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उत्तर प्रदेश में धान की खरीद प्रक्रिया 1 अक्टूबर 2025 से शुरू: वर्ष 2025-26 के तहत राज्य सरकार ने धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि सामान्य धान के लिए ₹2369 और ग्रेड ए धान के लिए ₹2389 प्रति क्विंटल तय

• उत्तर प्रदेश में धान की खरीद प्रक्रिया 1 अक्टूबर 2025 से शुरू 31 जनवरी 2026 तक
• खरीफ वर्ष 2025-26 के तहत धान के MSP ₹2369 और ग्रेड ए के लिए ₹2389 प्रति क्विंटल
• हाइब्रिड धान को MSP पर एक केंद्र पर खरीद का 35% से अधिक नहीं खरीदने की अनुमति
• धान की बिक्री के लिए पंजीकरण अनिवार्य है और खरीद केवल पंजीकृत किसानों से
• पंजीकरण खाद्य एवं रसद विभाग की वेबसाइट या मोबाइल ऐप के माध्यम से
• किसानों को 48 घंटे के भीतर आधार से जुड़े बैंक खातों में भुगतान करने का आश्वासन

कानपुर : 3 अक्टूबर 2025
उत्तर प्रदेश में धान की खरीद प्रक्रिया 1 अक्टूबर 2025 से शुरू हो गई है। इस वर्ष खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 के तहत राज्य सरकार ने धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि की है। सामान्य धान के लिए MSP ₹2369 प्रति क्विंटल और ग्रेड ए धान के लिए ₹2389 प्रति क्विंटल तय किया गया है.
खरीद प्रक्रिया और केंद्र
धान की खरीद को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 1 अक्टूबर से आरंभ किया गया है, जो 31 जनवरी 2026 तक चलेगी। वहीं, पूर्वी उत्तर प्रदेश में धान खरीद 1 नवंबर से शुरू होकर 28 फरवरी 2026 तक चलेगी। इस दौरान, जिले जैसे मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली, आगरा, और लखनऊ में क्रय केंद्र खुलेंगे.
नया प्रावधान
इस वर्ष का एक महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि सरकार ने किसानों के हाइब्रिड धान को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की अनुमति दी है। हालांकि, इसे लेकर कुछ सीमाएँ भी निर्धारित की गई हैं। एक क्रय केंद्र पर कुल खरीद का 35% से अधिक हाइब्रिड धान नहीं खरीदा जा सकेगा, और यदि किसी केंद्र पर 10% से अधिक हाइब्रिड धान आता है, तो उसका नमूना जांचा जाएगा.
पंजीकरण और भुगतान
धान की बिक्री के लिए पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है, और केवल पंजीकृत किसानों से ही खरीद की जाएगी। पंजीकरण खाद्य एवं रसद विभाग की वेबसाइट या मोबाइल ऐप के माध्यम से किया जा सकता है। सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि किसानों को भुगतान 48 घंटे के भीतर उनके आधार से जुड़े बैंक खातों में किया जाएगा.
खरीद नीति के तहत उत्तर प्रदेश के किसानों को बेहतर कीमत मिलने की उम्मीद है, खासकर हाइब्रिड धान की खरीद में। यह न केवल किसानों के लिए लाभकारी साबित हो सकता है, बल्कि बिचौलियों के दखल को भी कम करेगा.

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