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पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम और वर्तमान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बीच पूंजी व्यय (कैपेक्स) पर एक गंभीर बहस और आरोप-प्रत्यारोप

2024-25 के लिए पूंजी व्यय में कटौती  ₹11.11 लाख करोड़ से घटकर ₹10.18 लाख करोड़

राज्यों को दी जाने वाली विशेष सहायता ₹3.90 लाख करोड़ से घटकर ₹2.99 लाख करोड़
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम और सीतारमण में गर्मागर्म बहस 

कानपुर 2, अप्रैल, 2025
1, अप्रैल , 2025 नई दिल्ली
गर्मागर्म बहस में चिदंबरम और सीतारमण दोनों ने एक-दूसरे पर तीखे हमले किए। चिदंबरम ने यह कहकर सीतारमण का मजाक उड़ाया कि वह परेशान हैं कि केंद्र ने कटौती  से इनकार किया है, जबकि सीतारमण ने चिदंबरम के समय में वित्तीय प्रबंधन की नाकामी का हवाला देकर जवाब दिया।
चिदंबरम के अनुसार केंद्र सरकार ने साल 2024-25 के लिए पूंजी व्यय में कटौती की है, यह ₹11.11 लाख करोड़ से घटकर ₹10.18 लाख करोड़ हो गया है। और राज्यों को दी जाने वाली विशेष सहायता ₹3.90 लाख करोड़ से घटकर ₹2.99 लाख करोड़ हो गई है।
सीतारमण ने चिदंबरम के आरोपों के विपरीत खंडन करते हुए कहा कि पूंजी व्यय वास्तव में बढ़ा है और 2025-26 के लिए यह ₹11.21 लाख करोड़ के स्तर पर पहुंच गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि बजट अनुमान और संशोधित अनुमानमें अन्तर सामान्य सरकारी प्रक्रिया का हिस्सा है वित्त मंत्री ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में पूंजी व्यय के उल्लेख के दौरान बताया कि इसे कई कारकों से प्रभावित किया गया है, जिसमें "सामान्य चुनावों के दौरान मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट" और कुछ राज्यों द्वारा कम व्यय के आधार शामिल हैं।
सीतारमण ने चिदंबरम द्वारा दिये गए आंकड़े विशिष्ट दृष्टिकोण से पेश और वास्तविकता से भिन्न हैं। उन्होंने कहा कि यह तथ्य कि पिछले वर्षों में पूंजी व्यय में वृद्धि हुई है। इन आंकड़ों का तर्क और तुलना राजनीतिक उद्देश्य के लिए की गई हैं।
यह बहस भारतीय राजनीति में आर्थिक व्यय की नीति और प्रशासन में महत्वपूर्ण बिंदुओं को उजागर कर विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं के बीच आर्थिक दक्षता और पारदर्शिता पर चर्चा है।
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने 'राजधानी व्यय में कटौती' के संबंध में की गई टिप्पणियों को भ्रामक और गलत तुलना पर आधारित बताया है। उनका कहना है कि "बजट अनुमान वित्तीय वर्ष शुरू होने से पहले तैयार किए जाते हैं और स्वाभाविक रूप से व्यय प्रवृत्तियों, कार्यान्वयन क्षमता और उभरती प्राथमिकताओं के आधार पर संशोधित अनुमानों में विकसित होते हैं," यह एक सार्वजनिक वित्त में मानक प्रथा है।
चिदंबरम का यह दृष्टिकोण   बजट अनुमानों और उन पर आधारित व्यय के उपयोग में  वित्तीय प्रबंधन में पारदर्शिता और सही जानकारी पर जोर देता है।  

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