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भारत 2026-28 के कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के लिए निर्विरोध चुना गया: सातवीं बार

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का गठन 2006 में भारत का पहले कार्यकाल के लिए चयन
मानवाधिकार परिषद 47 सदस्यों वाला संयुक्त राष्ट्र का मुख्य निकाय
सार्वभौमिकरण, निष्पक्षता, वस्तुनिष्ठता एवं सृजनात्मक अन्तरराष्ट्रीय संवाद सिद्धान्तों के अन्तर्गत निर्देशित
संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानव अधिकार आयोग की स्थापना वर्ष 1946-47 में
आर्थिक एवं सामाजिक परिषद की एक कार्यात्मक समिति के रूप में
दुनिया भर में मानवाधिकारों को बढ़ावा रक्षा स्थिति समीक्षा और मुद्दों पर चर्चा के लिए मंच

कानपुर : 17 अक्टूबर 2025
जिनेवा, स्विट्जरलैंड: 17 अक्टूबर 2025 भारत 2026-28 के कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के लिए निर्विरोध चुना गया भारत को अगले साल से शुरू होने वाले तीन साल के कार्यकाल (2026-28) के लिए सातवीं बार मानवाधिकार परिषद के लिए निर्विरोध चुना गया है। महासभा द्वारा भारत के चुनाव की घोषणा के बाद, स्थायी प्रतिनिधि पी हरीश ने कहा कि यह चुनाव मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। एक सोशल मीडिया पोस्ट में, श्री हरीश ने कहा कि भारत उनके कार्यकाल के दौरान इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए तत्पर है। उन्होंने सभी प्रतिनिधिमंडलों को उनके भारी समर्थन के लिए धन्यवाद भी दिया। मानवाधिकार परिषद 47 सदस्यों वाला संयुक्त राष्ट्र का मुख्य निकाय है। यह दुनिया भर में मानवाधिकारों को बढ़ावा देता है और उनकी रक्षा करता है, सदस्य देशों की स्थिति की समीक्षा करता है और मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। परिषद का गठन महासभा द्वारा 2006 में किया गया था, जब भारत अपने पहले कार्यकाल के लिए चुना गया था।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानव अधिकार आयोग की स्थापना वर्ष 1946-47 में आर्थिक एवं सामाजिक परिषद की एक कार्यात्मक समिति के रूप में की थी, जिसका मुख्य कार्य-प्रतिवेदन तैयार करना, अधिकारों के अन्तरराष्ट्रीय बिल, नागरिक स्वतन्त्रता, स्त्री दशा एवं मानवाधिकार सम्बन्धी विषयों पर अपनी अनुशंसाएँँ प्रकट करना था। दिसम्बर 1993 में महासभा ने मानवाधिकार गतिविधियों के प्रति उत्तरदायित्व निश्चित करने के लिए मानवाधिकार उच्चायुक्त का पद सृजित किया। 15 मार्च, 2006 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक नई मानवाधिकार परिषद के गठन का प्रस्ताव पारित किया। इस 47 सदस्यीय मानवाधिकार परिषद ने 53 सदस्यीय मानवाधिकार आयोग का स्थान लिया है। आयोग को 16 जून, 2006 को समाप्त कर दिया गया तथा 19 जून, 2006 को परिषद प्रथम बैठक आयोजित की गई उल्लेखनीय है कि नई परिषद स्थायी है तथा प्रत्यक्ष रूप से महासभा के अधीनस्थ है। यह कहीं भी एवं किसी भी देश में मानवाधिकारों के उल्लंघन का गहन विश्लेषण कर सकेगी। इसका कार्य सार्वभौमिकरण, निष्पक्षता, वस्तुनिष्ठता एवं सृजनात्मक अन्तरराष्ट्रीय संवाद के सिद्धान्तों के अन्तर्गत निर्देशित होगा इसे समय पर सभी अभिकरणों एवं निकायों को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी ताकि मानवाधिकार उल्लंघन की व्यवस्थापरक ढँग से रोका जा सके। ज्ञातव्य है कि भारत मानवाधिकार परिषद का सदस्य देश है।
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