अरविंद अडिगा व्यावसायिक जीवन की शुरुआत कानपुर से स्वतंत्र पत्रकार के रूप में
"द व्हाइट टाइगर" में भारतीय समाज की दो मुख्य धाराअमीर और गरीब
के बीच का गहरा मतभेद स्पष्ट रूप से चित्रित किया गया है
व्यक्ति अपनी गरीबी से उबरने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार
बबलू का संघर्ष सामाजिक और आर्थिक असमानताओं का दंश जीवन पर
बबलू का संघर्ष सामाजिक और आर्थिक असमानताओं का दंश जीवन पर
कानपुर 10 फरवरी, 2025
लास वेगास नावेडा 9 फरवरी, 2025 "द व्हाइट टाइगर" (The White Tiger) एक प्रमुख उपन्यास है जो भारतीय लेखक अरविंद अडिगा द्वारा रचित है। 2008 में प्रकाशित, यह उपन्यास मनोरंजक कहानी प्रस्तुत कर भारतीय समाज की जटिलताओं, वर्ग संघर्ष, और नैतिकता के मुद्दों पर भी गहरी रोशनी डालता है।
रामिन बहरानी द्वारा निर्देशित व मुकुल देवड़ा द्वारा निर्मित द व्हाइट टाइगर 2021 की ड्रामा फिल्म है, फिल्म में आदर्श गौरव, प्रियंका चोपड़ा जोनस और राजकुमार राव हैं। चोपड़ा जोनास, प्रेम अक्काराजू और एवा डुवर्नय द्वारा कार्यकारी निर्मिता हैं। अरविंद अडिगा के 2008 के उपन्यास का एक रूपांतरण बलराम के बारे में है, जो एक गरीब भारतीय गांव से आता है और गरीबी से बचने के लिए चालाक बुद्धि का उपयोग करता है। भारतीय समाज में सामाजिक और आर्थिक असमानताओं का दंश कितनी गहराई से लोगों के जीवन पर असर बबलू की संघर्ष की कहानी है, उसके सपनों की तलाश उस विसंगति का सामना कराती है, जिसमें व्यक्ति अपनी गरीबी से उबरने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है।
"द व्हाइट टाइगर" में भारतीय समाज की दो मुख्य धाराओं - अमीर और गरीब - के बीच का गहरा मतभेद स्पष्ट रूप से चित्रित किया गया है। बबलू का चरित्र इस विषमता का प्रतीक है। वह अपने मालिक, अशोक, और उसकी पत्नी, पीनू, के साथ काम करता है, जो खुद एक आर्थिक और सामाजिक ऊपरी वर्ग से संबंधित हैं। इन पात्रों के माध्यम से, अडिगा परिभाषित करते हैं कि कैसे भारतीय समाज में लोग अक्सर अपनी स्थिति को बरकरार रखने के लिए नैतिकता को त्याग देते हैं। इस संदर्भ में, बबलू का अंततः अपराध की ओर बढ़ना और अपने संतुलन को पाने के लिए अत्याचार करना एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो पाठक को यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या आर्थिक सफलता के लिए नैतिकता की बलि देना उचित है।
उपन्यास की भाषा शैली महत्वपूर्ण विशेषता है। अरविंद अडिगा ने साधारण लेकिन गहरी अभिव्यक्ति का उपयोग किया है, जो पाठकों को बबलू के जीवन के उतार-चढ़ाव के साथ जोड़ता है। वह संवादों और वर्णनों के माध्यम से उस वातावरण को जीवंत बनाते हैं, जिससे पाठक खुद को बबलू की स्थिति में महसूस करते हैं। उनकी लेखनी में तीव्र व्यंग्य और आलोचना भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं को बेबाकी से उजागर करती है।
"द व्हाइट टाइगर" उपन्यास सामाजिक और नैतिक अध्ययन है जो भारत में मौजूद असमानताओं और संघर्षों को उजागर कर सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम अपनी नैतिकता को खोकर सफलता की सीढ़ी चढ़ने के लिए तैयार हैं। अडिगा की यह महत्वपूर्ण आवाज यह दर्शाती है कि समाज में परिवर्तन लाने के लिए बुराइयों को समझना होगा। वास्तव में, "द व्हाइट टाइगर" मनोरंजन कर सोचने पर भी मजबूर करता है।
अडिगा ने 2010 के अंत में इसे एक फिल्म में रूपांतरित करने का फैसला किया, जिसके अधिकार निर्माता मुकुल देवड़ा को बेचा । अक्टूबर से दिसंबर 2019 में दिल्ली फिल्मा कर द व्हाइट टाइगर का प्रीमियर 6 जनवरी 2021 को लास वेगास में हुआ, और 13 जनवरी को संयुक्त राज्य अमेरिका में सीमित फिल्म थिएटरों में प्रदर्शित किया गया। इसे 22 जनवरी 2021 को नेटफ्लिक्स के माध्यम से विश्व स्तर पर जारी किया गया था। व्हाइट टाइगर को आलोचकों से सकारात्मक समीक्षा मिली, जिन्होंने इसके निर्देशन, पटकथा, छायांकन और कलाकारों के प्रदर्शन की प्रशंसा की। 93 वें अकादमी पुरस्कारों में, फिल्म को सर्वश्रेष्ठ अनुकूलित पटकथा के लिए नामांकित किया गया था।
अरविन्द के कन्नड़ माता-पिता कर्नाटक के मैंगलोर शहर से हैं। इनका जन्म 1974 में चेन्नई में हुआ । कनड़ हाई स्कूल और सेंट एलोसियस महाविद्यालय में अपनी शिक्षा पूरी करके इन्होंने 12वीं कक्षा की परीक्षा में पूरे प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त किया। इसके पश्चात अरविन्द सपरिवार सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में बस गए इन्होंने कोलम्बिया विश्वविद्यालय, न्यू यार्क और मैग्डेलन कॉलेज, ऑक्सफर्ड से अंग्रेजी साहित्य की उच्च शिक्षा प्राप्त की।
अरविन्द ने अपने व्यावसायिक जीवन की शुरुआत कानपुर से स्वतंत्र पत्रकार के रूप में की। अनेक प्रसिद्ध अखबारों और पत्रिका फाइनैंशियल टाइम्स, मनी वाल स्ट्रीट जर्नल और टाइम पत्रिका के लिए पत्रकारिता की। टाइम पत्रिका के लिए व्याप्त प्रदूषण पर रिपोर्ट में प्रकाशित किया कि कानपुर विश्व का सातवां सबसे प्रदूषित शहर है। इसके बाद स्वतंत्र पत्रकार अरविन्द ने अपना पहला उपन्यास द व्हाइट टाइगर (श्वेत बाघ) लिख डाला।
उपन्यास की भाषा शैली महत्वपूर्ण विशेषता है। अरविंद अडिगा ने साधारण लेकिन गहरी अभिव्यक्ति का उपयोग किया है, जो पाठकों को बबलू के जीवन के उतार-चढ़ाव के साथ जोड़ता है। वह संवादों और वर्णनों के माध्यम से उस वातावरण को जीवंत बनाते हैं, जिससे पाठक खुद को बबलू की स्थिति में महसूस करते हैं। उनकी लेखनी में तीव्र व्यंग्य और आलोचना भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं को बेबाकी से उजागर करती है।
"द व्हाइट टाइगर" उपन्यास सामाजिक और नैतिक अध्ययन है जो भारत में मौजूद असमानताओं और संघर्षों को उजागर कर सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम अपनी नैतिकता को खोकर सफलता की सीढ़ी चढ़ने के लिए तैयार हैं। अडिगा की यह महत्वपूर्ण आवाज यह दर्शाती है कि समाज में परिवर्तन लाने के लिए बुराइयों को समझना होगा। वास्तव में, "द व्हाइट टाइगर" मनोरंजन कर सोचने पर भी मजबूर करता है।
अडिगा ने 2010 के अंत में इसे एक फिल्म में रूपांतरित करने का फैसला किया, जिसके अधिकार निर्माता मुकुल देवड़ा को बेचा । अक्टूबर से दिसंबर 2019 में दिल्ली फिल्मा कर द व्हाइट टाइगर का प्रीमियर 6 जनवरी 2021 को लास वेगास में हुआ, और 13 जनवरी को संयुक्त राज्य अमेरिका में सीमित फिल्म थिएटरों में प्रदर्शित किया गया। इसे 22 जनवरी 2021 को नेटफ्लिक्स के माध्यम से विश्व स्तर पर जारी किया गया था। व्हाइट टाइगर को आलोचकों से सकारात्मक समीक्षा मिली, जिन्होंने इसके निर्देशन, पटकथा, छायांकन और कलाकारों के प्रदर्शन की प्रशंसा की। 93 वें अकादमी पुरस्कारों में, फिल्म को सर्वश्रेष्ठ अनुकूलित पटकथा के लिए नामांकित किया गया था।
अरविन्द के कन्नड़ माता-पिता कर्नाटक के मैंगलोर शहर से हैं। इनका जन्म 1974 में चेन्नई में हुआ । कनड़ हाई स्कूल और सेंट एलोसियस महाविद्यालय में अपनी शिक्षा पूरी करके इन्होंने 12वीं कक्षा की परीक्षा में पूरे प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त किया। इसके पश्चात अरविन्द सपरिवार सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में बस गए इन्होंने कोलम्बिया विश्वविद्यालय, न्यू यार्क और मैग्डेलन कॉलेज, ऑक्सफर्ड से अंग्रेजी साहित्य की उच्च शिक्षा प्राप्त की।
अरविन्द ने अपने व्यावसायिक जीवन की शुरुआत कानपुर से स्वतंत्र पत्रकार के रूप में की। अनेक प्रसिद्ध अखबारों और पत्रिका फाइनैंशियल टाइम्स, मनी वाल स्ट्रीट जर्नल और टाइम पत्रिका के लिए पत्रकारिता की। टाइम पत्रिका के लिए व्याप्त प्रदूषण पर रिपोर्ट में प्रकाशित किया कि कानपुर विश्व का सातवां सबसे प्रदूषित शहर है। इसके बाद स्वतंत्र पत्रकार अरविन्द ने अपना पहला उपन्यास द व्हाइट टाइगर (श्वेत बाघ) लिख डाला।
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