाव लोकतंत्र की नींव को मजबूत कर नागरिकों के विश्वास को भी दृढ़ करेगा कि उनकी आवाज सही मायने में सुनी जा रही है। स्वतंत्र चुनाव आयोग, लोकतंत्र की सफलता का एक अनिवार्य पहलू है, और इस दिशा में उठाए गए कदम सराहनीय हैं।
सरकार द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन हेतु 2023 में लाए गए नए कानून को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है। न्यायालय ने अब तक तीन आदेश पारित किए हैं और अगली सुनवाई 19 फरवरी के आसपास संभावित है। इस परिस्थिति में कांग्रेस पार्टी ने मुख्य चुनाव आयुक्त चयन प्रक्रिया पर अपना रुख स्पष्ट किया है।
कांग्रेस के अनुसार वर्तमान चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठा मुख्य चुनाव आयुक्त के चुनाव से संबंधित वर्तमान बैठक को स्थगित किया जाए। इसके अतिरिक्त, कांग्रेस ने मोदी सरकार से सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर इस मामले की त्वरित सुनवाई का अनुरोध करने का आह्वान किया है। कांग्रेस ने इस मामले में सरकार को पूर्ण समर्थन देने का आश्वासन दिया है।
कांग्रेस के अनुसार वह मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में निष्पक्षता और पारदर्शिता को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। पार्टी का आग्रह है कि सरकार अपने अहंकार को त्याग कर एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित करे। लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों के संरक्षण के प्रकरणो मे सर्वसम्मति और समझदारी से विचार करने की आवश्यकता है।
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