केंद्रीय मंत्रिमंडल से आज नए आयकर विधेयक को मंजूरी
संसद के बजट सत्र में पेश किया जाएगा।
उद्देश्य प्रत्यक्ष कर कानून को सरल, अनिश्चितताओं और विवादों को कम करना
उद्देश्य प्रत्यक्ष कर कानून को सरल, अनिश्चितताओं और विवादों को कम करना
मूल कानून गणतंत्र भारत के शुरुआती वर्षों मे प्रगति को समायोजित करने के लिए था
वेतनभोगी करदाताओं के लिए ₹ 75,000 की मूल मानक कटौती के साथ ₹ 12.75 लाख
नए आयकर कानून से कर दरों में बदलाव नहीं
कानपुर 8 फरवरी, 2025
नई दिल्ली: 8 फरवरी, 2025 प्रस्तावित नया आयकर विधेयक 1961 के आयकर अधिनियम का उद्देश्य प्रत्यक्ष कर कानून को सरल बनाना, अनिश्चितताओं को समाप्त करना और कानूनी विवादों को कम करना है। वित्त मंत्री के अनुसार विधेयक को बजट सत्र के दौरान संसद में पेश किया जाएगा और बाद में वित्त पर स्थायी समिति द्वारा समीक्षा की जाएगी।वित्त मंत्री ने 23 जुलाई, 2024 को घोषणा की थी कि आयकर अधिनियम 1961 की समीक्षा कर छह महीने मे सीधा, स्पष्ट और आसानी से समझने योग्य संशोधित आयकर अधिनियम पेश किया जाएगा।वित्त मंत्री के अनुसार करदाताओं को कर स्पष्टता और कानूनी विवाद कम होंगे विवादित मांगों में कमी आएगी। इसके बाद, 1 फरवरी, 2025 को अपने 2025-26 के बजट भाषण में वर्तमान बजट सत्र के दौरान संसद में आयकर विधेयक की शुरुआत की पुष्टि की थी।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी, शनिवार को संसद में केंद्रीय बजट 2025-26 पेश करते हुए कई उपायों की घोषणा की। मध्यम वर्ग और वेतनभोगी करदाताओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण 12 लाख रुपये तक की आय वालों के लिए 'शून्य' आयकर था (या वेतनभोगी करदाताओं के लिए ₹ 75,000 की मूल मानक कटौती के साथ ₹ 12.75 लाख)। सरकार ने मध्यम वर्ग के करों को काफी कम करने और उन्हें अधिक पैसा देने के लिए नए टैक्स स्लैब स्थापित किए हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार संशोधित आयकर कानून का उद्देश्य अधिक सुलभ और सरल आम नागरिक समझने योग्य सरलभाषा में बनाने का है,
वर्तमान आयकर अधिनियम, 1961 व्यक्तिगत आई-टी, कॉर्पोरेट कर, प्रतिभूति लेनदेन कर, और पहले उपहार और संपत्ति कर सहित प्रत्यक्ष करों को नियंत्रित करता है। वर्तमान में 23 अध्यायों में 298 खंड हैं। वर्ष 2022 में अधिनियम मे स्थापित नई आयकर व्यवस्था संपत्ति कर, उपहार कर, फ्रिंज बेनिफिट टैक्स और बैंकिंग नकद लेनदेन कर सहित कई करों को समाप्त कर दिया गया है। नया कानून व अप्रासंगिक संशोधनों को जनता बिना कर पेशेवर परामर्श के स्पष्ट समझ सकती है।आयकर अधिनियम 1961 में व्यक्तिगत आय सृजन और व्यवसाय संचालन में महत्वपूर्ण सामाजिक परिवर्तनों को करने के लिए आधुनिकीकरण की आवश्यकता थी। मूल कानून गणतंत्र भारत के शुरुआती वर्षों मे प्रगति को समायोजित करने के लिए था, समकालीन तकनीकी प्रगति ने कर भुगतान और रिटर्न फाइलिंग प्रक्रियाओं को बदल कर बैंकों, नियोक्ताओं, विदेशी मुद्रा डीलरों और संपत्ति लेनदेन से टीडीएस विवरण सहित विभिन्न स्रोतों से डेटा का उपयोग करके आईटीआर फॉर्म उपलब्ध है।
आमतौर संशोधन पर 1 फरवरी को संसद में वार्षिक केंद्रीय बजट प्रस्तुति के दौरान वित्त अधिनियम के माध्यम से होते हैं। छह दशकों में संशोधनों के कारण मौजूदा कानून प्रौद्योगिकीय प्रगति और सामाजिक परिवर्तनों के लिए दिनांकित आयकर अधिनियम में व्यापक संशोधन की आवश्यकता थी। वर्तमान कानून की जटिलता, इसके परस्पर जुड़े वर्गों, उप-वर्गों और प्रावधानों को आम नागरिकों को समझना चुनौती था। मुख्य रूप से भाषा को सरल बनाने और अनुपालन प्रक्रियाओं को और अधिक सरल बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। नए आयकर कानून से कर दरों में बदलाव नहीं है।
0 Comment:
Post a Comment