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तेलंगाना एसएलबीसी सुरंग की छत गिरने से आठ लोग फसे सुरंग में बचाव अभियान जारी. योजना राजनीति का शिकार साल 2019, 2020 और 2021 में केवल 10 करोड़ रुपए

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने सोशल मीडिया एकाउन्ट पर आपातकालीन स्थिति के संदर्भ में तेलंगाना से बचाव अभियान में हर संभव सहायता प्रदान करने का आग्रह 
मंत्री उत्तम रेड्डी को घटनास्थल पर भेजा और एनआरडीएफ और एसआरडीएफ दल की तैनात
योजना राजनीति का शिकार 
 परियोजना की कुल लागत 2,647 करोड़ रुपये. पिछले दस साल में  केवल 500 करोड़ रुपये आवंटित  साल 2019, 2020 और 2021  में केवल 10 करोड़ रुपए 
कानपुर 24, फरवरी, 2025
फरवरी 23, 2025 तेलंगाना  नगरकुरनूल एसएलबीसी सुरंग के अंदर फंसे आठ श्रमिकों कों  झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने सोशल मीडिया एकाउन्ट पर आपातकालीन स्थिति के संदर्भ में तेलंगाना से बचाव अभियान में हर संभव सहायता  और झारखंड और अन्य राज्यों से संबंधित लोगों की जान बचाने  के लिए तात्कालिक उपायों का आग्रह किया है।
लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने एसएलबीसी सुरंग में चल रहे बचाव कार्यों को लेकर रविवार को मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी को फोन किया और उनसे बात की।
मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने बताया कि सरकार ने खबर मिलने पर तत्परता दिखाई, मंत्री उत्तम रेड्डी को घटनास्थल पर भेजा और एनआरडीएफ और एसआरडीएफ बचाव दलों की तैनाती की।
श्री राहुल गांधी ने उठाए गए कदमों और निरंतर निगरानी और निगरानी की सराहना की; और सरकार से कहा कि फंसे हुए मजदूरों को बचाने की कोशिश में कोई कसर न छोड़े।
तेलंगाना में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कनाल या एसएलबीसी सुरंग की छत का एक हिस्सा शनिवार सुबह क़रीब आठ बजे  गिरने से आठ लोग सुरंग में फंस गए हैं.  फंसे लोगों को बचाने का अभियान फिलहाल जारी है. 
 एसएलबीसी सुरंग परियोजना को तेलंगाना में सबसे लंबे समय से निर्माणाधीन परियोजना  है.
श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कनाल परियोजना के लिए काम शुरू करने का विचार क़रीब 42 वर्ष पहले रखा गया था. बीस साल पहले इसके लिए बजट स्वीकृत होने के बाद इस पर काम शुरू हुआ था. एसएलबीसी सुरंग परियोजना की मदद से कृष्णा नदी से क़रीब 30 टीएमसी (अरब क्यूबिक फ़ीट) पानी को नालगोंडा, सूर्यपेट, यदाद्रि और भुवनागिरी ज़िलों में चार लाख एकड़ भूमि को सिंचाई के लिए इसके अलावा हैदराबाद शहर में पीने के पानी की आपूर्ति के लिए पानी की दिशा बदल कर उपलब्ध कराना है 
अगस्त 2005 में अविभाजित आंध्र प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने 2,813 करोड़ रुपये की लागत से एसएलबीसी सुरंग परियोजना के निर्माण को मंज़ूरी दी थी. तत्कालीन मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी ने इसकी आधारशिला रखी थी और साल 2007 में निर्माण का काम शुरू हुआ था.
 एसएलबीसी सुरंग की योजना क़रीब चार दशक पहले 1978 में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री चेन्ना रेड्डी ने एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था. इसी समिति ने सुरंग के माध्यम से पानी की दिशा मोड़ने का सुझाव दिया था.अधिकारियों का कहना है कि एसएलबीसी परियोजना साल 2010 तक पूरी हो जानी चाहिए थी. लेकिन अब तक परियोजना के पूरा होने की समय सीमा को छह बार आगे बढ़ाया जा चुका है. मौजूदा समय सीमा के मुताबिक़ इसे जून 2026 तक पूरा किया जाना है. 
 "अब तक परियोजना की कुल लागत 2,647 करोड़ रुपये. पिछले दस साल में इसके लिए केवल 500 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं. ख़ासकर साल 2019, 2020 और 2021 के दौरान तीन साल में केवल 10 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं." 
तेलंगाना में कांग्रेस सरकार आने के बाद परियोजना पर ख़र्च का अनुमान  साल 2017 के अनुमानित ख़र्च  3,152 करोड़ रुपये से कांग्रेस सरकार ने  बढ़ाकर 4,637 करोड़ रुपये कर दिया.. तेलंगाना सरकार ने साल 2024-25 के बजट में इस परियोजना के लिए 800 करोड़ रुपये भी आवंटित किए हैं. पिछले साल जुलाई में सिंचाई मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी ने घोषणा की थी कि परियोजना को दो साल के अंदर पूरा करने के लिए कदम उठाए जाएंगे. 
उन्होंने कहा, "निर्माण कंपनी की वर्तमान योजना प्रति माह 300 मीटर की दर से सुरंग खोदने की है और इस तरह से यह परियोजना दो से ढाई साल में पूरी हो जाएगी."
सिंचाई विशेषज्ञों का कहना है कि सुरंग का काम कई साल से चल रहा है, जिसकी वजह से समस्याएं बढ़ती जा रही हैं. परियोजना के पास सुरंग के अंदर काम करने में कई समस्याएं हैं. उनका कहना है कि सुरंग निर्माण मार्ग पर जिन क्षेत्रों में ज़मीन नम है, उन्हें रडार की मदद से पहचाना जाना चाहिए और सुरंग के अंदर की तरफ धंसने की संभावना से बचने के लिए सावधानी बरतनी चाहिये ।
सरकारे मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए त्वरित और प्रभावी निर्णय लें इन श्रमिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित कर भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने हेतु ठोस उपाय करे। सुरक्षात्मक उपायों को अधिक सख्ती से लागू कर अतिरिक्त सावधानी और जागरूकता को बढ़ावा दे  भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचा श्रमिकों व उनके परिवारों को अधिक सुरक्षित वातावरण प्रदान किया जा सके।

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