• सुप्रीम कोर्ट में CJI पर जूता फेंकने की कोशिश
• संविधान और दलितों के सम्मान पर हमला माना गया।
• वकील ने "सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान" का नारा लगाया।
• गवई ने घटना के बाद शांति बनाए रखते हुए कोर्ट की कार्यवाही जारी रखी।
• हमले का कारण खजुराहो में भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति की बहाली के बारे में कहा था
• घटना की विभिन्न राजनीतिक नेताओं और न्यायालयों के संगठनों ने कड़ी निंदा की
• बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने वकील को निलंबित कर अनुशासनात्मक कार्रवाई की
• यह घटना न्यायपालिका की स्वतंत्रता और गरिमा के लिए गंभीर चुनौती कानपुर: अक्टूबर 6, 2025
Er D P Gautam@ErDPGautam .8h
सुप्रीम कोर्ट में CJI बी आर गवई पर एक वकील द्वारा जूता फेंकने की कोशिश, शर्मनाक घटना है। यह सिर्फ CJI पर हमला नहीं, बल्कि भारत के संविधान और बहुजनों के सम्मान पर हमला है। मनुवादी सोच को यह बर्दास्त नहीं कि एक SC समाज का व्यक्ति देश की सबसे ऊँची न्यायिक कुर्सी पर बैठे। मनुवादी मानसिकता के लोग देश में जातिगत असमानता व द्वेषभावना की जड़ें जमाए बैठे हैं। सोचिए, एक वकील को इतनी हिम्मत कहां से मिली? इस वकील को हमेशा के लिए वकालत पेशे से बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए।
Bhanu Nand@BhanuNand .8h
सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के दौरान CJI बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश, देश के मुख्य न्यायाधीश माननीय बी.आर. गवई जी पर अदालत में एक वकील द्वारा जूता फेंकने की कोशिश हुईं, यह शर्मनाक घटना है यह सिर्फ एक व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि भारत के संविधान और दलित सम्मान पर हमला है यह हमला इसलिए हुआ क्योंकि मनुवादी सोच को यह मंज़ूर नहीं कि एक दलित देश की सबसे ऊँची न्यायिक कुर्सी पर बैठे जो लोग समानता की बात करते हैं,उन्हें अब यह देखना चाहिए कि जातिवाद किस हद तक जड़ें जमाए बैठा है। इस घटना को आप किस प्रकार देखते हैं आखिर वकील को इतनी हिम्मत कैसे मिली?
M A KM a k @Mahmedk54·15m
न्यायाधीश बी.आर. गवई पर जूता फेंकने की कोशिश सिर्फ़ एक न्यायाधीश पर हमला नहीं है, बल्कि यह सर्वोच्च न्यायालय की गरिमा और समानता के संवैधानिक आदर्श पर सीधा प्रहार है।
SWAYAM SAINIK DAL@SainikDal.4h
71 वर्षीय वकील राकेश किशोर द्वारा CJI बी आर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश सिर्फ एक घटना नहीं — यह मानसिक दिवालियापन और घमंड की पराकाष्ठा है। सदियों से इस धर्म के लोग न्याय, समानता और मानवता को कुचलते आए हैं। ये आवाज़ को डराने की आखिरी नाकाम कोशिश है।
अक्टूबर 6, 2025 :नई दिल्ली: मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई पर वकील द्वारा जूता फेंकने की कोशिश एक ऐसी घटना है, जो न केवल न्यायपालिका की सुरक्षा को बाधित करती है, बल्कि सार्वजनिक जीवन में विधायिका की गरिमा पर भी सवाल खड़ा करती है। यह घटना 6 अक्टूबर, 2025 को भारतीय सुप्रीम कोर्ट में हुई, जब एक वकील ने CJI गवई पर हमले की कोशिश की।
हमले की कोशिश: 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने CJI गवई की ओर जूता फेंकने का प्रयास किया। इस दौरान, उसने "सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान" जैसा नारा भी लगाया。 जूता फेंकने की कोशिश के बाद सुरक्षाकर्मियों ने उसे तत्काल पकड़ लिया और कोर्ट से बाहर निकाल दिया。
CJI गवई की प्रतिक्रिया: CJI ने घटना के बाद शांत बने रहते हुए अदालत की कार्यवाही को जारी रखा। उन्होंने कोर्ट में उपस्थित वकीलों से कहा कि "इन सब बातों से विचलित मत होइए। हम विचलित नहीं हैं"।
हमले का पृष्ठभूमि CJI गवई द्वारा खजुराहो में भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति की बहाली के संबंध में दी गई टिप्पणी मानी जा रही है। CJI ने कहा था कि यदि कोई भक्त है, तो उसे भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए, ना कि अदालत का काम करना चाहिए。 इस टिप्पणी ने कुछ धार्मिक भावनाओं को भड़काया, जिसके परिणामस्वरूप यह हमला हो सकता है。
विभिन्न राजनीतिक नेताओं और न्यायालयों के संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की। सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे सिर्फ CJI पर नहीं, बल्कि समस्त संविधान पर हमला बताया।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने आरोपी वकील को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया और उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की है।
CJI बी.आर. गवई पर हमले की यह घटना न्यायपालिका की स्वतंत्रता एवं गरिमा के लिए गंभीर चुनौती है। घटनाएँ उन मूल्यों को हानि पहुँचाती हैं जिनका समाज में सम्मान होना चाहिए। अदालतों में सुरक्षा के मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि न्यायपालिका को सुरक्षित और बिना किसी तनाव के कार्य करने का माहौल मिले।
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